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ईयू में प्लास्टिक प्रतिबंध

५ नवम्बर २०१३

यूरोपीय संघ ने सदस्य देशों से आग्रह किया है कि वह अपने देश में प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल कम करें. ईयू का प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं है लेकिन प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करने की एक ठोस कोशिश जरूर है.

तस्वीर: Gavin Parson/Marine Photobank

यूरोपीय संघ के पर्यावरण आयुक्त यानेज पोटोनिक ने कहा, "प्लास्टिक बैग हमारी थ्रो अवे सोसायटी का प्रतीक है. वह ऐसे पदार्थ से बना है, जो कई सौ साल चलता रहता है, फिर भी हम उन्हें सिर्फ कुछ मिनट ही इस्तेमाल करते हैं. " उन्होंने बताया कि हर साल आठ अरब प्लास्टिक की थैलियां कूड़े में फेंकी जाती हैं, जो पर्यावरण को बेहद नुकसान पहुंचाती हैं.

अब यूरोपीय संघ ने प्रस्ताव रखा है कि उसके सदस्य देश अपने यहां प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल बंद करें. साथ ही ऐसी थैलियों पर भी रोक लगाएं जिनकी मोटाई 50 माइक्रोन यानि 0.05 मिलीमीटर हो. इन्हें मोटी प्लास्टिक थैलियों की तुलना में बहुत कम देर के लिए इस्तेमाल किया जाता है, और ये आसानी से कूड़े में फेंकी जाती हैं.

इसके अलावा फेंकी जा सकने वाली शॉपिंग बैग्स पर अनिवार्य चार्ज और कुछ मामलों में प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है. ये प्रस्ताव बाध्यकारी नहीं हैं, लेकिन यूरोपीय संघ इस तरह के उपायों का इस्तेमाल कर सदस्य देशों में प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल औसतन 80 फीसदी कम करना चाहता है. अगर समस्या बनी रहती है तो फिर आयोग कुछ और कदम उठाएगा.

पतली प्लास्टिक की थैलियां कम करेंतस्वीर: rdnzl - Fotolia.com

समुद्री चिड़ियाओं के मरने का एक बड़ा कारण प्लास्टिक भी है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं को आजकल औसतन 31 प्लास्टिक के कण मरे हुए जीवों के पेट में मिलते हैं. यह ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. इन आंकड़ों से वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि करीब 18 हजार प्लास्टिक के कण समंदर के ऊपर हर वर्ग किलोमीटर में तैर रहे हैं. कई मामलों में ये माइक्रोस्कोप से देखे जा सकते हैं तो अन्य में पूरी की पूरी प्लास्टिक की थैलियां तैर रही हो सकती हैं.

हजारों साल तक

कुछ कृत्रिम पदार्थ 450 साल तक विघटित नहीं होते. इनमें से अधिकतर प्लास्टिक है. नाबू के मुताबिक, "प्लास्टिक की थैलियों का 80 फीसदी जमीन से पानी में पहुंचता है. इसका मतलब है कि ये थैलियां जहाज से पानी में नहीं फेंकी जातीं. बल्कि ये पर्यटकों, निवासियों, तटों, नदियों या हवा से होती हुई समंदर में पहुंचती हैं." खासकर के एकदम पतली और हल्की प्लास्टिक की थैलियां. ये थैलियां पहली बार इस्तेमाल के बाद ही कचरे में पहुंच जाती हैं. यूरोपीय आयोग इन्हीं थैलियों के इस्तेमाल पर लगाम लगाना चाहता है. ईयू में हर साल 100 अरब प्लास्टिक की थैलियां इस्तेमाल होती हैं.

फिनलैंड में कम

यूरोपीय संघ के देशों में इस तरह की हल्की थैलियों का इस्तेमाल अलग अलग है. डेनमार्क और फिनलैंड में प्रतिव्यक्ति सालाना सिर्फ चार थैलियां इस्तेमाल होती हैं, तो पोलैंड, पुर्तगाल, स्लोवाकिया में यह आंकड़ा प्रतिव्यक्ति 450 है और जर्मनी में 70 प्रति व्यक्ति. कुछ सदस्य देशों ने इन थैलियों पर लगाम कसने में सफलता दर्ज की है. आयरलैंड ने कई साल से प्लास्टिक का इस्तेमाल महंगा कर दिया है. इस समय एक प्लास्टिक की थैली लेने पर 22 सेंट देने पड़ते हैं. अभी आयरलैंड में प्रति व्यक्ति औसतन 18 थैलियां ही उपयोग की जा रही हैं.

डेनमार्क के उत्तरी तट से निकला प्लास्टिक का कचरातस्वीर: picture-alliance/dpa

हालांकि बढ़ती अमीरी के साथ प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग एक सामान्य प्रक्रिया है जो विकासशील देशों में अक्सर देखी जाती है. इसके बाद प्लास्टिक की थैलियां खेतों, नहरों नदियों में दिखाई देती हैं. नदियों से होती हुई ये थैलियां और प्लास्टिक की बोतलें समंदर में पहुंचती हैं, अक्सर कई साल बाद. जर्मनी में प्रकृति संरक्षण के लिए काम करने वाले संघ नाबू में कचरा विशेषज्ञ बेन्यामिन बोनगार्ट कहते हैं, "समस्या इतनी बड़ी है कि हम उसे आंक ही नहीं सकते हैं." आज कोई नहीं बता सकता कि कितना प्लास्टिक समंदर में पहुंच चुका है. ये जरूर समझ में आता है कि प्रकृति जितना झेल सकती है, उससे कहीं ज्यादा प्लास्टिक है.

यूरोप के अलावा हल्की प्लास्टिक थैलियों पर प्रतिबंध चीन, केन्या, रवांडा और दक्षिण अफ्रीका में पहले ही लगाया जा चुका है.

रिपोर्टः अलोइस बैर्गेर/आभा मोंढे (डीपीए)

संपादनः एन रंजन

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