बलात्कार के मामले में शुक्रवार को दोषी करार दिये गये गुरमीत राम रहीम को अदालत ने 20 साल के कैद की सजा सुनाई है.
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सीबीआई के प्रवक्ता ने जानकारी दी है कि राम रहीम को प्रत्येक मामले के लिए 10-10 साल के कैद की सजा मिली है. उन्हें कुल मिला कर 20 साल की सजा दी गई है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट में सजा सुनाये जाने के दौरान राम रहीम रोने लगे और जज से अपने लिए रहम की मांग की.
राम रहीम के वकीलों ने अपने मुवक्किल के कथित समाजसेवी कामों का हवाला दे कर हल्की सजा सुनाने की मांग की थी.
शुक्रवार की हिंसा से सबक लेते हुए सोमवार को पुलिस को प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मार देने के आदेश दे दिये गये हैं. हरियाणा और पंजाब में स्कूल कॉलेजों के बंद रखा गया है.
स्थानीय लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी गयी है. सुरक्षा के इंतजाम के लिए हजारों की तादाद में अर्धसैनिक बलों, पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को तैनात किया गया है.
शुक्रवार को गुरमीत राम रहीम को विशेष अदालत ने 2002 के एक मामले में दो महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी माना.
सजा सुनाए जाने के बाद राम रहीम के समर्थकों ने पूरे राज्य में हिंसक प्रदर्शन किया. इस दौरान कम से कम 38 लोगों की मौत हो गयी जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए. करोड़ों रुपये की संपत्ति का भी नुकसान हुआ. इसके बाद कोर्ट से फटकार मिलने पर सरकार हरकत में आयी और राम रहीम के डेरे को सेना ने अपने घेरे में ले लिया.
हरियाणा में कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी रामनिवास ने कहा है, "अगर कोई शख्स प्रदर्शन करता हुआ नजर आता है तो हमने देखते ही गोली मार देने के आदेश दिये हैं."
इस बीच, राम रहीम के वकील ने कहा है कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और वो ऊंची अदालत में अपील करेंगे. हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. राजधानी दिल्ली में भी सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है. सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए राम रहीम को अदालत में पेश नहीं किया गया. अदालती कार्रवाई रोहतक की जेल में हुई, जहां जजों को सुनवाई के लिए हेलीकॉप्टर से ले जाया गया. रोहतक जेल के अधिकारी राजीव पंत ने बताया कि जेल की लाइब्रेरी को ही अदालत के कमरे की शक्ल दे दी गयी है.
पंजाब के गांव गांव में डेरे
पंजाब में डेरा संस्कृति का विस्तार इतना ज्यादा है कि शायद ही कोई गांव होगा जिसकी सीमा के आस पास डेरे ना दिखें. डेरों से लाखों की संख्या में लोग जुड़े हैं और डेरा प्रमुख की समाज से लेकर राजनीति तक में अच्छी पहुंच है.
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क्या है डेरा
डेरा का मतलब है वो जगह जहां इंसान समाज के साथ मिलने जुलने के लिए जमा होता है. राजाओं के शासन में जब राजा अपने महल से निकल कर आम लोगों से मिलने या फिर युद्ध के लिये सेना के साथ कहीं जाता तो जहां उसका पड़ाव होता उसे डेरा कहा जाता था. हालांक वर्तमान समय में भारत के लिए डेरा का मतलब पंजाब के उन स्वयंभू संगठनों से है जिन्होंने बड़ी तादाद में लोगों को अपने विचारों, केंद्रों और प्रभाव से जोड़ रखा है.
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9 हजार से ज्यादा डेरे
मोटे तौर पर अनुमान है कि इस समय पंजाब में 9 हजार से ज्यादा डेरे चल रहे हैं, पंजाब में करीब 12 हजार से कुछ ज्यादा गांव हैं. केवल 10-15 प्रमुख डेरों से जुड़े लोगों की संख्या ही आपस में जोड़ दें तो ये संख्या कई करोड़ हो जायेगी.
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नदी, खेत और आंदोलन
पंजाब की नदियां और वहां के लहलहाते खेतों के साथ ही वहां के आंदोलनों ने भी अलग अलग समय पर अपने असर का अहसास दिलाया है. आजादी के आंदोलन से लेकर, खालिस्तान, नक्सल, खालसा जैसे आंदोलनों ने इस इलाके में अपनी जड़ें जमाई. कह सकते हैं कि मौजूदा वक्त में कई सामाजिक आंदोलनों का स्वरूप इन डेरों ने धर लिया है.
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पंजाब और हरियाणा में फैलाव
इन डेरों की शुरुआत तो मुख्य रूप से पंजाब से ही हुई लेकिन इनका विस्तार अब पड़ोस के हरियाणा से लेकर दिल्ली और आसपास के इलाकों तक पहुंच गया है. हालांकि भक्तों और समर्थकों की बात करें तो वो भारत और दुनिया के ज्यादातर हिस्से में फैले हैं.
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दलितों की ताकत
पंजाब में दलितों की आबादी 31 फीसदी से ज्यादा है. खेतों से भरे राज्य में दलित किसानों की तादाद पांच फीसदी से भी कम है. जमीन की मिल्कियत में कम हिस्सेदारी ने उन्हें समाज में भी किनारे कर दिया है. ऐसे में दलित को लुभाने के लिए डेरों के पास कई कारण मौजूद है. जमीन से वंचित रहने के बाद भी पंजाब के दलितों ने आर्थिक प्रगति की है और संगठित होने की जमीन उन्हें डेरों से मिलती है.
