बेल्जियम में पिछले दिनों एक संदिग्ध आतंकी हमले को रोक लिया गया जबकि फ्रांस इसमें चूक गया. सुरक्षा अधिकारियों को हमले रोकने के लिए औजार चाहिए. डॉयचे वेले के बैर्न्ड रीगर्ट का कहना है कि डाटा सुरक्षा को फिलहाल भूलना होगा.
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बेल्जियम अपने शहरों फेर्फियर्स और ब्रसेल्स में एक आतंकी नेटवर्क के खिलाफ छापों के जरिए नियोजित हमलों को रोकने में कामयाब रहा. इस देश में जहां आम तौर पर अक्सर आंखें मूंद ली जाती हैं और जटिल प्रशासनिक ढांचे के कारण कुछ हद तक अव्यवस्था दिखती है, असली खतरों की स्थिति में पुलिस और खुफिया सेवा ऐसे काम करते हैं जैसे उन्हें करना चाहिए. वे नागरिकों की सुरक्षा करते हैं. लेकिन ऐसा हमेशा से नहीं है. ब्रसेल्स में पिछली मई में यहूदी म्यूजियम पर हुए हमले के बाद बेलजियम के पुलिस अधिकारियों ने सबक ली है. रोकथाम की कार्रवाई अब उनका मूलमंत्र है. सितंबर में भी पुलिस यूरोपीय आयोग के दफ्तर पर नियोजित हमले का समय रहते पता करने और उसे रोकने में कामयाब रही थी.
निगरानीकीजरूरत
पुलिस हमलावरों का पता करने में किस हद तक कामयाब रही है यह बात तकनीकी कारणों से नहीं बताई जा रही है. लेकिन आतंकी नेटवर्क के टेलिफोन संपर्क की निगरानी की इसमें अहम भूमिका है. स्मार्टफोन से मोबाइल और इंटरनेट में इंक्रिप्टेड संपर्क करने वाले आतंकियों का सामना करने के लिए पुलिस को आधुनिक और चतुर तकनीक चाहिए. अपराधियों का मुकाबला करना प्राथमिकता है, डाटा सुरक्षा की चिंता बाद में की जा सकती है. बेल्जियम में टेलिफोन और संचार डाटा की कॉपी करने का व्यापक कानून है. इसके विपरीत जर्मनी में इसके लिए कोई कानून नहीं है. यूरोपीय अदालत द्वारा पुराने कानून को निरस्त किए जाने के बाद यूरोपीय आयोग को अब बेहतर नियम तैयार करने होंगे. समय आ गया है कि इसके लिए तेजी से कदम उठाए जाएं.
इस्लामी चरमपंथियों और सीरिया तथा इराक जैसे देशों से वापस लौटने वाले जिहादियों से सचमुच का खतरा है. उसके गंभीर नतीजे हैं जैसा कि पेरिस के हमलों ने दिखाया है. इसलिए अब यूरोप में किसी को सुरक्षा अधिकारियों को जरूरी सूचनाएं और औजार हाथ में देने में देर नहीं लगानी चाहिए, जिनकी उन्हें आतंकवादियों को समय रहते पकड़ने के लिए जरूरत है. यह पैसेंजर डाटा के लिए भी लागू होता है जिसे यूरोप में अबतक केंद्रीय तौर पर न तो जमा किया जाता है और न ही उसका आकलन होता है. अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया जाते समय अपने बारे में जानकारी देनी जरूरी होती है, फिर यूरोप में क्यों नहीं?
फ्रांस में आतंक
व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्दो पर आतंकी हमले से पूरा देश हैरान था. तीन दिनों तक पूरा देश सांस थामे हमलावरों के पता चलने का इंतजार करता रहा. मृतकों के परिजन शोक मना रहे हैं तो हफ्ते भर बाद शार्ली एब्दो का नया अंक आया.
तस्वीर: picture-alliance/epa/Y. Valat
अंतिम स्केच
7 जनवरी, बुधवार के दिन 11:28 मिनट पर शार्ली एब्दॉ के संपादक ने अंतिम ट्वीट किया, आईएस के नेता अल बगदादी का कार्टून. कार्टून पर लिखा है, शुभकामनाएं और सबसे बढ़कर स्वास्थ्य. यह कार्टून फिलिप ओनोरे ने बनाया था. कुछ ही मिनटों बाद उनकी हत्या कर दी गई.
तस्वीर: Screenshot Twitter
शार्ली एब्दॉ पर हमला
करीब साढ़े ग्यारह बजे शार्ली एब्दॉ के संपादकमंडल की बैठक हो रही थी. दो हथियारबंद नकाबपोश हमलावर कमरे में घुसे और 9 पत्रकारों को गोलियों से भून डाला. उनमें मुख्य संपादक स्टेफान चार्बोनिए भी थे. हमलावरों ने इमारत में घुसते समय मकान के केयरटेकर को भी मार डाला था.
