भारत में अक्सर राजनीतिज्ञों, अधिकारी और गुंडों की धुरी की बात की जाती है. लेकिन ऐसे अधिकारी भी हैं जो कानून के हिसाब से काम करते हैं. उम्मीद बंधती है कि भारत को कानून का राज्य बनाना संभव है.
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कर्नाटक की वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रूपा डी. मौद्गिल के एक भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग इन दिनों बहुत लोगों द्वारा देखी और सराही जा रही है क्योंकि इसमें उन्होंने बहुत बेबाकी के साथ एक पुलिस अधिकारी, खास कर महिला पुलिस अधिकारी के सामने आने वाली चुनौतियों और परेशानियों का वर्णन किया है. ये परेशानियां ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के सामने ही आती हैं जिनके आचरण की सराहना नहीं, आलोचना की जाती है क्योंकि उनके ऊपर बैठे अधिकारी और राजनीतिक नेता उन्हें नौकरशाही के कामकाज के निर्बाध एवं सुचारु रूप से चलने की राह में कांटा समझते हैं.
रूपा मौद्गिल के साथ भी वही हुआ है जो अन्य ईमानदार अधिकारियों के साथ होता है, जल्दी-जल्दी तबादला. विधान परिषद की विशेषाधिकार समिति के सामने कई सालों तक लगातार पेशी और मानहानि के मुकदमे.
हरियाणा में तो एक आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की किसी एक जगह काम करने की औसत अवधि चार माह के करीब है क्योंकि वे बड़ी मछलियों को पकड़ने से चूकते नहीं और फिर इसका खामियाजा भुगतते हैं. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ कंपनी के बीच हुए भूमि अनुबंध को रद्द करने के कारण उन पर जांच तक बैठा दी गयी थी.
ट्रैफिक पुलिसवाले की मूनवॉक देखी है..
ट्रैफिक पुलिस वाले तो आपने बहुत देखे होंगे लेकिन इंदौर के रंजीत सिंह की बात ही निराली है. वह किंग माइकल जैक्सन की तरह डांस करते हुए ट्रैफिक को संभालते हैं.
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माइकल जैक्सन के फैन
सड़क पर मूनवॉक करने वाला ट्रैफिक पुलिसकर्मी हो तो भला किसकी नजर उस पर नहीं पड़ेगी. रंजीत सिंह बताते हैं, "मैं बहुत सालों से माइकल जैक्सन का फैन हूं और 12 साल पहले उनके मूनवॉक स्टेप को कॉपी करके मैंने ट्रैफिक को रोका. शुरू में लोग हैरान थे लेकिन फिर उन्हें यह अच्छा लगने लगा और पहचान बनने लगी."
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थकाने वाला काम
वह कहते हैं, "ट्रैफिक को नियंत्रित करना एक थका देने वाला काम है. बहुत शोर होता है और कई लोग ठीक से गाड़ी नहीं चलाते. ऐसे में मूनवॉक से न सिर्फ आने जाने जाने वालों को, बल्कि ड्राइवरों को भी बहुत मजा आता है." वैसे रंजीत सिंह बॉलीवुड फिल्मों के भी खूब शौकीन हैं.
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सोशल मीडिया पर वायरल
20 लाख की आबादी वाले इंदौर में रंजीत सिंह अलग पहचान रखते हैं. साथ ही उनका यह अंदाजा फेसबुक पर भी हिट है. लगभग 50 हजार लोग फेसबुक पर उनकी गतिविधियों को फॉलो करते हैं जबकि हर दिन कोई न कोई उनका वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करता है.
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कम ट्रैफिक जाम
रंजीत का कहना है कि जिस हाई कोर्ट चौराहे पर उनकी ड्यूटी होती है, वहां ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की घटनाएं कम हुई हैं. एक यूनिवर्सिटी यह अध्ययन कर रही है कि क्या उनके तरीकों से ट्रैफिक जाम कम हुए हैं. भारत के शहरों में ट्रैफिक नियमों का पालन ना करने की समस्या बहुत आम है, जिसके कारण बहुत जाम लगते हैं.
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सेफ ड्राइविंग करें
रंजीत सिंह युवा लोगों को संभल कर गाड़ी चलाने की नसीहत देते हैं. उनका कहना है, "मैंने अभी तक हादसों में मारे गए 40 लोगों के शव उठाए हैं. बहुत खराब लगता है. मैं बस युवा लोगों से यही कहना चाहता हूं कि सेफ ड्राइविंग करें और नियमों का पालन करें."
