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राष्ट्रपति जरदारी की पाकिस्तान वापसी

१९ दिसम्बर २०११

पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अपने वतन वापस आ गए हैं. दिल की बीमारी के इलाज के लिए दो हफ्ते तक दुबई में रहने के दौरान उनके इस्तीफे की अफवाहों से बाजार गर्म रहा. सुप्रीम कोर्ट में मेमोगेट की सुनवाई शुरू.

तस्वीर: AP

अपनी बेटी और निजी सहायकों के साथ पाकिस्तान एयरफोर्स के विशेष विमान से जरदारी सोमवार करीब 1 बजे कराची पहुंचे. एयरबेस से उनके कारों का काफिला बिलावल हाउस पहुंचा जहां उनके परिवार की निजी रिहाइश है. रास्ते में पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. प्रमुख चौराहों पर उनकी गाड़ियों को गुजारने के लिए बाकी ट्रैफिक को रोक दिया गया. सिंध प्रांत के गृह मंत्री मंजूर वासन ने पत्रकारों को बताया कि राष्ट्रपति फिलहाल बिलावल हाउस में रहेंगे. वासन ने कहा कि उनके यहां रुकने के कार्यक्रम के बारे में ज्यादा ब्यौरा उनके पास नहीं है.

दुबई में जरदारी को अमेरिकन हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया जहां उनके कई तरह की जांच कराई गई. डॉक्टरों का कहना है कि जांच के नतीजे सामान्य हैं और जरदारी को आराम के लिए कहा गया है. सत्ताधारी पीपल्स पार्टी के नेताओं ने इन खबरों को खारिज किया है कि जरदारी को दिल का दौरा पड़ा है और वो इस्तीफा दे देंगे. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फिरदौस आशिक आवान ने कहा कि राष्ट्रपति जरदारी की वापसी से सरकार में बदलाव की उम्मीद और इच्छा जता रहे थे लोगों की उम्मीदें ध्वस्त हो गई हैं. आवान ने कहा, "उन सब लोगों को, जो कयास लगा रहे थे और अफवाहें फैला रहे थे, अपनी हरकतों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए."

तस्वीर: AP

56 साल के राष्ट्रपति जरदारी के अचानक 6 दिसंबर को दुबई जाने के बाद देश भर में और विदेशों में भी ऐसी अफवाहें उड़ीं कि उन पर इस्तीफा देने के लिए सेना ने दबाव बनाया है. हालांकि अधिकारियों के तरफ से यह बयान आता रहा कि वो दिल की बीमारी के इलाज के लिए दुबई गए हैं. मेमोगेट मामले के सामने आने के बाद सेना की नाराजगी जाहिर हो चुकी है. इस मामले में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत को वापस भी बुलाया जा चुका है. पाकिस्तान मामलों के एक्सपर्ट बताते हैं कि जरदारी पाकिस्तान की जनता और सेना के बीच बेहद अलोकप्रिय हैं.

सोमवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना की जांच से जुड़े मामले की सुनवाई शुरू कर दी है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 10 लोगों से इस मामले में जवाब मांगा है. जरदारी उन 10 लोगों में अकेले शख्स हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के तय किए तारीख के पहले अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में 11 याचिकाएं दायर की गई हैं. इनमें से एक याचिका देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी ने दायर की है. विपक्षी पार्टी ने अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी पर इस मामले की पूरी जिम्मेदारी डाली है. विपक्षी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट से इस बात की न्यायिक जांच कराने की मांग की है कि हक्कानी ने खुद फैसले लिए यहा फिर वह राष्ट्रपति जरदारी के इशारे पर काम कर रहे थे.

रिपोर्टः पीटीआई,एपीई/एन रंजन

संपादनः ए जमाल

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