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यूरो रहेगा जी20 में मुख्य मुद्दा

१४ जून २०१२

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा है कि यूरो संकट जी20 देशों की बैठक का मुख्य मुद्दा बना रहेगा. अब भी उनका मानना है कि संकट को तभी टाला जा सकेगा जब सरकारें अपना खर्च कम करेंगी और ढांचागत सुधारों को लागू किया जाएगा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

"हमें दोबारा विकास के कामों पर उधार के पैसे लगाने से बचना होगा." जी20 के लिए रवाना होने से पहले मैर्केल ने जर्मन संसद में कहा. उनका मानना है कि यूरो मुद्रा को बचाया जा सकता है, अगर समस्या की जड़ तक पहुंचा जाए और कुछ देशों में प्रतिस्पर्धा को सुधारा जाए. लेकिन मैर्केल कहती हैं कि बजट को दुरुस्त करना और विकास को आगे बढ़ाना, दोनों को साथ चलना होगा.

इस बीच निवेश रेटिंग एजेंसी मूडीज ने स्पेन की रेटिंग को गिरा दिया है. अब उसे निवेश के लिए खतरनाक बताया जा रहा है. पिछले ही हफ्ते यूरो नेताओं ने स्पेन को 100 अरब यूरो की मदद देने का फैसला किया है ताकि वहां के बैंकों को बचाया जा सके. लेकिन मूडीज के मुताबिक इससे स्पेन के सरकार के कर्ज में बढ़ोतरी होगी. लेकिन इस मदद के बावजूद कम ही निवेशक स्पेन के सरकारी कर्जे को खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं क्योंकि पेंशन जैसे संगठन इतने जोखिम भरे निवेश में अपने पैसे नहीं डालना चाहते. मूडीज का कहना है कि स्पेन के बैंकों में ऊंचे ब्याज दर निवेशकों को नहीं भा रहे हैं, जिस वजह से स्पेन को मजबूर हो कर यूरोपीय संघ की मदद लेनी पड़ी है.

वहीं बचत को लेकर जर्मनी के रुख की आलोचना हो रही है. फ्रांस जैसे देश चाहते हैं कि बचत के बजाय विकास को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदमों पर ध्यान दिया जाए. लेकिन मैर्केल ऐसा नहीं सोच रहीं. उनका मानना है कि इस संकट का उपाय बचत और सुधार है और यूरोपीय संघ में पैसों को सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा. जर्मनी में भी विपक्ष के नेता मैर्केल की आलोचना कर रहे हैं. सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के फ्रांक वाल्टर स्टाइनमायर ने कहा, "अगर 27 यूरोपीय देश कुछ नहीं करते हैं और केवल अपने खर्च कम करते हैं तो संकट से बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं, यह मंदी में और घुसने का तरीका है."

तस्वीर: dapd

लेकिन मैर्केल कहती हैं कि मंदी में घुस रहे देशों को विश्वास और राजस्व बढ़ाने के लिए मेहनत करनी होगी. खासकर इसलिए क्योंकि इनके लिए यूरोक्षेत्र की उधार की सीमाओं को बढ़ाया गया है. लेकिन इटली और स्पेन में यूरो संकट को बढ़ते देख कई यूरोपीय नेताओं ने कहा है कि जर्मनी को साझा आधार पर गारंटी या यूरोबॉन्ड शुरू करने चाहिए. मैर्केल का कहना है कि यह मुमकिन है और जर्मनी बैंकों पर निगरानी रखने के लिए एक केंद्रीय यूरोपीय संस्थान के लिए भी तैयार है लेकिन यह तभी हो सकता है जब सरकारें यूरोपीय संघ को और ताकत सौपेंगी.

मेक्सिको के लोस गाबोस जाने से पहले उन्होंने कहा कि यूरोप को तभी स्थिर किया जा सकता है जब जर्मनी की अपनी ताकतों को जरूरत से ज्यादा न आंका जाएं. "हां, जर्मनी ताकतवर है, जर्मनी यूरोप का आर्थिक इंजन है और स्थिर है. लेकिन हम जानते हैं कि जर्मनी की ताकत असीमित नहीं है."

एमजी/एमजे(डीपीए,एपी)

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