यूरोप में सालाना 33 हजार जानें लेता है ये बैक्टीरिया
६ नवम्बर २०१८
अस्पतालों में डॉक्टर हर संभव कोशिश कर मरीज को बचाने की कोशिश करते हैं. लेकिन अब उनके सामने सिर्फ मरीज की बीमारी ही नहीं बल्कि अस्पतालों में मौजूद बैक्टीरिया से निपटना भी एक चुनौती बन गया है.
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ये ऐसे बैक्टीरिया हैं जिन पर दवाइयों का कोई असर नहीं होता. यूरोपीयन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक यूरोपीय संघ के देशों में हर साल तकरीबन 33 हजार लोग एंटीबायोटिक-रेसिस्टेंट बैक्टीरिया की चपेट में आने से मारे जाते हैं. इस बैक्टीरिया को सुपरबग भी कहा जाता है. ये सुपरबग सबसे असरदार एंटीबायोटिक दवाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं, खासकर ऐसी दवाइयां जिनका इस्तेमाल आखिरी उपचार के रूप में मरीज पर किया जाता है.
आपके घर में कहां कहां छुपे हैं बैक्टीरिया?
साफ सफाई के बारे में लोगों को बड़े भ्रम हैं. घर के भीतर सबसे गंदी चीजों पर उनका ध्यान शायद ही जाता है. चेक कीजिए अपनी जानकारी.
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01. तकिया
दिन भर की थकान और धूल धक्कड़ के बाद इंसान जब तकिये पर सिर रखता है तो बड़ा आराम मिलता है. लेकिन धीरे धीरे तकिया बैक्टीरिया और फंगस का अड्डा बन जाता है. तकिये को बीच बीच में बेहद गर्म पानी से धो देना चाहिए. गर्मियों में तकिये को धूप में भी सुखाना चाहिए.
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02. बर्तन धोने का स्पंज
बर्तन धोने वाले स्पंज को दो हफ्ते बाद बदल देना चाहिए. स्पंज को समय पर न बदला जाए तो इसमें सबसे ज्यादा बैक्टीरिया छुपते हैं.
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03. किचन का सिंक
बर्तन धोने के दौरान गंदा पानी सिंक से ही बहता है. इस पानी में फैट, तेल और भोजन के टुकड़े होते हैं. 45 फीसदी सिंक में बैक्टीरिया भरे पड़े होते हैं. इसीलिए बीच बीच में सिंक की सफाई जरूरी है.
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04. किचन का काउंटर
गैस रखने वाली किचन की रैक में 32 फीसदी मौकों पर कीटाणु मिले. आम तौर पर खाना बनाने के बाद काउंटर को कपड़े से पोंछ दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद बैक्टीरिया वहां बच ही जाते हैं.
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05. चॉपिंग बोर्ड
सब्जी काटने वाले बोर्ड पर भी बैक्टीरिया आसानी से छुप जाते हैं. चाकू से मांस, मक्खन या रसीले फल काटते वक्त कटिंग बोर्ड में निशान पड़ते हैं और खाने का सूक्ष्म हिस्सा उनमें फंस जाता है. इसीलिए हर दिन एक बार चॉपिंग बोर्ड को खौलते पानी से धो देना चाहिए.
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06. टूथब्रश होल्डर
इंसान आम तौर पर टूथब्रश बदल देता है, टूथपेस्ट नया ले आता है, लेकिन टूथब्रश होल्डर नहीं बदलता. 27 फीसदी मामलों में इसी में बैक्टीरिया छुपे मिले.
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07. बाथरूम के हैंडल
100 में से नौ घरों के बाथरूमों के हैंडल में बेहद घातक किस्म के बैक्टीरिया मिले. बाथरूम के हैंडल की नियमित सफाई भी जरूरी है.
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08. स्मार्टफोन
एक इंसान हर रोज कम से कम 20 बार स्मार्टफोन की स्क्रीन देखता है. टच स्क्रीन वाले मोबाइल फोनों में भी बैक्टीरिया खूब छिपे रहते हैं. स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के बाद हाथ धोने चाहिए.
