1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'राजनीतिक वजह से सिंगापुर गई लड़की'

२८ दिसम्बर २०१२

एक अखबार ने दावा किया है कि बलात्कार की शिकार लड़की को मेडिकल नहीं, राजनीतिक वजहों से सिंगापुर भेजा गया. सरकार ने एक्सपर्ट से बस इतना पूछा कि क्या लड़की सिंगापुर ले जाने की हालत में है, यह नहीं कि इसकी जरूरत है या नहीं.

तस्वीर: Reuters

भारत के प्रतिष्ठित द हिन्दू अखबार ने उन एक्सपर्ट के हवाले से रिपोर्ट दी है कि इस फैसले का राजनीतिक महत्व ज्यादा था और यहां तक कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी इस बारे में राय ली गई.

रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली के एम्स के अलावा गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल के एक्सपर्टों से राय ली गई. इनमें शामिल एक डॉक्टर का कहना है, "हमसे सिर्फ यह सवाल पूछा गया कि क्या उसे ले जाना सुरक्षित रहेगा. यह नहीं पूछा गया कि क्या इलाज में कुछ ऐसी कमी हो रही है, जिसकी भरपाई की जा सकेगी. उसे यहां जितना संभव है, उस लिहाज से सर्वश्रेष्ठ इलाज दिया जा रहा था."

इस फैसले के बाद मेडिकल एक्सपर्ट ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं कि बेहद नाजुक स्थिति में बलात्कार की पीड़ित लड़की को सिंगापुर क्यों ले जाया गया. दिल्ली के मशहूर सर गंगा राम अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण और गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर समीरन नुंदी ने कहा, "मैं इस बात को नहीं समझ पा रहा हूं कि एक बेहद नाजुक मरीज को, जिसके खून और शरीर में इंफेक्शन है, और जो बुखार से तप रहा है और जो वेंटिलेटर पर रखा गया है, उसे क्यों ले जाया गया."

तस्वीर: Getty Images

अभी नहीं हो सकता ट्रांसप्लांट

उन्होंने कहा, "अगर आंत का प्रत्यारोपण करने की संभावना पर सोचना भी है, तो इसमें कई हफ्तों का वक्त लगेगा. तो ऐसे में किसी सर्वश्रेष्ठ इलाज की व्यवस्था वाली जगह से उसे क्यों हटाया गया. यह ज्यादा राजनीतिक फैसला लगता है."

चलती बस में गैंग रेप की शिकार छात्रा की हालत मंगलवार को बेहद बिगड़ गई थी और उसे दिल का दौरा पड़ने के बाद करीब पांच मिनट तक उसकी नब्ज स्थायी नहीं हो पा रही थी. इसके बाद सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टरों ने बाहर के एक्सपर्ट डॉक्टरों को बुलाया. बुधवार रात को आखिरी बार भारत में उसका मेडिकल बुलेटिन जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि वेंटिलेटर से बाहर वह सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रही है.

प्रधानमंत्री से राय

अखबार ने सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि लड़की को सिंगापुर भेजने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी राय ली गई क्योंकि उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी. इसके बाद दिल्ली में तैनात सिंगापुर के उच्चायुक्त की मदद से आनन फानन में दस्तावेज तैयार कराए गए और माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उसके इलाज की व्यवस्था कराई गई. दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले कहा था कि अगर "जरूरत पड़ी तो उसे विशेषज्ञता वाले अस्पताल में शिफ्ट किया जाना चाहिए."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल्ली में 16 दिसंबर की रात इस लड़की के साथ चलती बस में गैंग रेप किया गया, जिसके बाद बेहद खराब हालत में उसे सड़क पर फेंक दिया गया. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था, जहां वह जिंदगी से जंग कर रही थी. उसे कई बार होश आया और उसने इस बीच बयान भी दिए. उधर, इस कांड के विरोध में दिल्ली में लगातार प्रदर्शन होने लगे, जिसमें दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की मौत भी हो गई. सरकार इस पूरे कांड के बाद बेहद दबाव में है.

बेहतर इलाज पर सवाल

द हिन्दू ने विशेषज्ञ डॉक्टरों के हवाले से लिखा है कि इस बात को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि सिंगापुर ले जाने से उसे बेहतर इलाज मिलेगा. प्राइमस अस्पताल के डॉक्टर कौशल कांत मिश्रा ने कहा, "इस स्थिति में उसके अंग का प्रत्यारोपण करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. सबसे पहले इंफेक्शन को नियंत्रित करना होगा. इसके बाद मरीज सामान्य होगा, तभी यह हो सकेगा. मुझे समझ नहीं आता कि उसे ले जाने की इतनी जल्दी क्या थी. भारत के दूसरे अस्पतालों की तरह सफदरजंग अस्पताल में भी इलाज की सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं मौजूद हैं और डॉक्टर गंभीर से गंभीर मरीज का इलाज करने में सक्षम हैं."

एम्स के एक दूसरे डॉक्टर ने कहा, "जब प्रधानमंत्री का यहां इलाज हो सकता है और उनका ऑपरेशन किया जा सकता है, तो फिर किसी मरीज को सिंगापुर ले जाने की क्या वजह हो सकती है. सरकार जो कह रही है, वह बात पच नहीं रही है."

एम्स में जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉक्टर एमसी मिश्रा से भी इस फैसले से पहले राय ली गई थी. उन्होंने कहा कि चूंकि मरीज को शिफ्ट करने में सिर्फ वेंटिलेटर की मदद की जरूरत थी, लिहाजा उसकी भलाई को देखते हुए इस फैसले पर हामी भर दी गई क्योंकि सरकार ने ऐसा ही निर्देश दिया था. उन्होंने भी कहा कि फिलहाल उसकी आंतों के प्रत्यारोपण का प्रश्न ही नहीं है, "वह अभी भी नाजुक स्थिति में है और ट्रांसप्लांट सर्जरी में बहुत वक्त लगता है. इसमें तीन घंटे तक लग सकते हैं. हम इस बात को दावे के साथ नहीं कह सकते कि मौजूदा हालत में मरीज इतने लंबे ऑपरेशन के लिए तैयार है."

रिपोर्टः अनवर जे अशरफ

संपादनः ईशा भाटिया

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें