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यूरो संकट पर काबू पाने की मशक्कत

१४ सितम्बर २०११

ग्रीस के दिवालिया होने की आशंकाओं के बीच पूरे यूरोप में वेल आउट पैकेज और यूरो को सहारा देने वाले भावी कदमों पर चर्चा हो रही है. अभी भी साफ नहीं है कि क्या ग्रीस बेल आउट की अगली किश्त की शर्तें पूरी कर सकेगा या नहीं.

तस्वीर: dapd

यूरो जोन के देश लगातार दबाव में हैं और इसके प्रतिनिधियों के पास ग्रीस पर भरोसा करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पूरा जोर लगा कर दूसरे बेल आउट का पैसा ग्रीस पहुंचाने की कोशिश कर रहा है ताकि यूरो मुद्रा इस्तेमाल करने वाले देशों के गले से संकट का फंदा ढीला हो. 13 सितंबर को फिनलैंड के प्रधानमंत्री यिरकी काटाइनन और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने बर्लिन में मुलाकात की.

फिनलैंड जर्मनी की बातचीत

वैसे यह तो राजनीतिक परंपरा है कि अतिथि और मेजबान पहले एक पाले में आने की घोषणा करते हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और फिनलैंड के प्रधानमंत्री यिरकी काटाइनन यूरो मुद्रा संकट के समय में खुद को एक ही पाले में खड़ा बताते हैं. दोनों ही देश उन पर कड़े नियम लागू करना चाहते हैं जिनका घरेलू घाटा लगातार बढ़ रहा है. काटाइनन कहते हैं, "हमारी स्थिति बेहतर करने के लिए साझा कड़े नियम बनाए जाने जरूरी हैं. इसका मतलब है कि सिर्फ समालोचना करना नहीं बल्कि यूरो के लिए एक नया कानून जो उन देशों पर प्रतिबंध लगा सके जो लगातार साझा लक्ष्यों तक पहुंचने की कोशिशों से बाहर जा रहे हैं और हमारे लिए बनाए गए निर्धारकों का पालन नहीं कर रहे."  

मैर्केल, सारकोजी और पापान्द्रेऊ की बातचीततस्वीर: dapd

पत्रकारों के सवाल उठाने पर फिनलैंड की विशेष गारंटी वाला मुद्दा उठा. 109 अरब यूरो के बड़े बेल आउट पैकेज में अपने हिस्से के लिए फिनलैंड ने विशेष गारंटी की मांग की थी जिस पर बाकी यूरो देश नाराज हैं. क्योंकि यूरो देशों का सिद्धांत है संकट की स्थिति में एक साथ खड़े होना. फ्रांस और जर्मनी दोनों ही फिनलैंड के इस कदम से नाराज हैं. इस मुद्दे पर अंगेला मैर्केल ने कहा, "मुझे लगता है कि अगर हम रास्ता ढूंढना चाहते हैं तो हम ढूंढ ही लेंगे. यह रास्ता ऐसा होगा जो सभी सदस्य देशों के लिए खुला हो और फिनलैंड की विशेष जरूरतों को भी पूरा करता हो. इस मुद्दे पर फिलहाल विशेषज्ञ काम कर रहे हैं. मुझे पूरा विश्वास है कि यह अच्छा होगा."

समझौते जरूरी

समझौते की तलाश है क्योंकि ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स भी फिनलैंड के बाद अतिरिक्त गारंटी की मांग कर रहे हैं. यूरो देश जल्दी इस विवाद को सुलझा लेना चाहते हैं क्योंकि उन्हें विश्वास है कि बेल आउट से यूरो मुद्रा का संकट काबू में आ जाएगा.

उधर मूडी इंन्वेस्टर सर्विस ने फ्रांस की क्रेडिट एग्रीकोल एसए और सोसिएत गेनेराल की क्रेडिट रेटिंग गिरा दी है. इस कारण यूरो जोन के देशों को एक बड़ा झटका लगा है. रेटिंग एजेंसी ने बीएनपी पारिबास बैंक की रेंटिग रहने दी है. एजेंसी की दलील है कि बैंक का लाभ और पूंजी ग्रीस और पुर्तगाल को पैसे देने के लिए ठीक है.

खतरे की घंटी 

चीन और अमेरिका की चिंतातस्वीर: AP

  अंतरराष्ट्रीय अलार्म के तहत चीन और अमेरिका ने यूरोप के नेताओं से अपील की है कि वह यूरोप के आर्थिक संकट की समस्या को जल्द काबू में लाएं. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि मौद्रिक नीति का समन्वय और प्रभावी तरीके से किया जाना चाहिए. उधर चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने बीजिंग में अपने सबसे बड़े व्यापार साझेदार जर्मनी को मदद करने की पेशकश की लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी कि यूरो संकट को फैलने से रोका जाना चाहिए.

वहीं निवेशकों में चिंता है कि यूरो जोन के 17 देश इस समस्या से उबर पाएंगे. ताकि इटली इस भंवर में न फंसे इसके लिए देश में 54 अरब यूरो के बचत पैकेज का प्रस्ताव रखा गया है. गुरुवार दोपहर इटली की संसद ने बजत का प्रस्ताव पारित कर दिया है. आज जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोला सारकोजी और ग्रीस के प्रधानमंत्री गियोर्गियोस पापांद्रेऊ टेली-कॉन्फरेंस करेंगे.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/एजेंसियां/आभा एम

संपादनः महेश झा

 

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