रण करेगी मीडिया का पर्दाफ़ाशः रामू
२७ जनवरी २०१०
दरअसल लीक से हटकर फिल्म बनाना रामगोपाल वर्मा को सदा ही पसंद रहा है, भले ही परिणाम कुछ भी हो. पेश है रामू से बातचीत:
मीडिया पर फ़िल्म क्यों?
मेरी फ़िल्म में ख़ासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया टीवी की बात की गई है. टेलीविजन लगातार चलता रहता है और पूरी दुनिया पर इसका असर दिखाई देने लगा है. जहां जाओ, न्यूज़ चैनल दिखाई देता है. आप इनसे बच नहीं सकते हैं. ज़्यादातर चैनलों का ध्यान ख़बरों को तोड़-मोड़ कर पेश करने पर रहता है. ये न्यूज़ चैनल कम और एंटरटेनमेंट चैनल ज्यादा लगते हैं. मुझे लगा कि यह एक उम्दा विषय हो सकता है इसलिए मैंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर फ़िल्म बनाने का निर्णय लिया और ‘रण' आपके सामने है.
पिछले कुछ वर्षों से मीडिया ने आपकी फ़िल्मों की काफ़ी बुराई की है, क्या इसीलिए आपने मीडिया को जवाब देने के लिए फ़िल्म बनाई है?
जी नहीं, इस फ़िल्म में हमने मनोरंजन जगत या फ़िल्म समीक्षकों के बारे में बात नहीं की है.
तो क्या कोई संदेश देने की कोशिश फ़िल्म के ज़रिए की है?
संदेश कहानी के अंदर है. चरित्रों के ज़रिये मैंने अपनी बात कही है. मेरा मानना है कि कहानी कहना फ़िल्म निर्माण का पहला उद्देश्य होना चाहिए. मेरी कहानी मीडिया के वर्किंग स्टाइल को लेकर है. मीडिया सबको एक्सपोज करता है, ‘रण' के ज़रिये हमने मीडिया का पर्दाफ़ाश करने की कोशिश की है.
क्या आप मानते हैं कि वर्तमान में मीडिया अपने उद्देश्य से भटक गया?
प्रिंट मीडिया के बजाय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रतिस्पर्धा का ज़्यादा असर दिखाई देने लगा है. ज़्यादातर न्यूज़ चैनलों के लिए सारा खेल टीआरपी का हो गया है. वे सिर्फ़ पैसा कमाना चाहते हैं और टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में सनसनीखेज और आधारहीन ख़बरों को बढ़ावा दे रहे हैं. जबकि उनका काम लोगों को सच से परिचित कराना है. दुनिया भर की जानकारी देना है, लेकिन ये पूरी ज़िम्मेदारी के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं.
आपने अमिताभ बच्चन को हमेशा चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं दी हैं. क्या ‘रण' में भी हमें अमिताभ अलग तरह की भूमिका में देखने को मिलेंगे?
बिल्कुल. पूरी कहानी का केन्द्र बिंदु अमिताभ हैं और एक बार फिर उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है.
इस वर्ष आपकी और कौन-सी फिल्म आने वाली हैं?
'रक्त चरित्र' पर काम चल रहा है. ‘फूंक 2' पूरी हो गई है और अप्रैल में रिलीज़ होगी.
सौजन्यः समय ताम्रकर (वेबदुनिया)
संपादनः ए कुमार