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गर्व
रंजीत सिंह पर न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि उनके साथियों को भी नाज है. पहले उनके सहकर्मियों को लगता था कि नाच नाच कर ट्रैफिक ड्यूटी करना अजीब है. लेकिन बाद में उन्हें यह अंदाज पसंद आने लगा. अभी रंजीत अपने कई साथियों को भी इसकी ट्रेनिंग दे रहे हैं.
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जिंदा हैं जैक्सन
पॉप के किंग कहे जाने वाले माइकल जैक्सन ने 2009 में दुनिया को अलविदा कह दिया. लेकिन दुनिया भर में फैले उनके चाहने वालों के बीच वह अपने संगीत और डांस के खास अंदाज के कारण हमेशा जिंदा रहेंगे. रंजीत सिंह जैसे कई फैन तो उन्हें अपनी जिंदगी में उतार चुके हैं.
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दरअसल यह पूरी समस्या व्यवस्थागत भ्रष्टाचार और नौकरशाही के चरित्र से जुड़ी है. भारत की नौकरशाही, जिसमें पुलिस भी शामिल है, अंग्रेजी औपनिवेशिक राज की देन है. जाहिर है उसे औपनिवेशिक शासकों के हितों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था और देश की आबादी को दबा कर रखना इस शासन को चलाने के लिए अनिवार्य था. इसीलिए ब्रिटिश पुलिस और ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत में तैयार किए गए पुलिस बल में बहुत भारी और बुनियादी अंतर है.
फिर भी यह स्वीकार करना पड़ेगा कि अंग्रेजी राज में नौकरशाही पर राजनीतिक दबाव बहुत कम था. लेकिन आजादी के बाद जैसे-जैसे राजनीति में मूल्यों का क्षरण होता गया, भ्रष्ट नेता विधानसभाओं और संसद में चुन कर आना शुरू हुए और मंत्री आदि बने, वैसे-वैसे नौकरशाही का भी राजनीतिकरण होता गया. अब तो स्थिति यह है कि अधिकारी खुलेआम राजनीतिक नेताओं के साथ जुड़े हुए हैं. वे कानून और संविधान के मुताबिक नहीं, अपने राजनीतिक संरक्षक की इच्छा के मुताबिक काम करते हैं.
बहुत-से ऐसे लोग मंत्री बन जाते हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं. उनकी सेवा करना भी पुलिस के मनोबल को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. जान को खतरा होने के आधार पर पुलिस या अर्ध-सैनिक बलों के सुरक्षाकर्मियों को इनकी रक्षा करने की ड्यूटी पर लगाया जाता है क्योंकि नेता के चारों तरफ बंदूकधारियों का होना ऊंचे दर्जे का प्रतीक माना जाता है.
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
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पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
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लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.
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क्योंकि उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार राजनेता और अफसरशाही के बीच सांठ-गांठ के बिना नहीं हो सकता, इसलिए भ्रष्ट अफसर नेताओं की हर जायज-नाजायज बात मानने के लिए तैयार रहते हैं. सरकारी सेवा के नियम भी अधिकारी को यह छूट नहीं देते कि वह मंत्री के गैर-कानूनी आदेश की भी अवहेलना कर सके. इसलिए बहुत कम अधिकारी नेता या मंत्री के सामने डट कर खड़े होने का साहस कर पाते हैं.
भारतीय नौकरशाही और पुलिस के भीतर भी वही पुरुष वर्चस्ववादी धारणाएं और मूल्य भरे पड़े हैं जैसे समाज में हैं. स्त्री और उसकी निजता का सम्मान करना इनमें शामिल नहीं है. फिर एक स्त्री के तहत काम करना पुरुष अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को अपमानजनक भी लगता है. इसीलिए महिला अधिकारियों के प्रति उनमें एक प्रच्छन्न चिढ़ का भाव रहता है. जाहिर है ऐसे में उन महिला अधिकारियों का आजादी और उत्साह के साथ काम करना भी कठिन हो जाता है. नौकरशाही और पुलिस में संरचनागत सुधार किए जाने की आवश्यकता कई दशकों से महसूस की जा रही है लेकिन कई आयोगों द्वारा रिपोर्टें देने के बावजूद इस दिशा में कुछ खास नहीं हो पाया है. जब तक ये सुधार नहीं होते, इनकी कार्यप्रणाली में विशेष बदलाव आने की उम्मीद नहीं की जा सकती.
भारत के महाघोटाले
भारत में भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति के केंद्र में है. यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही. फिर भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आयी. एक नजर भारत के अब तक के महाघोटालों पर.
