राजनीति में कोई नजदीकी नहीं होता: बाल ठाकरे
२८ मई २०११टाइम्स नाओ चैनल को दिए इंटरव्यू में ठाकरे ने कहा, "राजनीति में कोई किसी के करीब नहीं होता. करीब शब्द के मायने भी अलग होते हैं. आप किसी के पास भी होते हैं और किसी के लिए दरवाजा भी बंद करते हैं." 83 साल के हो चुके ठाकरे से जब पूछा गया कि क्या वह वैचारिक रूप से बीजेपी को नजदीक मानते हैं तो उन्होंने कहा कि इस पीढ़ी के नेताओं के करीब नहीं. "जब आडवाणी और वाजपेयी 20 साल पहले वहां थे तब बात अलग थी, वह समय और था."
यह पूछे जाने पर कि अब क्या बदल गया है तो ठाकरे ने जवाब दिया कि उनके सामने सभी नेता नए हैं. ठाकरे के मुताबिक राजनीति में कोई विचारधारा नहीं होती.
यह पूछे जाने पर कि क्या बीजेपी और शिवसेना गठबंधन 2014 चुनावों तक और भविष्य में जारी रहेगा, ठाकरे ने जवाब दिया, "राजनीति में आपके पास बड़ा कैनवास नहीं होता कि आप उसे रंग दें. कुछ भी कह पाना जल्दबाजी होगा. बीजेपी में नई पीढ़ी के पास नेतृत्व है. मैं अब बूढ़ी जमात में शामिल हो चुका हूं. भविष्य के बारे में उद्धव को ही फैसला करना है. यह सवाल उनसे पूछिए. यह तो उद्धव ठाकरे और नितिन गडकरी की पीढ़ी है."
ठाकरे ने माना कि जब 2005 में उनका भतीजा राज ठाकरे उन्हें छोड़ कर गया तो उन्हें बहुत दुख हुआ. "वह बच्चा था. मैं उसे गोद में लेकर खिलाता था." राज और उद्धव के बीच तुलना करने पर उन्होंने कहा कि राज उनकी नकल करने की कोशिश करता है जबकि उद्धव के पास अपना अलग अंदाज है. ठाकरे के मुताबिक राज ठाकरे के दिमाग में अब लीडरशिप घुस गई है.
बाल ठाकरे ने जनलोकपाल बिल के लिए गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन की आलोचना की. उन्होंने कहा कि वह राजनीति पर कार्टून बनाते हैं और जानते हैं कि राजनीति कैसी होती है. भ्रष्टाचार से निपटने के लिए बिल की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं को उन्होंने पाखंडी करार दिया. ठाकरे के मुताबिक अगर ऐसे बिल को लाया गया तो सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति से भी ज्यादा ताकत उसके पास होगी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: उभ