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रंग बिरंगे फूलों की दुनिया समेटे है कौएकेनहोफ़

१७ मई २०१०

ट्युलिप के फूलों के साथ यूरोप में वसंत का आगमन होता है. फ़िल्म निर्देशक यश चोपड़ा ने फिल्म सिलसिला में अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माए गए गाने के साथ हॉलैंड के ट्युलिप बागों का भारत परिचय कराया था.

तस्वीर: DW/Bryantseva

हॉलैंड में कौएकेनहोफ़ का ट्युलिप बाग़ इस साल के लिए रविवार को दर्शकों के लिए बंद हो गया. एम्स्टर्डम के पास कौएकेनहोफ़ हॉलैंड की पहचान बन गया है. हर साल 8 लाख से अधिक दर्शक फूलों की मनमोहक वादियों का आनंद लेने जाते हैं. फूलों का बाग़ पर्यटकों का आकर्षण है तो फूलों की खेती हॉलैंड के लिए कमाई का महत्वपूर्ण ज़रिया.

कौएकेनहोफ़ का बाग़ दुनिया की सबसे बड़ी फूलों की प्रदर्शनी है. अप्रैल से 32 हेक्टएर के क्षेत्र में 40 लाख ट्युलिप के पौधों के अलावा 35 लाख डेफ़ोडिल्स, हायसिंथ और क्रोकुस के पीले नीले रंगीन पौधों को वहां देखा जा सकता है.

तस्वीर: DW/Bryantseva

1949 से कौएकेनहोफ़ प्याज़ वाले फूलों के उद्योग का केंद्र बन गया है. एम्स्टर्डम से द हेग के बीच 3500 हेक्टर ज़मीन पर ग्लासघरों में ट्युलिप उगाए जाते हैं और मौसम कितना भी ठंडा हो, बर्फ गिर रही हो या धुंध हो, सही तापमान वाले हवाई जहाज़ों से उन्हें पूरी दुनिया में पहुंचाया जाता है, वसंत का अहसास कराने.

ट्युलिप से हॉलैंड का सदियों का नाता है. चार सदी पहले ट्युलिप सट्टेबाज़ी का लक्ष्य हो गया था. लोग फूलों के निकलने से पहले उसके रंगों पर बाज़ी लगाने लगे थे. हालत यहां तक पहुंची कि 1634 से 1637 के बीच विशेष प्रकार के ट्युलिप बीज़ों की क़ीमत एम्स्टर्डम में नहरों पर बने घरों की कीमत के बराबर हो गई थी. शेयर बाज़ार क्रैश हो गया, लेकिन हॉलैंड उससे उबर गया और ट्युलिप उपजाने में नंबर एक बना रहा.

तस्वीर: DW/Grazioli

साल दर साल सर्दियों से पहले ही प्याज़ जैसे दिखने वाले ट्युलिप के लाखों बीजों को जमीन के अंदर दबा दिया जाता है. मध्य मार्च तक उनके हरे हरे पौधे पूरे इलाके को हरी भरी वादियों में बदल डालते हैं. अप्रैल के शुरू होते होते कलियां फूटने लगती हैं और फिर रंगबिरंगे पौधे का समुद्र दिखने लगता है. सरसों के खेतों की तरह ट्युलिप की चादर बिछी दिखती हैं. 30 किलोमीटर के इलाके में 5500 अलग अलग प्रकार और रंगों के ट्युलिप बिछे नज़र आते हैं.

बहार के इस सीजन की पराकाष्ठा होती है अप्रैल के अंत में आयोजित होने वाली फूलों की झांकी. ट्रकों पर फूलों से बनाई गई इस झांकी को देखने दसियों हज़ार लोग हर साल उमर पड़ते हैं कौएकेनहोफ़ की ओर. फूलों से गढ़ी आकृतियां बनाने में तीन तीन दिन लगते हैं. ट्रक का खर्च किसान उठाते हैं, वही फूल देते हैं. आयोजन कमिटी की विल्मा फ़ान फ़ेल्त्सेन बताती हैं, "हर ट्रक को सजाने में 20 हज़ार यूरो खर्च होते हैं."

तस्वीर: DW/Bryantseva

हर साल कौएकेनहोफ़ ट्युलिप बाग़ का एक साथी देश होता है. 2010 में यह सम्मान रूस को मिला. 2011 में साथी देश जर्मनी होगा. फूलों की प्रदर्शनी 24 मार्च से 20 मई तक चलेगी. जर्मनी न सिर्फ़ हॉलैंड का पड़ोसी है, वहां हर साल जाने वाले 8 लाख पर्यटकों में सबसे बड़ी संख्या जर्मन पर्यटकों की होती है. हॉलैंड के लोगों को जर्मनी के पहाड़ अच्छे लगते हैं तो जर्मनों को हॉलैंड के समुद्र और वहां की रंग बिरंगी फूलों भरी वादियां.

रिपोर्ट: महेश झा

संपादन: एस गौड़

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