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कोलगेट स्कैम
यूपीए टू के समय सामने आया कोलगेट घोटाला 1993 से 2008 के बीच सार्वजनिक और निजी कंपनियों को कम दामों में कोयले की खदानों के आवंटन का था. कैग (सीएजी) की ड्राफ्ट रिपोर्ट में कहा गया था कि गलत आवंटन कर इन कंपनियों को 10,673 अरब का फायदा पहुंचाया गया था. इस घोटाले ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की छवि पर नकारात्मक असर डाला. हालांकि अदालत में यह घोटाला साबित नहीं हुआ.
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टूजी स्कैम
कंपनियों को गलत तरह से टूजी स्पैक्ट्रम आवंटित करने का यह महाघोटाला भी यूपीए सरकार के समय का है. कैग के एक अनुमान के मुताबिक जिस कीमत में इन स्पैक्ट्रमों को बेचा गया और जिसमें इसे बेचा जा सकता था उसमें 17.6 खरब रूपये का अंतर था. यानि देश को लगा कई खरब का चूना लगा. लेकिन अदालत में सीबीआई इसको साबित नहीं कर सकी. अदालत ने कहा कि कोई घोटाला ही नहीं हुआ.
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व्यापमं घोटाला
भाजपा शासित मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल की ओर से मेडिकल समेत अन्य सरकारी क्षेत्रों की भर्ती परीक्षा में धांधली से जुड़ा 'व्यापमं घोटाला' अब तक का सबसे जानलेवा घोटाला है. अब तक इससे जुड़े, इसकी जांच कर रहे या इस की खबर लिख रहे पत्रकारों समेत दर्जनों लोगों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो चुकी है.
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बोफोर्स घोटाला
स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी बोफोर्स के साथ राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के तोपों की खरीद के सौदे में घूसखोरी का ये घोटाला भारतीय राजनीति का सबसे चर्चित घोटाला है. 410 तोपों के लिए कंपनी के साथ 1.4 अरब डॉलर का सौदा किया गया जो कि इसकी असल कीमतों का दोगुना था. अदालत ने राजीव गांधी को इस मामले से बरी कर दिया था.
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कफन घोटाला
2002 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौर में सामने आया यह घोटाला कारगिल युद्ध के शहीदों के ताबूतों से जुड़ा था. शहीदों के लिए अमेरीकी कंपनी ब्यूट्रॉन और बैजा से तकरीबन 13 गुना अधिक दामों में ताबूत खरीदे गए थे. हर एक ताबूत के लिए 2,500 डॉलर दिए गए.
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हवाला कांड
एलके आडवानी, शरद यादव, मदन लाल खुराना, बलराम जाखड़ और वीसी शुक्ला समेत भारत के अधिकतर राजनीतिक दलों के नेताओं का नाम इस घोटाले में सामने आया. इस घोटाले में हवाला दलाल जैन बंधुओं के जरिए इन राजनेताओं को घूस दिए जाने का मामला था. इसकी जांच में सीबीआई पर कोताही बरतने के आरोप लगे और धीरे-धीरे तकरीबन सभी आरोपी बरी होते गए.
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शारदा चिट फंड
200 निजी कंपनियों की ओर से साझे तौर पर निवेश करने के लिए बनाए गए शारदा ग्रुप में हुआ वित्तीय घोटाला भी महाघोटालों में शामिल है. चिट फंड के बतौर जमा राशि को लौटाने के समय में कंपनी को बंद कर दिया गया. इस घोटाले में त्रिणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष जेल भजे गए. साथ ही बीजू जनता दल, बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस के कई अन्य नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुई हैं.
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ऑगस्टा वेस्टलैंड डील
इटली की हेलीकॉप्टर निर्माता फर्म ऑगस्टा वेस्टलैंड से 12, एडब्लू101 हेलीकॉप्टर्स की खरीददारी के इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी समेत कुछ भारतीय राजनीतिज्ञों और सेना के अधिकारियों पर घूस लेने के आरोप हैं. ऑगस्टा वेस्टलैंड के साथ इन 12 हेलीकॉप्टर्स के लिए ये सौदा 36 अरब रूपये में हुआ था.
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चारा घोटाला
करीब 9.4 अरब के गबन का चारा घोटाला भारत के मशहूर घोटालों में से एक है. यह घोटाला राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक अवसान की वजह बना. वहीं इस घोटाले से पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और शिवानंद तिवारी का भी नाम जुड़ा था.
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कॉमनवेल्थ
2010 में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेल, भारत में खेल जगत का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुए. इस खेल में अनुमानित तौर पर 70 हजार करोड़ रूपये खर्च किए गए. गलत तरीके से ठेके देकर, जानबूझ कर निर्माण में देरी, गैर वाजिब कीमतों में चीजें खरीद कर इस पैसे का दुरूपयोग किया गया था. इन अनियमितताओं के केंद्र में मुख्य आयोजनकर्ता सुरेश कल्माड़ी का नाम था.