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रमजान में जीत का जश्न चाहते हैं लीबियाई बागी

१७ अगस्त २०११

लीबियाई नेता कर्नल गद्दाफी इस बात पर कायम हैं कि उनकी सत्ता को कोई खतरा नहीं है. लेकिन विद्रोही दावा कर रहे हैं कि रमजान खत्म होते होते जंग भी खत्म हो जाएगी.

तस्वीर: dapd

लीबियाई शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफी की सत्ता के खिलाफ लड़ रहे विद्रोहियों का कहना है कि जंग अब आखिरी दौर में है और कुछ ही हफ्तों में अपने अंजाम तक पहुंच जाएगी. बुधवार को कई मोर्चों पर अहम जीत हासिल करने से उत्साहित विद्रोही नेताओँ ने दावा किया है कि छह महीने से चल रहा गृह युद्ध अब बस कुछ ही हफ्तों में खत्म हो सकता है.

दोबारा जोश में आईं विद्रोही सेनाएं गद्दाफी शासन की सीमाओँ को छोटा करते हुए एक पश्चिमी शहर की ओर बढ़ रही हैं. यह शहर सिर्ते और राजधानी त्रिपोली को जोड़ता है. सिर्ते गद्दाफी का गृह नगर है और उनकी सेनाओं का मजबूत गढ़ भी. विद्रोही सेना के कमांडर ने एक बयान जारी कर कहा, "क्रांतिकारियों के छापामार दल गद्दाफी की सेनाओं को खदेड़ते हुए अल हाइशा के इर्द गिर्द पहुंच गए हैं."

तस्वीर: picture alliance/dpa

अल हाइशा मिसराता के 70 किलोमीटर दक्षिण में है. त्रिपोली यहां से बस 250 किलोमीटर दूर है. विद्रोही अब त्रिपोली को अलग थलग कर देने की नीति पर काम कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि ऐसा होने पर सत्ता के लोगों में दरार पड़ जाएगी और राजधानी के लोग भी 42 साल पुराने शासन के खिलाफ उठ खड़े होंगे.

कहीं जीत, कहीं हार

पैरिस में राष्ट्रीय ट्रांजीशनल काउंसिल के राजदूत मनसूर सैफ अल-नस्र ने मंगलवार को कहा था कि विद्रोहियों ने जावियाह कस्बे पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है. यह त्रिपोली के पश्चिम में एक तेल बंदरगाह है जो राजधानी को ट्यूनीशिया से जोड़ता है. अल-नस्र ने कहा, "हम निर्णायक दौर में पहुंच रहे हैं. हम रमजान के खत्म होते होते आखिरी जीत का जश्न मनाने की उम्मीद कर रहे हैं."

भले ही विद्रोही जावियाह पर कब्जे का दावा कर रहे हों लेकिन सब कुछ पूरी तरह विद्रोहियों के पक्ष में नजर नहीं आता. समाचार एजेंसी एएफपी के एक रिपोर्टर ने मंगलवार को देखा कि गद्दाफी की फौजों ने शहर पर बमबारी की जिसमें कई नागरिक घायल हुए. सोमवार को भी भारी गोलाबारी हुई थी. इस गोलाबारी में मारे गए 23 लोगों का अंतिम संस्कार मंगलवार को हुआ.

तस्वीर: dapd

गद्दाफी अब भी इस बात पर कायम हैं कि जीत उन्हें ही हासिल होगी. लीबियाई टेलीविजन पर एक संदेश में नाटो पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "साम्राज्यवादियों का अंत नजदीक है. चूहों का खात्म भी जल्द होगा." लीबियाई शासन ने किसी भी तरह के खतरे को पूरी तरह खारिज कर दिया है. उसका दावा है कि पिछले दिनों में जो भी शहर विद्रोहियों ने जीते हैं, फौज उन्हें जल्दी ही वापस ले लेगी.

वैसे विद्रोहियों ने माना है कि पूर्वी मोर्चे पर उन्हें ब्रेगा शहर में फौज से लड़ते हुए खासा नुकसान हुआ है. विद्रोही प्रवक्ता मोहम्मद जाविवा ने मंगलवार को कहा, "सोमवार से हमें ब्रेगा के मोर्च पर 15 जवानों का नुकसान हुआ है. लेकिन लड़ाई जारी है."

अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक जंग

लड़ाई राजनीतिक मोर्चे पर भी जारी है जिसका हथियार और तीखे होते बयान हैं. गद्दाफी को वेनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज और ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद का समर्थन मिला है. शावेज और अहमदीनेजाद ने सोमवार को फोन पर हालात के बारे में चर्चा की. वेनेजुएला के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, "दोनों नेताओँ ने लीबिया और सीरिया के खिलाफ साम्राज्यवादी ताकतों के आक्रमण के बारे में चर्चा की. उन्होंने शांति स्थापित करने के लिए कोशिशें बढ़ाने पर सहमति जताई."

तस्वीर: picture alliance/dpa

दूसरी तरफ अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि गद्दाफी का राज अब कुछ ही दिनों का मेहमान है. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पनेटा ने कहा कि गद्दाफी की फौजों को पीछे धकेल दिया गया है और अब वे बचाव की कोशिश में हैं. विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने इसे जीत का संकेत बताते हुए कहा कि गद्दाफी के दिन अब गिनती के बचे हैं.

कोई बातचीत नहीं

बेनगाजी में विद्रोही राष्ट्रीय ट्रांजीशनल काउंसिल गद्दाफी शासन के लोगों को तोड़ने की कोशिश कर रही है. काउंसिल के अध्यक्ष मुस्तफा अब्देल जलील ने लोगों से गद्दाफी शासन का साथ छोड़ने का आह्वान किया और कहा कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का मौका मिलेगा और आम माफी भी मिल सकती है. हालांकि उनका यह प्रस्ताव गद्दाफी और उनके सबसे करीबी लोगों के लिए नहीं है. इनमें गद्दाफी के बेटे सैफ अल-इस्लाम और खुफिया एजेंसी के प्रमुख अब्दुल्लाह अल-सेनुसी शामिल हैं. जलील ने साफ किया, "जिन पर भी आरोप हैं या जिनके खिलाफ भी (अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय से) वॉरंट जारी हुए हैं, वे अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत आएंगे और हम उन्हें बचाने या उनके लिए आम माफी स्वीकार करने की स्थिति में नहीं होंगे."

जलील ने इस बात को भी खारिज कर दिया कि गद्दाफी शासन के खिलाफ किसी तरह की बातचीत चल रही है. उन्होंने कहा कि गद्दाफी के हटते ही सत्ता का हस्तांतरण होगा. ऐसी खबरें आई थीं कि उनकी काउंसिल के कुछ सदस्य ट्यूनीशिया में गद्दाफी के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. लेकिन जलील ने कहा, "सीधे या पर्दे के पीछे किसी भी तरह की बातचीत नहीं हो रही है." अधिकारियों ने कहा कि ट्यूनीशिया में जो लोग बातचीत में हिस्सा ले रहे हैं उनका काउंसिल से कोई लेना देना नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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