तस्वीर: A. Gelbard/AFP/Getty Images
हमलावर भागे
शार्ली एब्दॉ पर हमला कुछ मिनटों तक ही चला. भागते हुए हमलावरों का सामना एक पुलिसकर्मी अहमद मेराबेत से हुआ. अपनी गाड़ी में बैठने से पहले उन्होंने पुलिस कर्मी को भी मार डाला. एक व्यक्ति ने इस हत्या की वीडियोरिकॉर्डिंग की. उसके बाद हमलावर भाग गए.
तस्वीर: Reuters
शोक में पूरा देश
हमले का पता चलने के बाद इंटरनेट में मृतकों के साथ सहानुभूति की लहर फैल गई. हैशटैग जे सुई शार्ली (मैं शार्ली हूं) का जन्म हुआ. यह ट्विटर के इतिहास में अब तक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ हैश टैग बन गया है. शाम को सैकड़ों लोग मृतकों को श्रद्धांजलि देने जमा हुए.
तस्वीर: Getty Images/A. Meunier
पूरी दुनिया शार्ली
पूरी दुनिया में लाखों लोगों ने जे सुई शार्ली का बैनर लेकर अभिव्यक्ति की आजादी के लिए प्रदर्शन किया. बहुत से लोगों ने प्रेस की आजादी के समर्थन में हाथों में पेंसिलें ले रखी थीं. इस बीच पुलिस से भाग रहे हमलावरों की तस्वीरें जारी की गईं. शरीफ और सईद कुआची हत्याओं के लिए जिम्मेदार थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B.v. Jutrczenka
प्रेस की आजादी पर हमला
पूरी दुनिया के पत्रकारों ने भी व्यंग्य पत्रिका के कार्टूनिस्टों और संपादकों के साथ सहानुभूति दिखाई. मामला जर्मनी के मीडिया में भी सुर्खियों में रहा. जर्मन पत्रकारों की राय थी कि आतंकवादियों की धमकी के आगे नहीं झुका जाएगा. फ्रांस में मीडिया दफ्तरों की सुरक्षा बढ़ी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld
कोई अंत नहीं
शार्ली एब्दॉ के दफ्तर पर हुए हमले के एक दिन बाद 8 जनवरी को एक हथियारबंद शख्स ने पेरिस के दक्षिण में एक महिला पुलिसकर्मी की हत्या कर दी. एक अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गया. हत्यारा भागने में कामयाब रहा. उस समय यह पता नहीं था कि क्या उसका शार्ली एब्दॉ पर हमले में कोई हाथ है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Samson
हत्यारे अभी भी फरार
शार्ली एब्दॉ के संदिग्ध हत्यारों ने गुरुवार को उत्तरी फ्रांस में एक पेट्रोल पंप पर हमला किया. वहां से उन्होंने अपनी गाड़ी के लिए पेट्रोल और खाने पीने का सामान चुराया. खबर आई कि गोलियां भी चलीं. लेकिन उसके बाद दोनों हत्यारे फिर भाग गए. पुलिस उन्हें खोजती रही.
तस्वीर: Reuters/P. Rossignol
मुस्लिम संस्थानों पर हमले
शार्ली एब्दॉ पर हुए हमले से कुछ फ्रांसीसियों का गुस्सा कुछ हद तक हिंसक रूप में सामने आया. पूर्वी फ्रांस में एक मस्जिद के पास स्थित कबाब की दुकान में धमाका हुआ. पश्चिमोत्तर फ्रांस में एक मस्जिद पर गोलियां चलाई गईं. हमलों में कोई घायल नहीं हुआ. सुरक्षा बंदोबस्त बढ़ाए गए.
तस्वीर: Reuters/E. Foudrot
घर घर में तलाशी
इस बीच हमलावरों की खोज जारी रही. सरकार ने उत्तरी फ्रांस में आतंकवाद के खिलाफ चेतावनी बढ़ा दी. हत्यारों को खोजने में करीब 88,000 सुरक्षाकर्मी तैनात थे. शाम को उन्होंने कई गांवों की तलाशी ली. लोगों को अपने घरों से बाहर निकलना पड़ा. रात 10 बजे तलाशी रोक दी गई.
