प्रधानमंत्री ने रविवार को अपने ताजा मन की बात में विवादास्पद मुद्दों पर राय व्यक्त करने के बदले उसका इसतेमाल अपने अभियानों को आगे बढ़ाने के लिए किया. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लोगों से बेटी के साथ सेल्फी पोस्ट करने के लिए कहा जिसे वे रिपोस्ट भी कर रहे हैं. उनकी अपील पर भारी प्रतिक्रिया हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा को रोकने और भेदभाव दूर करने के मकसद से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है. इसके साथ साथ सुकन्या समृद्धि खाता की योजना लड़कियों के जन्म और शिक्षा को प्रोत्साहित करने पर लक्षित है ताकि लड़के तथा लड़कियों के अनुपात की विषमता को दूर किया जा सके. भारत में प्रति 1000 लड़के पर सिर्फ 918 लड़कियां हैं. बेटे की चाह में बहुत से परिवार कन्या भ्रूण हत्या का सहारा लेते हैं.
प्रधानमंत्री का सेल्फी अभियान ऐसे समय में चल रहा है जब खबर आई है कि प्रधानमंत्री के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने के लिए समय नहीं है. दिल्ली सरकार ने सोमवार को पीएम से मुलाकात के लिए केजरीवाल द्वारा 10 दिन पहले मांगे गए समय पर जानकारी मांगी थी. जवाब में पीएमओ ने कहा कि फिलहाल वे बहुत व्यस्त हैं. पीएमओ ने मुख्यमंत्री को बहुत जरूरी होने पर गृह मंत्री या वित्त मंत्री से मिलने की सलाह दी है.
राजनीतिक विवादों के बीच अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी की सरकार में सुधारों की गति पर उत्पन्न कुछ व्यवधानों के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था धीमी रहेगी. अपनी ताजा भारत रिपोर्ट में मूडी ने कहा है कि भारत के आर्थिक विकास पर आम राय अपेक्षाकृत आशाजनक है. मूडी ने इस वित्तीय वर्ष में भारत में 7.5 प्रतिशत का आर्थिक विकास होने की बात कही है. मूडी ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रशासन में सुधारों की गति को लेकर निराशाओं और नीतिगत ठहराव के जोखिमों पर बढ़ती चिंता की बात की है.
भारत में देहाती आय में वृद्धि की दर निचली से मध्य एकल संख्या में अटक गई है जबकि 2011 में ग्रामीण इलाकों की औसत आय में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ था. ग्रामीण आय में वृद्धि की दर के धीमी होने की वजह आंशिक रूप से सरकारी खर्च में कटौती और केंद्र सरकार का वित्तीय अनुशासन है. मूडी का कहना है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में उसके बदलने के आसार नहीं हैं, हालांकि इस साल मौसम बहुत खराब रहा है और बारिश तूफान के कारण कई प्रांतों में फसल नष्ट हो गई हैं.
एमजे/एसएफ (पीटीआई)
भारत में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद लोकतांत्रिक संस्थाओं के कमजोर होने की शिकायतें होती रही हैं. अब बीजेपी नेता आडवाणी ने कहा है कि इमरजेंसी जैसी हालत पैदा होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Seelamभारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू संगठन आरएसएस के प्रचारक रहे हैं. प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे नेतृत्व की उम्मीद की जा रही है लेकिन हिंदुत्ववादी संगठनों के मुसलमानों के धर्मांतरण या "घर वापसी" जैसे विभिन्न अभियानों के खिलाफ उन्होंने कुछ नहीं कहा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Hussainनरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप है कि उनके मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इशारे पर काम करते हैं और हर महत्वपूर्ण मामले में उससे सलाह लेते हैं. मोहन भागवत आरएसएस के नेता हैं और उनके संगठन का एक सदस्य भारतीय जनता पार्टी का संगठन सचिव है.
तस्वीर: Strdel/AFP/Getty Imagesपारिवारिक राजनीति के लिए धार्मिक राजनीति का इस्तेमाल - अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल ने कहा है कि धर्म के विकास के लिए राज्य सत्ता जरूरी है. वे पंजाब के मुख्यमंत्री हैं, उनके पुत्र उप मुख्यमंत्री और पतोहु केंद्रीय मंत्री हैं.
तस्वीर: UNIबिहार को सालों बाद राजनीतिक स्थिरता देने के बावजूद विकास के बदले वंशवाद को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया. चारा घोटाले में लिप्त होने के कारण लालू यादव महीनों जेल में रहे और इस समय उनके चुनाव लड़ने पर रोक है.
तस्वीर: APसमाजवादी आंदोलन से उभरे मुलायम सिंह यादव परिवार को मजबूत करने और लालू यादव के साथ पारिवारिक गठबंधन बनाने के बाद अब जनता परिवार के मुखिया है. चुनावी राजनीति का संयोग ही है कि उत्तर प्रदेश से उनकी पार्टी के सारे सांसद उनके परिवार के ही हैं.
तस्वीर: Prabhakar Mani Tewariकांग्रेस का विरोध कर ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी बनाई. कम्युनिस्टों के विरोध के नाम पर सत्ता में आई. चूंकि पार्टी चलाने के लिए पैसे की भी जरूरत होती है, उन्होंने पार्टी के लिए धन जुटाने का काम गैरकानूनी तरीकों पर छोड़ दिया. इसी कारण से आज उनके कई सांसदों के खिलाफ जांच चल रही है.
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Imagesभ्रष्टाचार कांड में अयोग्य करार दिए जाने के बाद ऊंची अदालत में अपील जीतकर तमिल राजनीति की "अम्मा" जयललिता फिर से सत्ता में लौटी हैं. राजनीतिज्ञों की लोकप्रियता के कारण भारत राजनीतिक भ्रष्टाचार से निबटने का रास्ता नहीं ढूंढ पाया है.
तस्वीर: Dibyangshu Sarkar/AFP/Getty Imagesअलगाववाद की राजनीति करने वाले उद्धव ठाकरे सांप्रदायिक शिवसेना के नेता है. अब तक चुनाव नहीं लड़ा है, लेकिन पिता के बाद पार्टी के सर्वमान्य नेता और अधिनायक हैं. उनकी पार्टी मराठा सम्मान के लिए लड़ती है और मुंबई में बाहर से आए लोगों का विरोध करती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaगरीबी और विकास के अलावा भारत की प्रमुख समस्याओं में कश्मीर विवाद शामिल है. कश्मीर ढाई दशक से अलगाववादी विद्रोह का सामना कर रहा है. राजनीतिक प्रक्रियाएं लोगों को पर्याप्त रोजगार और सुरक्षा नहीं दे पाई हैं.
तस्वीर: AFP/Getty Images/T. Mustafaमाओवादी भी समाज की मुख्य धारा से बाहर हैं और खासकर जंगली इलाकों में स्थानीय निवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. उन्हें बातचीत की मेज पर लाने और उनकी मांगों पर लोगों का समर्थन जीतने के सार्थक प्रयास नहीं हुए हैं.
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