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रिकॉर्ड बनाने नहीं मैं तो मजा लेने आया हूं: सचिन

१३ जुलाई २०११

करोड़ों दर्शक सचिन को शतकों का शतक बनाते देखने के लिए बेकरार हैं लेकिन उनका कहना है कि वो तो इंग्लैड दौरे पर रिकॉर्ड बनाने नहीं बल्कि मस्ती करने आए हैं. इसी महीने की 21 तारीख को लॉर्ड्स के मैदान पर है पहला टेस्ट.

Mumbai Indians captain Sachin Tendulkar sets field during the Indian Premier League (IPL) cricket match against Kings XI Punjab in Mumbai, India, Monday, May 2, 2011. (AP Photo/Rajanish Kakade)
तस्वीर: AP

लंदन पहुंचने के बाद सचिन तेंदुलकर ने कहा, "मैं रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोच रहा हूं. मैं तो बस दौरे का मजा लेने के बारे में सोच रहा हूं. अच्छे प्रदर्शन का राज रिकॉर्ड के पीछे भागना नहीं है. मैं सोच रहा हूं कि खेल का मजा लेने का सबसे बेहतर तरीका क्या हो सकता है और मैं कैसे खेल का मजा ज्यादा से ज्याद बढ़ा सकता हूं."

पिछले दो दशकों से लगातार शानदार खेल दिखा रहे तेंदुलकर का असली गुण यही है कि वो हर बार खेल का उतना ही मजा लेते हैं जितना कि शायद सबसे पहली बार बल्ला संभालते हुए लिया होगा. तेंदुलकर ने कहा, "अगर मैं खेल का आनंद बढ़ा देता हूं तो स्वाभाविक है कि खेल का स्तर भी ऊंचा हो जाएगा. मेरे लिए सबसे ज्यादा यही जरूरी है. अगर मैं अच्छा खेलूंगा तो यह हो सकता है. मुझे कोई जरूरत नहीं है कि मैं रिकॉर्ड के पीछे भागूं. यह एक प्रक्रिया है. आप एक मजबूत नींव तैयार करते हैं और फिर इस पर इमारत खड़ी करते हैं.

तस्वीर: AP

अभी संन्यास नहीं

सचिन ने क्रिकेट से संन्यास लेने के बारे में विचार करने से भी इनकार किया. सचिन ने कहा, "मैं नहीं सोच रहा. मैं हर पल का मजा ले रहा हूं. यह शानदार है. वास्तव में मैं बस यह देख रहा हूं कि कैसे खेल का ज्यादा से ज्यादा मजा लूं और खेल के स्तर को ऊपर ले जाऊं. कम से कम आज के बारे में तो मैं जानता हूं कि मैं क्रिकेट का मजा लेना चाहता हूं, इस पल का मजा लेना चाहता हूं."

सचिन फिलहाल लंदन में चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ट्रेनिंग लेने के साथ ही यहां अपने परिवार के साथ भी खूब समय बिता रहे हैं. उन्होंने वेस्ट इंडीज के टेस्ट सीरीज से खुद को अलग कर लिया और उसकी बजाय लंदन पहले पहुंचना ठीक समझा.

तस्वीर: AP

इंग्लैंड के बारे में सचिन ने कहा, "जब मैं इंग्लैंड में समय बिताता हूं तो यह अलग तरह का होता है. मैं यहां कुछ ऐसे काम करता हूं जो भारत में नहीं कर सकता. इनमें से एक है बच्चों के साथ पार्क जाना, इसके अलावा वे और जो कुछ करना चाहते हैं उनके साथ वह करना, अब वो चाहे फुटबॉल का खेल हो या क्रिकेट, मैं दोनों का मजा लेता हूं. भारत और भारत से बाहर की जिंदगी के बीच संतुलन बना कर दोनों जगह की बेहतरीन चीजों का मजा लिया जा सकता है और एक खुश इंसान बना जा सकता है."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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