सोमवार को एक बार फिर लोगों ने अवैध रूप से सुरंग में प्रवेश करना चाहा. स्थानीय पुलिस ने मंगलवार को आंकड़ा 600 के करीब बताया. पिछले हफ्ते इस तरह से सुरंग में घुसने से सूडान के एक 30 वर्षीय व्यक्ति की जान चली गयी. जून से अब तक कम से कम दस लोगों की इस तरह से मौत हो चुकी है. ये लोग ब्रिटेन में रह रहे अपने परिजनों तक पहुंचने की चाह में सुरंग का रास्ता ले रहे हैं.
यूरोपीय आयोग का कहना है कि आप्रवासियों की समस्या से निपटने के लिए वह फ्रांस को दो करोड़ यूरो की मदद राशि की पहली किस्त देगा. ब्रिटेन को भी 2.7 करोड़ यूरो मुहैया कराए जा चुके हैं. यूरोपीय आयोग के आप्रवासन और आंतरिक मामलों के आयुक्त दिमित्रिस आवरामोपूलोस ने बताया कि 2014 से 2020 के बीच आप्रवासियों से निपटने के लिए फ्रांस को कुल 26 करोड़ और ब्रिटेन को 37 करोड़ यूरो दिए जाएंगे. इसके अलावा आयोग ने तकनीकी सहयोग देने की भी बात कही है, जिसके तहत आवेदन पत्रों को जल्द प्रोसेस किया जा सकेगा.
आवरामोपूलोस ने बयान जारी कर कहा है, "यूरोपीय सीमा सुरक्षा एजेंसी फ्रंटेक्स आप्रवासियों की पहचान करने और उन्हें पंजीकृत करने में मदद कर सकती है." यह सुरंग उत्तरी फ्रांस के कैले से शुरू होती है, जहां पुलिस अवैध आप्रवासियों को हिरासत में ले रही है. आवरामोपूलोस ने इस बारे में कहा, "हम आप्रवासियों की ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं, जहां संख्या असाधारण है और इसका सीधा संबंध यूरोप के इर्दगिर्द चल रहे संकटों से है. यह एक ऐसी चुनौती है जो सभी देशों की सीमाओं के परे है और हमें एकजुट हो कर इससे निपटना होगा."
75,000 की आबादी वाला फ्रांस का कैले एक टूरिस्ट आकर्षण रहा है. यह एक ऐसा खूबसूरत शहर है जिसका जिक्र चार्ल्स डिकेंस और विक्टर हूगो के उपन्यासों में भी मिलता है. लेकिन ताजा संकट के चलते यहां टूरिज्म पर भारी असर पड़ रहा है. यहीं से यूरोस्टार ट्रेन यूरोप की मुख्य भूमि को ब्रिटेन से जोड़ती है. अवैध रूप से यहां आ रहे आप्रवासियों की बढ़ती संख्या को ले कर शहर की मेयर ने भी चिंता जताई है और टूरिज्म को हो रहे नुकसान के लिए ब्रिटेन को जिम्मेदार ठहराते हुए मुआवजा मांगने की बात भी कही है.
आईबी/एमजे (एएफपी, एपी)
उन देशों पर भी दबाव बढ़ रहा है जहां ये लोग शरण के लिए पहुंच रहे हैं. जर्मनी पूरा जोर लगा कर इन लोगों को शरण देने की कोशिश में है.
तस्वीर: Reutersतेजी से बढ़ रहे शरणार्थियों की संख्या के कारण हर राज्य में आप्रवासियों के लिए विशेष ठिकाने बनाए गए हैं जहां ये शरणार्थी आवेदन स्वीकृत होने तक रह सकते हैं. पुराने अस्पतालों, मकानों और होटलों को भी इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Fredrik von Erichsenजर्मनी के कई शहरों में शरणार्थियों को जगह देने के लिए होटेल किराए पर लिए गए हैं. आना नाम का एक होटल फ्रैंकफर्ट में किराए पर लिया गया. इतना ही नहीं कोलोन में तो नीलामी में एक चार सितारा होटल (तस्वीर में) को शरणार्थियों के लिए खरीद लिया गया.
तस्वीर: DW/G. Borrudबंदरगाह शहरों में पुराने जहाजों को भी इन लोगों के लिए उपयोग में लिया जा रहा है. कई शहरों में सुपर मार्केट के खाली गोदामों में या फिर कंटेनरों में भी रहने की व्यवस्था की जा रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Sebastian Widmannसितंबर में ही जर्मनी ने शरणार्थी नीति में बदलाव किए हैं. नई नीति के मुताबिक अब बाल्कान देशों से किसी को जर्मनी में शरण नहीं दी जाएगी. 2013 में डेढ़ फीसदी शरणार्थी सर्बिया, मैसेडोनिया और बोस्निया हर्जेगोविना से आए. कई अल्पसंख्यक समुदाय के शरणार्थियों ने बर्लिन में कुछ इस तरह से घर बना लिए थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Bernd von Jutrczenkaशुरुआत में जर्मनी में शरणार्थी आवास बनाए जाने का विरोध हुआ. लेकिन धीरे धीरे शहरों ने स्थानीय लोगों को अपने साथ लेना शुरू किया. अब ये लोग भी आप्रवासियों की मदद करने के लिए तैयार हुए हैं और लोगों में जागरूकता बढ़ रही है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसीरिया और इराक से आने वाले बच्चों को अक्सर मुश्किल होती है कि वह अपनी पढ़ाई कहां करें. कई स्कूलों में खास सुविधा शुरू की गई है ताकि ये बच्चे भी स्कूलों में पढ़ाई कर सकें. भाषा सीखने के लिए उन्हें अलग से पढ़ाया भी जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मनी के गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में जनवरी से लेकर अक्टूबर तक एक लाख पंद्रह हजार लोग जर्मनी में शरण के लिए पहुंचे. ये संख्या पिछले साल की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा है.
तस्वीर: Reuters/Murad Sezerइराक और सीरिया में जारी संघर्ष के कारण जर्मनी सहित यूरोपीय देशों में शरण की मांग करने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था के मुताबिक सीरिया और इराक से शरण मांगने वाले लोगों की संख्या सात लाख तक पहुंच सकती है.
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