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रियालिटी शो करेंगे कान

२२ अगस्त २०११

सफल रियालिटी शो का अक्सर आयात निर्यात होता है. चीन में लोकप्रिय एक शो को जर्मन फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान ओलिवर कान अब जर्मनी लाना चाहते हैं. मीडिया पंडित पूछ रहे हैं कि क्या कान उसे चीन जैसा सफल बना पाएंगे.

ओलिवर कानतस्वीर: picture-alliance/dpa

करोड़पति या दूल्हा दुल्हन चुनने की तर्ज पर यह शो गोलकीपिंग की प्रतिभाओं को चुनता है. विश्व फुटबॉल का सितारा रहे ओलिवर कान चीन में अत्यंत सफल शो को अब जर्मनी के छोटे स्क्रीन पर लाना चाहते हैं. इस शो में सर्वोत्तम गोलकीपर बनने की इच्छा रखने वाले खिलाड़ियों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. 2002 के फुटबॉल वर्ल्ड कप में ब्राजील के खिलाफ जर्मनी की राष्ट्रीय टीम की कप्तानी करने वाले कान ने दैनिक बिल्ड को बताया है कि वे अपने शो "कान सिद्धांत - हिम्मत न छोड़ो" को जर्मन दर्शकों के लिए पेश करने की डील पर काम कर रहे हैं.

विजेता खेलेगा बुंडेसलीगा में

42 वर्षीय कान ने कहा है कि गोलकी रियालिटी शो के विजेताओं को जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा की किसी टीम में खेलने का कांट्रैक्ट मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस शो के लिए वे टेलीवजन चैनल सैट आइंस के साथ बातचीत कर रहे हैं. मई 2012 से शुरू होने वाले जर्मन संस्करण में शो के आठ एपीसोड प्रसारित करने की योजना है.

ब्राजील से हार के बाद सोच की मुद्रा में(2002(तस्वीर: AP

खेल से संन्यास के बाद कान ने पिछले साल कोचिंग का लाइसेंस लिया है और टेलीवजन चैनलों में एक्सपर्ट कमेंटेटर का काम कर रहे हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या वे फिर से फुटबॉल के मैदान पर लौटना चाहते हैं, कान ने कहा, "फिलहाल फुटबॉल में लौटने की कोई वजह नहीं है." कान कुछ समय तक टेलीविजन पर काम जारी रखना चाहते हैं.

इसी साल जुलाई महीने में कान ने अपना फाउंडेशन खोला है जिसका लक्ष्य कमजोर वर्ग के युवा लोगों को प्रोत्साहित करना है. फाउंडेशन के अनुसार वह युवाओं को उनके विकास में बढ़ावा देगा, संभावनाएं दिखाएगा और लक्ष्य तय करने और उस पर निरंतर चलने के लिए प्रोत्साहन देगा.

गोल्डन बॉल से सम्मानित गोलकी

1969 में जर्मन शहर कार्ल्सरूहे में पैदा हुए ओलिवर कान ने अपने पेशेवर फुटबॉल का अधिकांश हिस्सा बायर्न म्यूनिख टीम के लिए खेला है और तीन बार विश्व के सर्वोत्तम गोलकीपर चुने गए हैं. 2002 में उन्हें वर्ल्ड कप का सर्वोत्तम खिलाड़ी होने के लिए गोल्डन बॉल प्रदान किया गया जो किसी गोलकीपर को मिलने वाला पहला और अब तक का एकमात्र सम्मान है.

2002 के वर्ल्ड कप के बाद से वे एशियाई देशों में जर्मनी के सबसे लोकप्रिय फुटबॉल स्टार हैं. वे बायर्न म्यूनिख की टीम के साथ कोलकाता का भी दौरा कर चुके हैं जहां उनके सम्मान में विदाई मैच हुआ. 2009 से वे चीन की सरकारी टेलीविजन में प्रसारित "सुपर गोलकी की खोज में चीन" में जूरी सदस्य हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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