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रब्बानी की हत्या का मतलब, शांति दूर है

२१ सितम्बर २०११

अफगानिस्तान में जंग खत्म करने की कोशिशों को यह सबसे बड़ा धक्का है. पूर्व राष्ट्रपति और शांति परिषद के अध्यक्ष बुरहानुद्दीन रब्बानी का कत्ल इस बात का संकेत है कि देश में अभी शांति की बात सुनने वाला कोई नहीं.

तस्वीर: picture alliance / dpa

बुरहानुद्दीन रब्बानी का मंगलवार शाम एक आत्मघाती बम धमाके में कत्ल कर दिया गया. इस कत्ल के जरिए तालिबान ने बता दिया है कि वह शांति समझौते की राजनीतिक कोशिशों के लिए कतई तैयार नहीं है. राजनीतिक हत्याओं की कड़ी में यह हाल की सबसे बड़ी हत्या है. इससे अफगानिस्तान के लोगों में भी संदेश जाएगा कि उनका भविष्य अब भी डांवाडोल है.

रब्बानी ताजिक समुदाय से थे और उनकी हत्या समाज में दरार भी डाल सकती है जो अफगानिस्तान के पहले से खराब हालात को और बिगाड़ सकती है. रब्बानी की हत्या जिस तरह से की गई, वह अपने आप में इस बात का संकेत है कि विद्रोही किसी भी सूरत में शांति के लिए तैयार नहीं हैं. काबुल पुलिस प्रमुख के दफ्तर से जारी एक बयान में बताया गया, "तालिबान का एक सदस्य शांतिवार्ता के लिए रब्बानी के घर गया था. उसने अपनी पगड़ी में बम छिपा रखा था. घर के अंदर जाकर उसने बम धमाके में खुद को उड़ा दिया." इस हमले में राष्ट्रपति हामिद करजई के वरिष्ठ सलाहकार मासूम स्तानेकजाई गंभीर रूप से घायल हो गए.

तस्वीर: AP

कौन थे रब्बानी

बुरहानुद्दीन रब्बानी 1980 के दशक में देश की ताकतवर मुजाहिदीन पार्टी के नेता थे. देश में सोवियत संघ की मौजूदगी के दौरान वह एक ताकतवर नेता के रूप में उभरे. 1990 के दशक में सोवियत फौजों की वापसी के बाद जब देश में सत्ता हासिल करने के लिए अलग अलग धड़ों के बीच लड़ाई हो रही थी, तब वह राष्ट्रपति रहे.

अफगान एनालिस्ट्स नेटवर्क की केट क्लार्क कहती हैं, "मैं रब्बानी को देश के छह सबसे बड़े नेताओं में से एक मानती हूं. हालांकि शांति परिषद के अध्यक्ष के तौर पर उनका काम उनके प्रभाव को जाहिर नहीं कर पाया."

तालिबान की नई रणनीति

इसी साल जुलाई में राष्ट्रपति हामिद करजई के सौतेले भाई अहमद वली करजई की हत्या हुई थी. उनकी हत्या उनके परिवार के भरोसेमंद गार्ड ने की थी.

दो हफ्ते पहले ही आतंकवादियों ने राजधानी पर एक बड़ा हमला किया और 20 घंटे तक शहर को बंधक बनाए रखा. इस हमले से साबित हो गया कि अमेरिकी फौज का 2014 तक अफगानिस्तान से चले जाने का फैसला बेमायने है.

रब्बानी की हत्या को जानकार राष्ट्रपति करजई के लिए भी बड़ा धक्का मान रहे हैं. एक राजनयिक ने बताया, "रब्बानी का कत्ल राष्ट्रपति करजई और सरकार की शांति स्थापना की प्रक्रिया के लिए बड़ा धक्का है. इससे पता चलता है कि सरकार अपने सबसे अहम लोगों की सुरक्षा तक नहीं कर सकती."

तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने तालिबान की तरफ से इस हमले की जिम्मेदारी कबूल करते हुए बताया कि यह योजना काफी लंबे समय से बनाई जा रही थी. फोन पर उसने कहा, "हमारे केंद्रीय नेतृत्व ने दो बहुत ही समझदार और प्रशिक्षित लड़ाकों को रब्बानी से संपर्क साधने का जिम्मा सौंपा था. वे दोनों रब्बानी के घर पर अक्सर उनसे मिलते थे और उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और उनके सुरक्षाकर्मियों का भरोसा जीत लिया था. उन्होंने रब्बानी से कहा था कि वे जल्दी ही बड़े तालिबानी नेतृत्व को बातचीत के लिए लेकर आएंगे."

यूं तो तालिबान अक्सर अपनी बातों को बढ़ाचढ़ा कर पेश करता रहा है लेकिन मुजाहिद का यह बयान सच के काफी करीब लगता है क्योंकि रब्बानी की हत्या लगभग इसी तरह हुई है. मुजाहिद का कहना है कि उन्होंने कई और बड़े नेताओं की हत्या की ऐसी ही योजना बना रखी है.

तस्वीर: AP

अमेरिकी रणनीति में बदलाव नहीं

अमेरिकी सेना भी इस बात को मानती है कि तालिबान अहम लोगों की हत्याओं में कामयाब हो रहा है लेकिन इसका विश्लेषण अलग तरह से किया जाता है. वॉशिंगटन का कहना है कि इन हत्याओं से जाहिर होता है कि तालिबान मैदानी लड़ाई में विफल हो गया है. हालांकि सेना के कमांडरों का कहना है कि उनकी रणनीति में कोई बदलाव नहीं होगा. इसी हफ्ते अपना पद छोड़ रहे यूएस जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष माइक मुलेन कहते हैं, "हम जानते हैं कि तालिबान ऐसा कर रहे हैं. लेकिन हम जो कर रहे हैं, हमें उसे ही संभालना होगा. हम इस बात से वाकिफ हैं कि वे ऐसा ही करते रहने की कोशिश करेंगे. लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस वक्त हमें अपनी रणनीति में बड़े बदलाव करने चाहिए."

अमेरिकी विदेश मंत्री लियोन पेनेटा भी इसी सुर में बात करते हैं. वह कहते हैं, "अहम बात अब भी यही है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. हमने तालिबान के खिलाफ बढ़त बनाई है और हम इस तरह की कुछ छिटपुट घटनाओं को बाधा बनने नहीं दे सकते."

कोशिशें जारी रहेंगी

यूएन में महासभा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे राष्ट्रपति करजई ने भरोसा दिलाया है कि रब्बानी के कत्ल से उनकी कोशिशों में कमी नहीं आएगी. उन्होंने अपना दौरा छोटा करते हुए देश लौटने की बात कही. वह सालभर पहले अमेरिका के सेना वापस बुलाने के एलान के बाद पहली बार ओबामा से मिले.

तस्वीर: AP

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रब्बानी की हत्या को एक त्रासद नुकसान बताया है. उन्होंने कहा कि बरसों से जारी हिंसा को खत्म करने के लिए अफगान समाज के विभिन्न तत्वों को साथ जोड़ना होगा. अमेरिका पहले ही कह चुका है कि वह तालिबान के साथ बातचीत के लिए तैयार है ताकि युद्ध का राजनीतिक हल खोजा जा सके. लेकिन अब तक इस दिशा में हुईं शुरुआती कोशिशें खास कामयाब नहीं रही हैं और रब्बानी के हत्या ने तो रास्ते ही बंद कर दिए हैं.

अफगानिस्तान में तैनात अंतरराष्ट्रीय फौज (आईएसएएफ) के कमांडर जनरल जॉन आर. एलेन ने भी इस हत्या की निंदा की है. उन्होंने कहा, "यह इस बात का एक और भयानक संकेत है कि तालिबानी देश के बाहर कुछ भी कहते रहें, वे शांति नहीं सिर्फ युद्ध चाहते हैं."

यूएन महासचिव बान की मून ने रब्बानी की हत्या की निंदा की है. उन्होंने कहा, "मुझे इससे बहुत ज्यादा धक्का लगा है. देश में शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहे लोगों पर इस हमले की मैं सबसे कड़े शब्दों में निंदा करता हूं." ब्रिटेन समेत दुनिया के कई बड़े देशों ने रब्बानी की हत्या की निंदा की है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः आभा एम

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