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जातियों का भेदभाव
सिख धर्म में एक समान सबके होने की बात कही गई है लेकिन फिर भी जातिगत भेदभाव वहां कायम है. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रमुख रूप से प्रभावशाली और उच्चवर्गीयों सिखों का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में दलित और गरीब तबके ने इन डेरों का रुख कर लिया. डेरों के प्रति दलितों का रुझान डेरों की बड़ी ताकत है
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सर्वधर्म की बात
आमतौर पर ये डेरे ईश्वर की बात तो करते हैं लेकिन किसी प्रचलित धर्म की नहीं. इनका अपना धर्म, अपने तौर तरीके और अपना ईश्वर है. डेरा प्रमुख बहुधा खुद को ईश्वर का दूत बताने की कोशिश करते देखे गये हैं.
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डेरों से निकले डेरे
बहुत से डेरे पहले किसी बड़े डेरे की शाखा थे लेकिन बाद में उन्होंने खुद को स्वतंत्र डेरा घोषित कर दिया. डेरा सच्चा सौदा भी पहले राधास्वामी सत्संग ब्यास का डेरा था 1948 में यह डेरा सच्चा सौदा बन गया.
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सबसे बड़ा डेरा
निरंकारी गुट इनमें सबसे बड़ा माना जाता है, हर साल इनका दिल्ली में विशाल समागम होता है. समागम के लिए दिल्ली में एक विशाल भूभाग है जहां तीन दिनों के लिए एक पूरा शहर सज जाता है. 2 साल पहले निरंकारी प्रमुख बाबा हरदेव सिंह और उनके परिवार की एक दुर्घटना में मौत हो गयी.
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राधा स्वामी सत्संग ब्यास
राधा स्वामी सत्संग ब्यास गुरु ग्रंथ साहिब के उपदेशों का ही इस्तेमाल कर अपना प्रचार करता है. यह डेरा बहुत बड़ा है और अपने भक्तों को शाकाहार के साथ ही कठोर नियमों का पालन करने की सीख देता है. आमतौर पर इसे गैरराजनीतिक माना जाता है.
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गांव गांव शहर शहर
डेरों का विस्तार केवल गांवों में ही नहीं है, ये शहरों में भी अपनी मौजूदगी बनाये हुए हैं. प्रमुख डेरों की तो विदेशों में भी शाखायें हैं जिनमें नियमित रूप से कार्यक्रम होते हैं. विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग इन शाखाओं से जुड़े हैं.
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रविदास डेरा
पंजाब के डेरों में 60 से ज्यादा डेरे ऐसे हैं जिनकी पहचान रविदास डेरे के रूप में है. रविदास के नाम पर डेरों का विकास, दलितों की इसमें खास भूमिका बताता है. ये खासतौर से दलितों के प्रभुत्व वाले डेरे है, जिन्होंने अपने गुरुद्वारे, मंदिर, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज और सांस्कृतिक केंद्र बनाये है.
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चुपके चुपके आंदोलन
इन डेरों का विस्तार बहुत तेजी से लेकिन चुपचाप हुआ. कभी बड़े विवाद होने पर ही डेरे के लोग मीडिया की सुर्खियों में आते हैं. हाल के वर्षों में कई विवादों ने इनके माथे पर कलंक लगाया है.
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सिखों का बैर
सिख समुदाय कई डेरों को अपने धर्म के प्रभाव के नुकसान के रूप में देखता है. समय के साथ इन डेरों का असर बढ़ता गया. सिखों के साथ डेरों के कई विवाद भी हो चुके हैं. गुरमीत राम रहीम के गुरु गोविंद सिंह जैसी पगड़ी पहनने पर भी ऐसा ही विवाद हुआ. कई डेरों ने अपने समर्थकों को सिख गुरुद्वारों से दूर रहने का भी फरमान सुनाया है.
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अच्छे काम भी हैं
इन डेरों ने कुछ अच्छे काम भी किये हैं. डेरा सच्चा सौदा शराबबंदी का प्रचार करता है. कुछ दूसरे डेरे गरीबों की भलाई और कल्याण के लिए कार्यक्रम भी चलाते हैं. इसके अलावा गरीब लड़कियों की शादी, इलाज और शिक्षा के लिये भी डेरे सक्रिय हैं. पर इन सबसे ऊपर है लोगों में किसी समुदाय से जुड़े होने का अहसास भरना.
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सिख हैं खालसा नहीं
बहुत से डेरे ऐसे भी हैं जो सिख धर्म को मानते हैं लेकिन उनका खालसा से बैर है. नामधारी डेरा ऐसे ही लोगों का डेरा है इन्हें कूका भी कहा जाता है. नामधारियो को सिख अपने समुदाय में नहीं जोड़ते.
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रोहतक की जेल को एक किले में तब्दील कर दिया गया है. यहां तक कि पत्रकारों को भी डेढ़ किलोमीटर पहले ही रोक दिया जा रहा है. वहां सुरक्षा के भारी इंतजाम हैं. सड़कों पर कांटेदार तारों से बैरिकेडिंग की गयी है. हरियाणा के सिरसा में राम रहीम के संगठन डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय पर भी भारी पहरा है. राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई थी जिसे उनके दोषी करार दिये जाने के बाद वापस ले लिया गया है.
प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण नहीं कर पाने और शुक्रवार को हुई व्यापक हिंसा के लिए हरियाणा सरकार की काफी आलोचना हुई है. इस मामले ने लोगों में गुरुओँ को लेकर अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं इसका अंदाजा भी इस घटना से हो गया है. लाखों लोगों ने सड़कों पर आकर जहां तहां उत्पात मचाया है.