तस्वीर: Reuters/C. Hartmann
तलाशी जारी
9 जनवरी को हत्यारों का संकेत मिला. उन्होंने एक महिला की गाड़ी लूट ली थी. पुलिस को जब दोनों भाई मिले तो गोलीबारी हुई. हमलावरों में शामिल दोनों कुआची भाई भागकर पेरिस के उत्तर में चार्ल्स द गॉल हवाई अड्डे के पास एक कारखाने में जा छुपे.
तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/Chen Xiaowei
पेरिस में बंधक
फिर एक हमले की खबर आई. पूर्वी पेरिस में गोलियां चलीं. एक हथियारबंद हमलावर ने एक यहूदी सुपर बाजार पर धावा बोला और लोगों को बंधक बना लिया. अपहरणकर्ता चिल्लाया, "तुम्हें पता है मैं कौन हूं." जल्द ही साफ हो गया वह अमेदी कूलीबाली था, एक दिन पहले मारी गई पुलिसकर्मी का हत्यारा.
तस्वीर: AFP/Getty Images/G. Chatelain
प्रिंटिग हाउस में छुपे
दोनों संदिग्ध हत्यारे एक प्रिटिंग हाउस में छुप गए और वहां उन्होंने एक बंधक बनाया, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया. एक दूसरा कर्मचारी तहखाने में छुप गया और पुलिस को हत्यारों के बारे में सूचना दी. शाम पांच बजे दोनों भाई गोलियां चलाते इमारत से बाहर निकले और पुलिस की गोलियों से मारे गए.
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पेरिस में चार मौतें
उसी समय पुलिस ने यहूदी सुपर बाजार पर छापा मारा. अपहरणकर्ता मारा गया. इसके पहले उसने अपने चार बंधकों को मार डाला था. उसकी गर्लफ्रेंड पर बंधक कांड में उसकी मदद करने का आरोप है. तुर्की के अधिकारियों के अनुसार 26 वर्षीया हयात बूमेदीन भागकर सीरिया चली गई है.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Samson
मृतकों की याद
शाम को और उसके अगले दिन लाखों लोगों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद ने इसे राष्ट्र के लिए त्रासदी बताया. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और दूसरे प्रमुख राजनेताओं ने रविवार को पेरिस में एकजुटता रैली में हिस्सा लिया.
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Alexandre
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मौकेकाइस्तेमाल
स्वाभाविक रूप से इससे संभावित आतंकवादियों की यात्राओं को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, लेकिन यूरोप के चरमपंथी युवाओं का ट्रेनिंग कैंपों में जाना मुश्किल जरूर हो जाएगा. पेरिस में शार्ली एब्दो के दफ्तर पर हमला करने वाले दोनों क्वाची भाई अमेरिका की उड़ान प्रतिबंध लिस्ट पर थे. उनका अमेरिका जाना संभव नहीं था लेकिन यूरोप में वे बेरकटोक के घूम सकते थे. यूरोप में पुलिस अधिकारियों को संभावित हमलावरों का पता करने और उनकी निगरानी करने के लिए अधिक लोगों की जरूरत है. यह स्कैंडल ही है कि फ्रांस ने पुलिसकर्मियों की कमी के कारण क्वाची भाइयों की निगरानी हमले से कुछ ही महीने पहले रोक दी थी. हमें जेल में इस्लामी कट्टरपंथियों को अलग थलग करने की भी जरूरत है ताकि जेल में लोग चरमपंथी न बन सकें.
इस सिलसिले में अमेरिकी खुफिया सेवा एनएसए के बारे में नए सिरे से विचार होना चाहिए. भारी निगरानी के कारण उसके पास विश्व भरे के आतंकी नेटवर्क के बारे में मूल्यवान जानकारियां हैं, जिसका यूरोपीय खुफिया सेवाएं भी इस्तेमाल कर रही हैं. डाटा सुरक्षा और निजता भी जरूरी है लेकिन क्या आतंकवाद से सुरक्षा के लिए हमें उसमें कुछ सीमाएं स्वीकर नहीं करनी चाहिए? आतंकी नेटवर्क के बारे में ज्यादा जानकारी से हर हमले को रोकना संभव नहीं होगा लेकिन यह कोशिश न करने की दलील नहीं हो सकती.
किसी यहूदी सुपर बाजार में या सड़क पर पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले चरमपंथी राक्षसों को रोकना आसान नहीं है. लेकिन यह हमलावर भी अकेला नहीं था, वह एक नेटवर्क का सदस्य था, उसकी गर्लफ्रेंड उसकी राजदार थी. उसने हथियार का बंदोबस्त बेल्जियम में किया. उसने जरूर किसी न किसी से बात की होगी, इसके निशान छोड़े होंगे. फ्रांसीसी अधिकारियों को समय रहते इसका पता नहीं चला. आखिर क्यों?