कर्नाटक में विधान सभा चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनी बीजेपी के नेता येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री बनाने के राज्यपाल के फैसले ने राज्यपाल के पद को ही विवादों में ला दिया है.
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कर्नाटक में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रम ने एक बार फिर राज्यपाल के पद, उसके संवैधानिक दायित्व और उसकी गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. यह एक सर्वविदित तथ्य है कि राज्यपाल वजुभाई वाला आज भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता हैं, वे गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में लगभग एक दशक तक वित्तमंत्री रह चुके हैं. फिर भी उनसे उम्मीद की जा रही थी कि चूंकि वे संविधान की रक्षा करने की शपथ लेकर एक ऐसे संवैधानिक पद पर आसीन हैं जिस पर रहते हुए निष्पक्ष और तटस्थ आचरण करना उनका संवैधानिक दायित्व है, इसलिए वे संविधान के प्रति निष्ठा को अपनी दलगत निष्ठा से ऊपर रखेंगे. लेकिन उन्होंने इस उम्मीद पर पानी फेर दिया और एक बार फिर यह सिद्ध हो गया कि राज्यपाल केंद्र सरकार का एजेंट है. अतीत में राज्यपालों के इस प्रकार के आचरण के अनेक उदाहरण हैं और जो भी राजनीतिक दल केंद्र में सत्तारूढ़ रहा है, उसी ने राज्यपालों को रबड़ की मुहर की तरह इस्तेमाल किया है.
इस समय स्थिति यह है कि चित भी भारतीय जनता पार्टी की है और पट भी. बिहार, गोवा, मणिपुर एवं मेघालय में राज्यपाल ने सबसे बड़े दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के बजाय चुनाव बाद बने गठबंधनों को आमंत्रित किया. लेकिन कर्नाटक के राज्यपाल ने इसके उलट सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी को आमंत्रित किया है और उसके नेता येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली है हालांकि उन्हें बहुमत प्राप्त नहीं है. चुनाव के बाद बने कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन को बहुमत प्राप्त है. यही नहीं, आम तौर पर बहुमत सिद्ध करने के लिए दी जाने वाली एक सप्ताह की अवधि के बजाय येदियुरप्पा को पंद्रह दिन की मोहलत दी गयी है जिसके कारण यह चुटकुला प्रचलित हो गया है कि राज्यपाल वाला तो धन्यवाद के अधिकारी हैं कि उन्होंने बहुतमत सिद्ध करने के लिए पांच साल की मोहलत नहीं दी.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
तस्वीर: IANS
मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
तस्वीर: DW/Zeljka Telisman
मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
तस्वीर: IANS
2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.
तस्वीर: DW/A. Anil Chatterjee
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मनोनीत राज्यपाल
दुनिया में भारत संभवतः एकमात्र ऐसा लोकतंत्र है जहां एक गैर-निर्वाचित, केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत राज्यपाल को इतने व्यापक अधिकार प्राप्त हैं कि वह जिसे चाहे सरकार बनाने के लिए बुला सकता है और जब चाहे संवैधानिक मशीनरी के ठप्प हो जाने का बहाना करके एक निर्वाचित सरकार को बर्खास्त करने की सिफारिश कर सकता है. इसके पीछे अंग्रेजी शासकों की नीतियों और आजादी के बाद कांग्रेस की सत्ता-लोलुपता का लंबा इतिहास है.
अंग्रेजी शासन काफी हद तक भारत के अभिजात वर्ग के सहयोग पर निर्भर था. इसके लिए उसे नियंत्रित ढंग से भारतीयों को शासन में भी भागीदार बनाना था. इस उद्देश्य से 1935 का भारत सरकार अधिनियम बनाया गया और प्रांतों में चुनावों के आधार पर सरकारों के गठन की व्यवस्था की गयी. इन सरकारों पर केंद्र की औपनिवेशिक सरकार का नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए राज्यपाल का पद बनाया गया जिसका उस समय कांग्रेस ने जबरदस्त विरोध किया था लेकिन आजादी के बाद उसी कांग्रेस ने स्वतंत्र भारत में इस व्यवस्था को कायम रखा. संविधान सभा में इस पर मुद्दे पर बहुत तीखी और कड़वी बहस हुई लेकिन किसी की एक न चली.
