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राजीव गांधी से बेहतर हैं राहुलः खुशवंत सिंह

१८ अगस्त २०१०

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बेहतर हैं या उनके पिता स्वर्गीय राजीव गांधी इक्कीस थे? गैर कांग्रेसी इस सवाल को उठाना ही नहीं चाहेंगे और कांग्रेसी सोचते भी डरेंगे. लेकिन लेखक खुशवंत सिंह ने दोनों नेताओं की दिलचस्प तुलना की है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb

खुशवंत सिंह ने अपनी नई किताब एब्सल्यूट खुशवंतः द लो डाउन इन लाइफ, डेथ ऐंड मोस्ट थिंग्स इन बिटविन में लिखा है कि कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी अपने पिता से कहीं ज्यादा प्रतिभाशाली हैं. खुशवंत सिंह के मुताबिक राजीव गांधी एक नेता नहीं बल्कि युवा स्काउट थे जिनके पास कुछ अच्छे आइडिया थे, लेकिन वे अद्भुत नहीं थे.

हुमा कुरैशी के साथ मिल कर लिखी गई इस किताब में खुशवंत कहते हैं, "राहुल के पास एक विजन है और यह बहुत महत्वपूर्ण है. जिस तरह वह व्यवहार करते हैं, मैं उनसे बहुत प्रभावित हुआ हूं. उनके पास सही नजरिया है. जो भी वह करते हैं, भले ही उसमें से ज्यादातर बस दिखाने के लिए हो, फिर भी उसके पीछे सोच सही है."

पिता से बेहतर पुत्रतस्वीर: AP

95 साल के खुशवंत सिंह राहुल की इस बात के लिए भी तारीफ करते हैं कि उन्होंने मायावती और शिव सेना को उनके ही गढ़ में जाकर ललकारा. राहुल के दलितों के घर जाकर रहने और खाना खाने को खुशवंत देश की शर्मनाक सच्चाइयों को सामने लाना मानते हैं. वह लिखते हैं, "राहुल ने मायावती को उनके ही इलाके में जाकर टक्कर दी. यह एक हौसले वाला काम है. उनके अंदर जाति या वर्ग को लेकर कोई पूर्वाग्रह नहीं है. वह अमेठी में जो भी कर रहे हैं, मसलन दलितों के घर रहना, उनके साथ खाना बांटना. ये सब ऐसी चीजें हैं जिनके लिए आप उनकी आलोचना नहीं कर सकते."

खुशवंत सिंह मानते हैं कि ऐसा करके राहुल मसीहा बनने की कोशिश नहीं कर रहे हैं बल्कि वह तो देश की शर्मनाक सच्चाई को उभारकर सामने ला रहे हैं. राहुल की मुंबई यात्रा के बारे में खुशवंत ने लिखा है, "उन्होंने खुलकर गैर मराठियों पर हो रहे हमलों की निंदा की और कहा कि मुंबई सबकी है. तब वह शेर की मांद में गए और उन्हें जो चाहे कर लेने की ललकार दी. वह गलियों में घूमे, ट्रेन में यात्रा की. शिव सेना के गुंडे पूरी तरह विफल रहे. शायद ही किसी महाराष्ट्रियन ने राहुल के खिलाफ प्रदर्शन में शिव सेना का साथ दिया. राहुल और उनके सलाहकारों की तरफ से यह बहुत योजनाबद्ध तरीके से उठाया गया कदम था."

राहुल से खुश हैं खुशवंततस्वीर: UNI

जितनी शिद्दत से खुशवंत सिंह राहुल की तारीफ करते हैं उतनी ही बेरहमी से वह राजीव गांधी की आलोचना करते हैं. उनका मानना है कि राजीव को ऐसी कुर्सी पर बिठा दिया गया जिसे संभालने के वह काबिल नहीं थे. वह लिखते हैं, "असल में वह नेता नहीं थे. और मुझे नहीं लगता कि वह राजनीति के लिए बने थे. वह अपनी मां के रास्ते पर चले और वही गलतियां दोहराईं. टेलीकॉम या कंप्यूटर के क्षेत्र में जो अच्छी चीजें उन्होंने कीं, वे भी इंदिरा के वक्त में शुरू हुईं."

खुशवंत सिंह कहते हैं कि राजीव ने श्रीलंका में बड़ी गलती की, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री को हटा दिया और शाह बानो केस और बाबरी मस्जिद मामले में भी उनकी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता. खुशवंत मानते हैं कि दोनों ही बड़ी गलतियां थीं.

इस मामले में खुशवंत राजीव से बेहतर संजय गांधी को मानते हैं. किताब में वह अपनी और राहुल गांधी की एक मुलाकात को भी याद करते हैं, जिसमें उन्होंने राहुल को सलाह दी कि चापलूसों से दूर रहें और कोई मंत्रालय स्वीकार न करें.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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