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साइंस पत्रिका लैंसेट में छपी एक स्टडी के मुताबिक सुपरबग का असर एचआईवी, फ्लू, टीवी जैसी बीमारियों के संयुक्त प्रभाव जितना घातक है. रिसर्चरों के मुताबिक, "एंटीबायोटिक के खिलाफ अपनी प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर चुके ये बैक्टीरिया आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली के लिए खतरा हैं." 2007 में इस बैक्टीरिया के चलते तकरीबन 25 हजार मौतें हुईं थीं. नवजात और बुजुर्ग व्यक्तियों को इस बैक्टरिया से अधिक खतरा है. यह भी देखा गया है कि 75 फीसदी मामलों में इंफेक्शन अस्पताल और क्लीनिक से मरीजों तक पहुंचता है. यूरोपीय देशों के भीतर भी यह अंतर बना हुआ है.
यूरोपीय संघ में हाल
ईसीडीसी ने अपनी इस स्टडी में 2015 का डाटा इस्तेमाल किया था. डाटा के मुताबिक यूरोपीय संघ और यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र (ईईए) में आने वाले देशों के भीतर इस प्रतिरोधी क्षमता वाले बैक्टीरिया के चलते पांच प्रकार के इंफेक्शन नजर आए. इसने ग्रीस और इटली को सबसे अधिक प्रभावित किया. वहीं उत्तरी यूरोपीय देशों में इंफेक्शन का असर कम दिखा.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ काफी समय से इस बैक्टीरिया से होने वाले खतरों की चेतावनी दे रहे हैं. ईसीडीसी ने कहा, "एंटीबायोटिक दवाइयों का प्रभावी न होना मुश्किल भरा होता है. कई मामलों में तो उपचार करना असंभव हो जाता है."
रिसर्चरों ने अपनी इस स्टडी में कहा है कि इस गंभीर स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए यूरोपीय संघ में और वैश्विक स्तर पर आपसी समन्वय की आवश्यकता होगी. साथ ही हर देश को अपनी जरूरत के मुताबिक बचाव और रोकथाम वाली नीतियों की जरूरत होगी.
सुपरबग को रखें रसोई से दूर
केवल अस्पतालों में ही नहीं बल्कि सुपरबग की पहुंच आपके किचन में हो सकती है. एंटीबायोटिक दवाइयों से नियंत्रण में ना आने वाले सुपरबग को खुद से दूर रखने के लिए उठाएं ये कदम.
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सूअर से घर तक
औद्योगिक स्तर पर की जा रही जानवरों की ब्रीडिंग में एंटीबायोटिक्स का खूब इस्तेमाल होता है. इन्हीं जानवरों का कच्चा मांस जब पैक होकर हमारे नजदीकी सुपरमार्केट की रैक पर पहुंचता है, तब उसमें कई सारे जिद्दी एंटीबायोटिकरोधी बैक्टीरिया पनप चुके होते हैं. यह सुपरबग हमें गंभीर रूप से बीमार कर सकते हैं.
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डीफ्रॉस्ट करना है जरूरी
जितना बड़ा मांस का टुकड़ा होगा, उतना जरूरी हो जाता है उसे ठीक से डीफ्रॉस्ट करना. इसके बाद जब इसे पकाया जाएगा तो मांस का टुकड़ा उस तापमान तक पहुंच पाएगा, जिस पर बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं.
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सही बर्तनों का इस्तेमाल
विशेषज्ञ बताते हैं कि सब्जियां या मांस काटने के लिए जिस कठोर चॉपिंग बोर्ड का इस्तेमाल किया जाता है, वह कांच का बना होना चाहिए. प्लास्टिक या लकड़ी के बने बोर्ड में चाकु से लगने वाले कटों में खाने की चीजें फंस जाती हैं और उसमें कीटाणु पनप सकते हैं.
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सही तापमान तक पकाना
70 डिग्री सेल्सियस तक पकाने पर भोजन के सभी रोगाणु मर जाते हैं. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि कच्चे मांस को खूब अच्छी तरह तेज आंच पर पकाया जाए. कई बार माइक्रोवेव में पकाने पर सभी रोगाणु नहीं मरते.
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हाथों को धोना
हाथ साफ पानी और साबुन से धोने के बाद ही खाना पकाएं. इसके अलावा कच्चे मांस, अंडे, मछली वगैरह छूने के बाद भी हाथों को जरूर धोना चाहिए.