आपराधिक उम्मीदवारों को लेकर पार्टियों पर लगा जुर्माना
चारु कार्तिकेय
१० अगस्त २०२१
चुनावी उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं. बीजेपी और कांग्रेस समेत नौ राजनीतिक दलों पर ऐसे उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक ना करने पर जुर्माना भी लगाया है.
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सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी, सीपीआई और एलजेपी पर एक एक लाख रुपयों का जुर्माना लगाया है. सीपीएम और एनसीपी पर पिछले साल बिहार विधान सभा चुनावों के दौरान अदालत का आदेश ना मानने के लिए पांच लाख का जुर्माना लगाया गया है.
उस समय अदालत ने आदेश दिया था कि उम्मीदवारों को पार्टियों द्वारा चुनाव लड़ने के लिए चुने जाने के 48 घंटों के अंदर अंदर या नामांकन भरने से कम से कम दो सप्ताह पहले अपनी खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों की जानकारी पार्टी की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर देनी चाहिए.
वेबसाइट पर जानकारी
ताजा आदेश में अदालत ने पार्टियों को कहा है कि अब से उम्मीदवार को चुन लेने के 48 घंटों के अंदर अंदर ही यह जानकारी उन्हें अपनी वेबसाइट पर डालनी होगी. उन्हें अपनी वेबसाइट के होमपेज पर आपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए अलग से इंतजाम करना होगा.
इसके अलावा पार्टियों को अपनी वेबसाइट पर ही यह भी विस्तार से बताना होगा कि आपराधिक मामलों के बावजूद उन्होंने उस उम्मीदवार को क्यों चुना. इस संबंध में अदालत ने चुनाव आयोग को भी कई निर्देश दिए.
आयोग को अब एक मोबाइल ऐप बनाना पड़ेगा जिसमें सभी उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जानकरी उपलब्ध रहेगी, ताकि मतदात किसी धोखे में ना रह जाएं. कोर्ट ने आयोग से यह भी कहा कि वो इस ऐप और वेबसाइट के बारे में मतदाताओं के बीच विस्तार से जागरूक फैलाने के कदम उठाए.
चुनाव आयोग को कई आदेश
आयोग को एक अलग विभाग भी बनाना पड़ेगा जो इन कदमों के पालन की निगरानी करे और इस संबंध में कोर्ट को समय समय पर जानकारी देता रहे. अदालत ने कहा कि आदर्श रूप से तो आपराधिक पृष्ठभूमि के लोगों को चुनाव लड़ने का मौका ही नहीं मिलना चाहिए, लेकिन इस मामले में अदालत के हाथ बंधे हैं.
उसके अनुसार यह विधायक के कार्यक्षेत्र का विषय है और इस बारे में उपयुक्त कदम विधायिका को ही उठाने चाहिए. भारत में राजनीति का अपराधीकरण एक बहुत बड़ी समस्या है. हर चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि के सैकड़ों उम्मीदवार सामने आते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बीते सालों में इस स्थिति में सुधार लाने के लिए कई आदेश दिए हैं, लेकिन यह समस्या आज भी बनी हुई है.
गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हाल ही में प्रधानमंत्री समेत केंद्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों के हलफनामों का अध्ययन कर चौंकाने वाली जानकारी दी थी. एडीआर के मुताबिक 78 में से 33 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं. इनमें से 24 के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश, चोरी जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं.
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
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पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
तस्वीर: APImages
लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.