राजस्थान में गुर्जर समुदाय से जुड़े लोगों ने उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग फिर से उठाई है. कई प्रदर्शनकारियों द्वारा ट्रेन की पटरियों पर बैठ जाने से रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं.
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गुर्जर समाज के लोग 2007 से आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उन्होंने पहले भी कई बार आंदोलन किए हैं, जिनमें कई बार स्थिति अप्रिय भी हो गई थी और हिंसा भी हुई थी. पूर्व में उनके लिए राज्य सरकार ने पांच प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा भी की है लेकिन इसे अदालतों में चुनौती दी गई है क्योंकि उसे लागू करने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने देश में आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा लगाई हुई है. एक बार फिर प्रदर्शनों की शुरुआत करते हुए गुर्जर नेता विजय बैंसला ने कहा कि पिछले दो सालों में आरक्षण के बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनकी चार बार बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी तक कुछ भी हुआ नहीं है.
उन्होंने कहा कि इसीलिए इस बार जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं उनका प्रदर्शन चलता रहेगा. बैंसला ने यह भी कहा कि एक तरफ तो बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार बैठे हुए हैं और दूसरी तरफ 25,000 नौकरियां अटकी हुई हैं, जिसकी वजह से युवाओं में बहुत गुस्सा है.
प्रदर्शनकारी भरतपुर जिले में पटरियों पर बैठ गए हैं जिससे दिल्ली-मुंबई राजधानी समेत कई विशेष ट्रेनों की सेवाओं पर असर पड़ा है. मीडिया में आई खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि इस बार गुर्जर आंदोलन में दो धड़े हैं, जिनमें एक का नेतृत्व बैंसला कर रहे हैं तो दूसरे का हिम्मत सिंह गुर्जर नाम के एक दूसरे गुज्जर नेता.
हिम्मत सिंह वाले धड़े के प्रतिनिधियों की शनिवार को राज्य सरकार से बातचीत हुई. उन्होंने राज्य सरकार की कैबिनेट उप-समिति द्वारा सुझाए गए 14 बिंदुओं से सहमति जताई और आंदोलन स्थगित करने देने का आश्वासन दिलाया. लेकिन बैंसला वाले धड़े ने आंदोलन जारी रखा हुआ है और घोषणा की है कि इस बार आरक्षण लिए बिना आंदोलन खत्म नहीं होगा.
राजस्थान में कांग्रेस विधायकों के विद्रोह के कारण एक संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है, जिसमें स्पीकर को हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा. हाल में और किन राज्यों में हुआ है सत्ता को लेकर संवैधानिक संकट?
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh
मध्य प्रदेश
नवंबर 2018 में हुए विधान सभा चुनावों में जीत हासिल कर कांग्रेस ने सरकार बनाई गई थी और कमल नाथ मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए और उनके साथ कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कमल नाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट का सामना करने का आदेश दिया. इसके कमल नाथ ने इस्तीफा दे दिया और शिवराज नए मुख्यमंत्री बने.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधान सभा चुनावों के बाद राज्यपाल ने बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए निमंत्रण दे दिया. कांग्रेस इस कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई और आधी रात को अदालत में सुनवाई हुई. बाद में अदालत ने राज्यपाल के फैसले को गलत ठहराते हुए फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जेडी (एस) के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने.
तस्वीर: IANS
कर्नाटक (दोबारा)
जुलाई 2019 में जेडी (एस) और कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की सरकार अल्पमत में आ गई. विधायक जब मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गए तब अदालत ने स्पीकर को विधायकों का इस्तीफा मंजूर करने का आदेश दिया और बाद में उन्हें अयोग्य घोषित किए जाने से सुरक्षा भी प्रदान की. विधान सभा में फ्लोर टेस्ट हुआ और कुमारस्वामी की सरकार गिर गई. बीजेपी के येदियुरप्पा फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
तस्वीर: picture-alliance/robertharding/S. Forster
महाराष्ट्र
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र विधान सभा चुनावों के नतीजे आ जाने के दो सप्ताह तक रही अनिश्चितता के बीच एक दिन अचानक राज्यपाल ने बीजपी नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी. कांग्रेस और एनसीपी ने राज्यपाल के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. अदालत के फ्लोर टेस्ट के आदेश देने पर फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना ने मिलकर सरकार बनाई.
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जम्मू और कश्मीर
जून 2018 में जम्मू और कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी की गठबंधन सरकार से बीजेपी के अचानक समर्थन वापस ले लेने से राजनीतिक और संवैधानिक संकट खड़ा हो गया. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को इस्तीफा देना पड़ा. राज्य में राज्यपाल का शासन लगा दिया गया. छह महीने बाद राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और अगस्त 2019 में केंद्र ने जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा ही खत्म कर दिया और उसकी जगह दो केंद्र-शासित प्रदेश बना दिए.
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बिहार
जुलाई 2017 में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली अपनी ही सरकार गिरा दी. कुमार को बीजेपी के विधायकों का समर्थन मिल गया और राज्यपाल ने उन्हें फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का निमंत्रण दे दिया. आरजेडी ने पटना हाई कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर कर दी जो खारिज कर दी गई और कुमार फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित कर फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
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गोवा
मार्च 2017 में गोवा विधान सभा चुनावों के बाद जब राज्यपाल ने बीजेपी नेता मनोहर परिकर को सरकार बनाने का निमंत्रण दे दिया, तब सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया, जिसमें मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण करने के बाद परिकर ने बहुमत साबित कर दिया.
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अरुणाचल प्रदेश
दिसंबर 2015 में सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ विधायकों और डिप्टी स्पीकर ने विद्रोह के बाद स्पीकर पर महाभियोग लगाने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया. स्पीकर ने हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. जनवरी 2016 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. फरवरी में कलिखो पुल ने सरकार बना ली. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन को गैर-कानूनी करार दिया और कांग्रेस की सरकार को बहाल किया.
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उत्तराखंड
मार्च 2016 में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विद्रोही विधायकों ने विपक्ष के साथ मिलकर बजट पर वोटिंग की मांग की, लेकिन स्पीकर ने ध्वनि मत से बजट पारित करा दिया. विद्रोही विधायक राज्यपाल के पास चले गए और उनकी अनुशंसा पर केंद्र ने मुख्यमंत्री हरीश रावत की सरकार बर्खास्त कर दी. राष्ट्रपति शासन लागू हो गया. रावत की याचिका पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटा दिया और रावत सरकार को बहाल किया.