दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में कई रिफ्यूजी भटक रहे थे. उनके पास न तो खाना था, न पानी था, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के मुताबिक अल्जीरिया ने उन्हें रेगिस्तान में भटकने को मजबूर किया.
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नाइजर एक राहत अधिकारी के मुताबिक अल्जीरिया ने करीब 600 आप्रवासियों को सहारा के रेगिस्तान में छोड़ा. ये लोग किसी तरह जान बचाकर नाइजर पहुंचने में सफल रहे. रेगिस्तान में भटकने वाले इन अफ्रीकी आप्रवासियों के पास खाना और पानी करीब करीब ना के बराबर था.
यूएन माइग्रेशन अधिकारियों की रिपोर्ट में भी अल्जीरिया पर ऐसे ही आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अल्जीरिया सरकार ने आप्रवासियों को सहारा रेगिस्तान में भेजना जारी रखा है. दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा को जीवन के लिए सबसे दुश्वार जगहों में गिना जाता है. गर्मियों में वहां तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. दूर दूर तक न तो पानी मिलता है, न ही छांव.
यूएन के अधिकारियों के मुताबिक अल्जीरिया ने अब तक 16 अफ्रीकी देशों के 13,000 से ज्यादा लोगों को रेगिस्तान में छोड़ा है. उन्हें रेगिस्तान में मरने के लिए मजबूर किया गया. इस बारे में एक के बाद एक रिपोर्टें सामने आने के बाद अल्जीरिया को यह कार्रवाई रोकनी पड़ी है.
अल्जीरिया में मानवीय सहायता कार्यक्रमों से जुड़े एक कर्मचारी के मुताबिक सरकार जेल में रिफ्यूजियों को जमा कर रही है. फिर उन्हें जत्थों में बांटकर रेगिस्तान में छोड़ा जा रहा है. कई लोगों के साथी रास्ते में ही मारे गए.
अफ्रीकी संघ ने अल्जीरिया ने तुरंत यह कार्रवाई बंद करने की मांग की है. अल्जीरिया की सरकार इन आरोपों को खारिज कर रही है. ह्यूमन राइट्स वॉच और समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्टों के बाद अल्जीरिया ने स्थानीय पत्रकारों को रिफ्यूजी कैंपों में जाने की अनुमति दी. लेकिन पत्रकारों को सिर्फ एक सीमा तक ही जाने दिया गया. उन्हें बर्खास्त किए गए रिफ्यूजियों के कैंपों तक नहीं जाने दिया गया.
(यातना, बलात्कार, भुखमरी, यूरोप पहुंचने का सपना देखने वाले अफ्रीकी लोग, लीबिया में ऐसी बर्बरता का सामना करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे नर्क में आ गए हों.)
रिफ्यूजियों के लिए नर्क बना लीबिया
यातना, बलात्कार, भुखमरी, यूरोप पहुंचने का सपना देखने वाले अफ्रीकी लोग, लीबिया में ऐसी बर्बरता का सामना करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जैसे वे नर्क में आ गए हों.
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गुलामी की रिपोर्टें
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के बाद दुनिया को लीबिया में चल रही संदिग्ध मानव तस्करी का पता चला. लीबिया की सरकार ने लोगों को दास बनाकर बेचने के मामले की जांच के लिए एक आयोग बनाया.
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विरोध प्रदर्शन
पेरिस, जेनेवा, ब्रसेल्स और रबात जैसे विख्यात शहरों में लीबिया के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं. मोरक्को में युवाओं ने लीबिया के दूतावास के सामने गुलामों की कथित सौदेबाजी की विरोध किया.
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जान सांसत में
यूरोप की तरफ आने वाले अफ्रीकी देशों के लोग लीबिया के नाम से कांपने लगे हैं. लीबिया में एक ही कमरे में दर्जनों लोगों को कैद कर रखने की रिपोर्टें सामने आई हैं. इस दौरान मारपीट, बलात्कार और भुखमरी की शिकायतें भी आईं.
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अमानवीय हालात
लीबिया के कैंपों में कैद लोगों के मुताबिक कई सेंटरों में हालात नर्क जैसे हैं. एक अनुमान के मुताबिक लीबिया में चार लाख से 10 लाख तक अप्रवासी फंसे हुए हैं. लीबिया के सूत्रों ने यह संख्या 20 हजार बताई है.
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जेल नहीं, रिफ्यूजी कैंप
लीबिया की सरकार को अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मिला है. यूरोप चाहता है कि लीबिया, यूरोप आने वाले लोगों को अपने यहां ही रोक ले. लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोके रखना लीबिया के लिए भी मुश्किल हो रहा है. वहां कई जेलों को भी रिफ्यूजी कैंप में बदल दिया गया है.
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यूरोप का स्वर्णिम सपना
इस युवा को तटीय शहर मिसराता से 50 किलोमीटर दूर के जेल कैंप में रोका गया है. ज्यादातर अप्रवासी भूमध्यसागर पार कर लीबिया से यूरोप पहुंचना चाहते हैं. यूरोपीय देश चाहते हैं कि इन लोगों को किसी तरह अफ्रीका में ही रोका जाए. (सबरीना मुलर-प्लॉनिकोव, बेनेडिक्ट मास्ट)