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ये शार्क अंधेरे में हरे रंग की क्यों दिखती है

९ अगस्त २०१९

यह छिपने का शायद बेहतरीन तरीका नहीं हो सकता लेकिन शार्क की कुछ प्रजातियां सागर के तल पर चमकदार हरे रंग की दिखने लगती हैं जो उनकी तरह की दूसरी शार्कों को नजर आता है.

Floreszierenden Haie
तस्वीर: David Gruber

वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने उस मॉलिक्यूल का पता लगा लिया है जिसकी वजह से यह समुद्री शिकारी जैविक तौर रूप से प्रदीप्त होता है और मुमकिन है कि यह सूक्ष्म जीवों के संक्रमण से जूझने में भी मदद करता हो. यह रिसर्च रिपोर्ट आईसाइंस जर्नल में छपी है. 

न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और रिसर्च के सह लेखर डेविड ग्रुबर का कहना है, "यह दूसरे समुद्री जैविक प्रदीप्त से बिल्कुल अलग है. यह प्रोटीन से अलग एक छोटा मॉलिक्यूल है और यह दिखाता है कि नीले समुद्र के भीतर जीवों में नीले रंग को अवशोषित करने और उसे दूसरे रंग में बदलने की अलग क्षमता स्वतंत्र रूप से विकसित हो रही है."

तस्वीर: Kyle McBurnie

रिसर्च स्वेल शार्क और चेन कैटशार्क पर केंद्रित थी. इन जीवों के बारे में ग्रुबर ने सैन डिएगो के तटों पर स्कूबा डाइव के दौरान अध्ययन किया था. उनका कहना है कि ये दोनों टीवी पर दिखने वाले व्हाइट या टाइगर शार्क की तुलना में ज्यादा शर्मीले हैं. ग्रुबर ने बताया, "ये एक मीटर लंबे होते हैं और समंदर की तली पर लेटे रहते हैं, यह बहुत शर्मीले हैं और अच्छे तैराक नहीं हैं." ये शार्क समुद्र में 30 मीटर या उससे ज्यादा की गहराई में ही रहते हैं जहां स्पेक्ट्रम के सिर्फ नीले रंग सिरा व्याप्त होता है, अगर आपको शार्क काट ले और खून निकलने लगे तो यह काली स्याही जैसा दिखेगा.

ग्रुबर और येल यूनिवर्सिटी में उनके साथी रहे जेसन क्रॉफर्ड ने देखा की शार्क की त्वचा में दो रंग हैं, एक हल्का और दूसरा गहरा. हल्के रंग वाली त्वचा में मौजूद रसायनों में प्रदीप्ति वाले मॉलिक्यूल की खोज के बाद उन्हें पता चला कि शार्क नीली रोशनी ग्रहण कर हरा रंग बाहर भेजती है. शार्क की आंखें की खास रचना उन्हें नीले हरे रंग के फलक के लिए संवेदनशील बनाती है.

ग्रुबर ने डाइव के दौरान देखा कि शार्क समूह में रहती हैं, एक समूह में दो से 10 शार्क हैं, इसका मतलब है कि वो सामाजिक हैं. इसमें एक ख्याल आया कि क्या वो इन रंगों के जरिए अलग अलग लिंगों में फर्क करती हैं या फिर किसी अलग शार्क की पहचान तय करती हैं. इन शार्को में ऐसे मेटाबोलाइट मिले जो शार्क के लिए सूक्ष्म जीवों से सुरक्षा में मददगार हो सकते हैं. मेटाबोलाइट उपापचय (मेटाबॉलिज्म) के लिए जरूरी पदार्थ को कहते हैं.

क्रॉफर्ड का कहना है कि समुद्री जीवों की जैविक प्रदीप्ति को समझ कर एक दिन मेडिकल इमेजिंग की दिशा में बड़ी कामयाबी हासिल की जा सकती है. दूसरी तरफ ग्रुबर मानते हैं कि हाल के वर्षों में शार्कों के बारे में हुई बड़ी खोजों से पता चलता है कि करीब 40 करोड़ साल से मौजूद इस समुद्री जीव के बारे में हम अब भी कितना कम जानते हैं.

एनआर/ओएसजे (एएफपी)

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