पद का दुरुपयोग
1952 में पहले आम चुनाव के बाद ही राज्यपाल के पद का दुरुपयोग शुरू हो गया. मद्रास में अधिक विधायकों वाले संयुक्त मोर्चे के बजाय कम विधायकों वाली कांग्रेस के नेता सी. राजगोपालाचारी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो उसी तरह विधायक भी नहीं थे जैसे उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनते समय योगी आदित्यनाथ नहीं थे. 1954 में पंजाब की कांग्रेस सरकार को ही बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच मतभेद थे. 1959 में केरल की नम्बूदिरीपाद सरकार बर्खास्त की गयी. और केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा राज्यपालों को अपने एजेंट की तरह बरतने की यह सूची लंबी होती गयी. कर्नाटक की ताजा घटना को इसी श्रृंखला की एक कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए.
अब समय आ गया है कि राजनीतिक वर्ग, संविधानवेत्ता और जागरूक नागरिक मिलकर इस प्रश्न पर विचार करें कि क्या राज्यपाल का पद वाकई जरूरी है? क्या इसके बिना काम नहीं चल सकता? यदि इसे ख़त्म कर दिया जाए तो किस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था बनायी जा सकती है?
इन राज्यों में हैं गैर बीजेपी सरकारें
भारतीय जनता पार्टी पूरे भारत पर छाने को बेताब है. लेकिन कई राज्य अब भी ऐसे हैं जहां गैर बीजेपी सरकारें चल रही हैं. चलिए डालते हैं इन्हीं पर एक नजर.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
पंजाब
पंजाब अब देश का अकेला ऐसा अहम राज्य है जहां कांग्रेस सत्ता में है. राज्य की कमान मुख्यमंत्री अमिरंदर सिंह के हाथों में है. पंजाब में बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times
कर्नाटक
मई 2018 के विधानसभा चुनावों में किसी दल को बहुमत नहीं मिला. राज्यपाल ने सबसे पहले बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने विश्वासमत से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस और जनता दल (एस) गठबंधन सरकार बनाने का न्यौता मिला.
तस्वीर: UNI
केरल
केरल में पी विजयन के नेतृत्व में वामपंथी सरकार चल रही है. कांग्रेस राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी है. बीजेपी भी वहां कदम जमाने की कोशिश कर रही है.
तस्वीर: imago/ZUMA Press
तमिलनाडु
तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार का नेतृत्व मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी के हाथ में है. करुणानिधि की डीएमके पार्टी एआईएडीएमके की प्रतिद्वंद्वी है.
तस्वीर: Imago/Westend61
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में सत्ताधारी टीडीपी पार्टी ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ा है. चंद्रबाबू नायडू राज्य के मुख्यमंत्री हैं.
तेलंगाना
तेलंगाना में टीआरएस की सरकार का नेतृत्व पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव कर रहे हैं. वह 2019 के आम चुनाव के पहले गैर बीजेपी गैर कांग्रेसी विपक्षी एकता की कोशिशों में भी जुटे हैं.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay
ओडिशा
नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा में 2000 से बीजू जनता दल की सरकार चल रही है. वहां विपक्षी पार्टियों में बीजेपी का स्थान कांग्रेस के बाद आता है.
तस्वीर: UNI
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी काफी जोर लगा रही है. लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राज्य पर मजबूत पकड़ है, जो 2011 से सत्ता में हैं.
तस्वीर: DW
मिजोरम
कांग्रेस सरकार का नेतृत्व ललथनहवला कर रहे हैं. 2008 से वह मुख्यमंत्री पद पर हैं. 40 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 34 सदस्य हैं.
तस्वीर: IANS/PIB
पुडुचेरी
केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी इस समय कांग्रेस की सरकार है जिसका नेतृत्व वी नारायणसामी (फोटो में दाएं) कर रहे हैं. तीस सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 17 सदस्य हैं.