राजदूत हत्याकांड की जांच करने तुर्की पहुंची रूसी टीम
२० दिसम्बर २०१६
राजदूत आंद्रेई कार्लोव की हत्या की जांच करने के लिए रूस ने अपने अधिकारी तुर्की भेजे. सोमवार को एक तुर्क पुलिस अधिकारी ने रूसी राजदूत को गोली मार दी.
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अंकारा में तैनात रूसी राजदूत आंद्रेई कार्लोव की सोमवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी गई. 62 साल के कार्लोव अंकारा में एक आर्ट एक्जीबिशन को संबोधित कर रहे थे. तभी उन पर गोलियां चलीं. हमलावर का नाम मेवलुत मेर्ट अलतिनास था. 22 साल का अलतिनास तुर्की की दंगारोधी पुलिस का जवान था.
रिपोर्टों के मुताबिक अपने पुलिस आईकार्ड का इस्तेमाल कर वह आर्ट एक्जीबिशन में पहुंचा. भीतर दाखिल होते वक्त उसने मेटल डिटेक्टर ऑफ कर दिया और पिस्तौल अंदर ले जाने में सफल हुआ. रूसी राजदूत आंद्रेई कार्लोव उस वक्त प्रदर्शनी को संबोधित कर रहे थे. हत्यारा उनके बगल में खड़ा था. संबोधन के दौरान ही उसने कार्लोव पर गोलियां दागी. राजदूत को मारने के बाद अलतिनास ने कहा, "अलेप्पो को मत भूलो, सीरिया को मत भूलो." हत्याकांड के 15 मिनट बाद अलतिनास पुलिस की कार्रवाई में मारा गया.
तुर्की के अखबार हुर्रियत के मुताबिक हमले से पहले अलतिनास ने प्रदर्शनी के पास में एक होटल लिया. हमले की तैयारी उसने होटल में ही की. ड्यूटी न होने के बावजूद सोमवार शाम वह सूट और टाई पहनकर राजदूत को निशाना बनाने के लिए निकला.
रूस समेत दुनिया भर के देशों ने कार्लोव की हत्या की निंदा की है. तुर्की ने हत्याकांड को रूस और तुर्की के संबंधों में दरार डालने कोशिश बताया है. हत्याकांड के बाद तुर्क राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को फोन भी किया. एर्दोवान ने रूस को हर मुमकिन सहयोग देने का वादा किया. फोन पर हुई बातचीत के बाद रूस ने हत्याकांड की जांच के लिए अपनी टीम को तुर्की भेजने का फैसला किया. मंगलवार को रूस ने 18 जांचकर्ताओं की एक टीम अंकारा भेजी.
रिश्तों की उथल पुथल
नाटो के सदस्य तुर्की के संबंध रूस से कभी बहुत अच्छे नहीं रहे. नवंबर 2015 में तुर्की ने रूस के एक लड़ाकू विमान को मार गिराया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया. इस घटना के बाद रूस ने तुर्की के फलों और सब्जियों के आयात पर रोक लगा दी. रूस की टूरिस्ट एजेंसियों ने तुर्की के पैकेज बंद कर दिये. इससे तुर्की दबाव में आ गया.
रुस ने तुर्की पर सीरिया में अशांति फैलाने का आरोप भी लगाया.
इसी दौरान जुलाई 2016 में तुर्की में राष्ट्रपति एर्दोवान के तख्तापलट की कोशिश हुई. उस दौरान हुई हिंसा में 300 से ज्यादा लोग मारे गए. एर्दोवान का आरोप है कि विदेशी ताकतें उन्हें सत्ता से बेदखल करना चाहती हैं. एर्दोवान का इशारा पश्चिम की तरफ था. बीते कुछ सालों में तुर्की और जर्मनी के संबंध भी बिगड़े हैं. यूरोपीय संघ के अहम देश जर्मनी के साथ आए दिन तुर्की की खटपट हो रही है. ऐसे में एर्दोवान ने रूस के साथ दोस्ती करने की कोशिश की. लेकिन रूसी राजदूत की हत्या ने एक बार मॉस्को को नाराज कर दिया है.
