राजीव कांड पर घड़ियाली आंसू
१९ फ़रवरी २०१४पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई होनी चाहिए या नहीं, यह दूसरा सवाल है. अभी मुद्दा यह है कि जयललिता के रिहाई के फैसले से कांग्रेस के नेता इतने आहत क्यों हैं. मंगलवार को तीन दोषियों की मौत की सजा उम्र कैद में बदलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि, "हमने सरकार से कहा था कि वो तय समय में दया याचिका पर फैसला करे."
लेकिन केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार फैसला न कर सकी. बीते 10 साल से भारत में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार है. वित्त मंत्री पी चिदंबरम अभी बहुत दुख जता रहे हैं लेकिन उनके पास भी यह जवाब नहीं कि जब वो गृह मंत्री थे तो उन्होंने इसका फैसला क्यों नहीं किया. अब भी समय है चाहे तो केंद्र जयललिता की सिफारिश न माने.
भारत की राजनीति, दलगत हितों और छोटे लक्ष्यों को हासिल करने के इरादे से की जाती देखी गई है. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस तमिलों को नाराज करने वाला कोई कदम उठाएगी, लगता नहीं है. भले ही दूरगामी परिणाम ये हों कि यह मामला एक नजीर बन जाए और आने वाले दिनों में बड़े विवादों का मूल साबित हो.
राहुल गांधी का दुख एक तरह से समझा जा सकता है. 21 मई 1991 के हमले में उन्होंने अपने पिता को खोया. लेकिन इसके बावजूद यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले इस मुद्दे पर क्यों हरकत में नहीं आए. राहुल के यह कहने भर से कि ऐसे बिल को फाड़कर फेंक देना चाहिए, मनमोहन सरकार सजायाफ्ता नेताओं को बचाने वाला अध्यादेश पीछे सरका देती है.
कांग्रेस उपाध्यक्ष का कहना है कि अगर प्रधानमंत्री के हत्यारे बच सकते हैं तो आम आदमी का क्या होगा. राहुल के सवाल में ही जवाब भी छिपा है. आम आदमी सरकार चुनता है ताकि वो फैसले ले. अगर वो निर्विकार रहेगी तो यही होगा. बीते पांच साल इस बात के गवाह हैं कि देश को सरकार से ज्यादा सुप्रीम कोर्ट ने चलाया है. यह स्थिति भी सरकार की निद्रा के कारण ही उपजी.
कई राज्यों में भी हालात ऐसे ही हैं, कहीं कोई मुख्यमंत्री कुर्सी बचाने में लगा है, कोई लैपटॉप बांट रहा है, कहीं आत्ममुग्धता का प्रचार हो रहा है, लेकिन बड़े बदलाव नहीं हो रहे क्योंकि निर्णय लेने की जहमत उठाने को कोई तैयार ही नहीं. दूसरे के हाथ में फैसले का अधिकार देना और फिर उस पर रोना, ये राजनीति नहीं है.
ब्लॉग: ओंकार सिंह जनौटी
संपादन: अनवर जे अशरफ