1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रिक्शे वाले की बेटी ने दिलाया गोल्ड

९ अक्टूबर २०१०

कॉमनवेल्थ में यूं तो कोई न कोई रोज गोल्ड मेडल पर कब्जा कर रहा है पर दीपिका कुमारी का दिलाया स्वर्ण पदक खास है. उन्होंने रिक्शे वाली की बेटी से भारत को तीरंदाजी में पहला गोल्ड दिलाने वाली खिलाड़ी बनने तक सफर तय किया है.

तस्वीर: UNI

17 साल की दीपिका ने 70 अंकों पर निशाना लगाया और वह दो बार ओलंपियन रह चुकीं डोला बनर्जी (68) और बोम्बाया देवी लैशराम (69) से भी आगे निकल गईं. तीनों तीरंदाजों ने बेहद तनावपूर्ण मैच में अपनी ब्रिटिश प्रतिद्वंद्वियों से बेहतर प्रदर्शन किया. इस तरह दिल्ली में तीरंदाजी का पहला गोल्ड भारत के नाम हो गया.

महिला कोच पूर्णिमा महतो दीपिका का ख्याल रखती हैं और सब उन्हें 'बेबी' की तरह समझते हैं. मतलब उन्हें मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता. साथ ही खेलगांव में वह टीम की सबसे सीनियर सदस्य डोला बनर्जी के कमरे में रह रही है. लेकिन दीपिका कहती हैं, "मैं बड़ी हो रही हूं. अभी तो मुझे मोबाइल की जरूरत नहीं है. लेकिन जब मेरी नौकरी लग जाएगी, तब तो जरूरत पड़ेगी." दीपिका अपने नाखूनों पर तिरंगे के रंगों वाली नेल पॉलिश भी दिखाती हैं.

डोला बनर्जी हैं दीपिका की आदर्शतस्वीर: DW/Tewari

दीपिका फिलहाल वर्ल्ड रैंकिंग में पांचवें नंबर हैं और वह पहली बार 2008 में तब सुर्खियों में आईं जब उन्होंने तुर्की में कैडेट यूथ चैंपियनशिप जीती. हाल ही में एडिनबरा में वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान भी उनका प्रदर्शन बढ़िया रहा. दीपिका कहती हैं, "वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेलना मेरे लिए बड़ी बात थी. सभी चोटी के तीरंदाज वहां थे. मैं पदक तो नहीं जीत सकी लेकिन अनुभव अच्छा रहा. मैं हर रोज सीख रही हूं."

दीपिका झारखंड के शहर जमशेदपुर में 11वीं कक्षा की छात्र हैं और उनका लक्ष्य 2012 के लंदन ओलंपिक हैं. वह बताती हैं, "अगला साल मेरे लिए बहुत अहम है. उम्मीद है कि मेरा यही प्रदर्शन जारी रहेगा और मैं ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई करूंगी. यह मेरे माता पिता और कोच के लिए बहुत बड़ी बात होगी. मेरी कामयाबी के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की है."

दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेलतस्वीर: AP

वैसे दीपिका का यहां तक पहुंचना बहुत बड़ी बात है. उनके पिता शिव नारायण महतो रिक्शा चलाते हैं और वह तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी हैं. दीपिका की मां रांची के सरकारी अस्पताल में नर्स का काम करती हैं. 2008 में टाटा तीरंदाजी अकादमी में शामिल होने वाली दीपिका बताती हैं, "पहला पेशेवर धनुष मुझे अकादमी में ही मिला. तब से मेरे रहने और खाने का खर्चा वही लोग दे रहे हैं."

दीपिका की रिश्ते की एक बहन ने सबसे पहले उनकी प्रतिभा को पहचाना. दीपिका के मुताबिक, "वह एक तीरंदाज थीं. उन्हीं की वजह से मैं तीरंदाजी में आई. टाटा अकादमी में जाने से पहले मैंने सरायकेला में ट्रेनिंग ली." वैसे दीपिका अपना आदर्श डोला बनर्जी को मानती हैं. वह कहती हैं, "मैं हमेशा उनकी तरफ देखती हूं. डोला दीदी मेरी हमेशा मदद करती हैं. मैं उनकी बहुत शुक्रगुजार हूं." यह भी इत्तेफाक की बात है कि 10 अक्टूबर को व्यक्तिगत मुकालबों से क्वॉर्टर फाइनल में दीपिका और डोला आमने सामने होंगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें