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राजनयिकों की उपस्थिति में कश्मीर में हमला

चारु कार्तिकेय
१८ फ़रवरी २०२१

श्रीनगर के एक कड़ी सुरक्षा वाले इलाके में ऐसे समय में आतंकी हमला हुआ जब विदेशी राजनयिकों का एक दल कश्मीर के दौरे पर है. सवाल उठ रहे हैं कि इस हमले के पीछे नई डोमिसाइल नीति का विरोध है या कुछ और.

Indien Kaschmir Proteste Straßensperre
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin

बुधवार 17 फरवरी को अज्ञात हमलावरों ने श्रीनगर के डलगेट इलाके में कृष्णा ढाबा नाम के एक स्थानीय ढाबे पर गोलियां चलाईं. हमले में ढाबे के मालिक के बेटे आकाश मेहरा को गोलियां लगीं और अब उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक 'मुस्लिम जांबाज फॉर्स जे एंड के' नाम के एक ऐसे आतंकवादी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है जिसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है.

इन रिपोर्टों के मुताबिक संगठन ने एक बयान में कहा है कि उसने ढाबे पर हमला इसलिए किया क्योंकि उसका मालिक 'बाहरी' होने के बावजूद कश्मीर में अधिवास या डोमिसाइल दर्जा हासिल करना चाहता था.कृष्णा ढाबा को श्रीनगर का एक लोकप्रिय ढाबा माना जाता है. वो दशकों से श्रीनगर के ऐसे इलाके में स्थित है जहां अमूमन कड़ी सुरक्षा रहती है.

जम्मू और कश्मीर के हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस का निवास और भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के सैन्य पर्यवेक्षक समूह का दफ्तर ढाबे से बस 200 मीटर की दूरी पर स्थित हैं. इसके अलावा वो होटल भी ढाबे के करीब ही है जहां जम्मू और कश्मीर के दौरे पर आए 24 विदेशी राजनयिकों के रहने का इंतजाम किया गया है. उनके दौरे की वजह से श्रीनगर में पहले से ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम थे.

श्रीनगर में एक जुलाई 2020 को सुरक्षाकर्मियों और संदिग्ध आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में फंस कर मारे गए बशीर अहमद के जनाजे में शामिल लोग.तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa

क्या है डोमिसाइल पर विवाद

सवाल उठ रहे हैं कि इसके बावजूद हमले का होना क्या सुरक्षा इंतजामों में हुई चूक की तरफ इशारा करता है. दिसंबर में श्रीनगर में ही एक 65-वर्षीय जोहरी को बीच बाजार में गोली मार दी गई थी. सतपाल निश्चल की हत्या की जिम्मेदारी 'रेजिस्टेंस फ्रंट' नाम के एक आतंकवादी संगठन ने ली थी. सतपाल श्रीनगर में कई दशकों से रह रहे थे लेकिन उन्हें कुछ ही दिनों पहले डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिला था, जिसके बाद उन्होंने श्रीनगर में एक मकान खरीदा था.

'रेजिस्टेंस फ्रंट' ने अपने बयान में कहा था कि सतपाल "बाहरी लोगों को श्रीनगर में बसाए जाने के एक प्रोजेक्ट का हिस्सा था और जो भी डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल करेगा उसे जबरदस्ती कब्जा करने वाले के रूप में देखा जाएगा." कृष्णा ढाबा पर हमले को भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है.

2019 में जम्मू और कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद केंद्र सरकार 2020 में एक नया कानून ले कर आई जिसके तहत देश के किसी भी राज्य के लोग जम्मू और कश्मीर में डोमिसाइल सर्टिफिकेट हासिल कर अचल संपत्ति खरीद सकते हैं. अभी तक करीब 10 लाख सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं, जिनमें से अधिकतर स्थानीय लोगों को दिए गए हैं. कितने गैर-कश्मीरी लोगों को सर्टिफिकेट दिए गए हैं इस बारे में सरकार ने अभी तक जानकारी नहीं दी है.

पांच अगस्त 2020 को कश्मीर की स्वायत्ता के अंत होने के एक साल पूरा होने पर श्रीनगर की वीरान सड़कों पर पहरा देता एक सुरक्षाकर्मी.तस्वीर: Reuters/D. Ismail

स्थानीय लोगों में संदेह

श्रीनगर के वरिष्ठ पत्रकार रियाज वानी कहते हैं कि कश्मीर में इस नई डोमिसाइल नीति को लेकर काफी नाराजगी क्योंकि कई स्थानीय लोग यह मानते हैं कि इसके जरिए कश्मीर में जनसंख्या का स्वरूप ही बदलने की कोशिश की जा रही है. वानी ने डीडब्ल्यू को यह भी बताया कि कृष्णा ढाबा पर हुए हमले को लेकर स्थानीय लोगों में यह भी संदेह है कि यह हमला जानबूझ कर होने दिया गया ताकि विदेशी राजनयिकों को संदेश दिया जा सके कि घाटी में हालात अभी भी नाजुक हैं और इस वजह से वहां लागू प्रतिबंधों और सुरक्षाकर्मियों की तैनाती को बनाए रखने की जरूरत है.

इस तरह के आरोप सेना पर पहले भी लगे हैं. 20 मार्च 2000 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे के मौके पर अनंतनाग जिले के चिट्टीसिंघपुरा गांव में 35 सिक्खों को गोली मार दी गई थी. सरकार का कहना था कि यह हमला लश्कर-ए-तैयबा ने करवाया था लेकिन कई स्थानीय लोगों ने सेना को इस नरसंहार का जिम्मेदार बताया था.

हमलावरों का आज तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन हमले के बाद सेना ने अनंतनाग के पास पांच लोगों को इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तानी आतंकवादी बताते हुए गोली मार दी थी. उसके बाद एक सरकारी जांच में सामने आया था कि वो सब मासूम स्थानीय थे और सेना ने उन्हें फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया था.

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