व्लादिमीर पुतिन के अलग अलग चेहरे
फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2016 के सबसे ताकतवर इंसान हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप हैं. आइए, देखते पुतिन की शख्सियत के अलग-अलग पहलू.
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केजीबी से क्रेमलिन तक
पुतिन 1975 में सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी में शामिल हुए थे. 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर नियुक्त किया गया. यह विदेश में उनकी पहली तैनाती थी. बर्लिन की दीवार गिरने के बाद वह वापस रूस चले गए. बाद में वे येल्त्सिन की सरकार में शामिल हो गए. बोरिस येल्त्सिन ने घोषणा की कि पुतिन उनके उत्तराधिकारी होंगे और उन्हें रूस का प्रधानमंत्री बनाया गया.
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पहली बार राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री के तौर पर नियुक्ति के समय पुतिन आम लोगों के लिए एक अनजान चेहरा थे. लेकिन अगस्त 1999 में सब बदल गया जब चेचन्या के कुछ हथियारबंद लोगों ने रूस के दागेस्तान इलाके पर हमला किया. राष्ट्रपति येल्त्सिन ने पुतिन को काम सौंपा कि चेचन्या को वापस केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में लाया जाए. नए साल की पूर्व संध्या पर येल्त्सिन ने अचानक इस्तीफे का ऐलान किया और पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया.
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दमदार व्यक्तित्व
मीडिया में पुतिन की अकसर ऐसी तस्वीरें छपती रहती हैं जो उन्हें एक दमदार व्यक्तित्व का धनी दिखाती हैं. उनकी यह तस्वीर सोची में एक नुमाइशी हॉकी मैच की है जिसमें पुतिन की टीम 18-6 से जीती. राष्ट्रपति ने आठ गोल किए.
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बोलने पर बंदिशें
रूस में एक विपक्षी रैली में एक व्यक्ति ने मुंह पर पुतिन के नाम की टेप लगा रखी है. 2013 में क्रेमलिन ने घोषणा की कि सरकारी समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती को नए सिरे से व्यवस्थित किया जाएगा. उसका नेतृत्व एक क्रेमलिन समर्थक अधिकारी को सौंपा गया जो अपने पश्चिम विरोधी ख्यालों के लिए मशहूर था. रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर नाम की संस्था प्रेस आजादी के मामले में रूस को 178 देशों में 148वें पायदान पर रखती है.
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पुतिन की छवि
पुतिन को कदम उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है. केजीबी का पूर्व सदस्य होना भी इसमें मददगार होता है. इस छवि को बनाए रखने के लिए अकसर कई फोटो भी जारी होते हैं. इन तस्वीरों में कभी उन्हें बिना कमीज घोड़े पर बैठा दिखाया जाता है तो कभी जूडो में अपने प्रतिद्वंद्वी को पकटते हुए. रूस में पुतिन को देश में स्थिरता लाने का श्रेय दिया जाता है जबकि कई लोग उन पर निरंकुश होने का आरोप लगाते हैं.
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सवालों में लोकतंत्र
जब राष्ट्रपति पुतिन की यूनाइटेड रशिया पार्टी ने 2007 के चुनावों में भारी जीत दर्ज की तो आलोचकों ने धांधली के आरोप लगाए. प्रदर्शन हुए, दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया और पुतिन पर लोकतंत्र को दबाने के आरोप लगे. इस पोस्टर में लिखा है, “आपका शुक्रिया, नहीं.”
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खतरों के खिलाड़ी
काले सागर में एक पनडुब्बी की खिड़की से झांकते हुए पुतिन. क्रीमिया के सेवास्तोपोल में ली गई यह तस्वीर यूक्रेन से अलग कर रूस में मिलाए गए इस हिस्से पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन का पूरी तरह नियंत्रण होने का भी प्रतीक है.