जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल एक बड़े प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत के तीन-दिवसीय दौरे पर हैं. भारत में उद्योग जगत और जानकारों के बीच इस यात्रा को लेकर मिली जुली भावनाएं हैं.
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जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल एक बड़े प्रतिनिधि मंडल के साथ भारत के तीन-दिवसीय दौरे पर हैं. शुक्रवार को इस दौरे के पहले दिन दोनों देशों के बीच 22 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए. इनमें शिक्षा, कौशल विकास, कृषि, तकनीकी शोध जैसे पारम्परिक क्षेत्रों के अलावा, ईको फ्रेंडली शहरी यातायात, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अंतरिक्ष सहयोग जैसे नए क्षेत्र भी हैं.
इस यात्रा को लेकर भारत के उद्योग जगत और जानकारों की राय मिलीजुली है. शुक्रवार को देश के प्रमुख अखबारों के पहले पन्ने पर उद्योग जगत की संस्था सीआईआई की तरफ से मैर्केल का स्वागत करते हुए पूरे पन्ने के विज्ञापन छपे थे. कुछ अखबारों में मैर्केल के साथ आए जर्मनी के अन्य मंत्रियों के साथ साक्षात्कार भी छपे थे. एक इंटरव्यू में जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास ने कहा कि दोनों देशों के बीच कई नॉन-टैरिफ और प्रशासनिक रुकावटें हैं जिन्हे दोनों देशों को हटाना चाहिए.
भारत-जर्मनी के बीच कारोबारी और तकनीकी संबंधों का विस्तार हो रहा है. यहां तक कि जर्मनी के कुछ राज्य भारत से पशुओं के चारे का भी आयात करते हैं. जानिए दोनों देश एक दूसरे से क्या क्या खरीदते हैं.
राइन नदी के किनारे बसा जर्मनी का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य नॉर्थराइन-वेस्टफेलिया, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. जर्मनी के साथ होने वाले कुल कारोबार का लगभग 24.11 फीसदी व्यापार इसी राज्य से होता है. पिछले कुछ सालों में निर्यात घटा है. दोनों पक्षों के बीच मशीनरी और कैमिकल्स का बड़ा व्यापार है.
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बाडेन व्युर्टेमबर्ग
भारत के साथ ट्रेड वॉल्यूम में इस राज्य का दूसरा स्थान है. यह राज्य भारत के साथ रसायनी पदार्थ, कपड़ा, गाड़ी की मशीनरी आदि का कारोबार करता है. हालांकि यहां से होने वाला मशीनरी का निर्यात पिछले कुछ सालों में घटा है, लेकिन अब भी राज्य, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उत्पादों में भारत के साथ खासा व्यापार कर रहा है.
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बवेरिया
इंडो-बवेरियन कारोबारी संबंध दोनों देशों के रिश्तों का मजबूत आधार है. मशीनरी, बवेरिया के निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा है. इसके अलावा इलेक्ट्रिकल उत्पादों, कंप्यूटर, कपड़ा, रसायन, धातु का व्यापार होता है. जहां अन्य राज्यों के साथ भारत का कारोबार घटा, तो वहीं तमाम आर्थिक चुनौतियों के बावजूद बवेरिया के साथ आर्थिक साझेदारी मजबूत हुई है.
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बर्लिन
बर्लिन और भारत के कारोबार में साल 2014 के बाद ही तेजी आई है. भारत को यहां से मशीनी उपकरण, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उपकरण का निर्यात किया जाता है. वहीं भारत से यहां गारमेंट्स का आयात किया जाता है. कैमिकल्स और चमड़ा कारोबार दोनों पक्षों के बीच घटा है.
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ब्रैंडनबर्ग
भारत और ब्रैंडनबर्ग के बीच व्यापार मॉडरेट दर से बढ़ा है. इस राज्य के साथ भारत मशीनरी और कैमिकल्स का कारोबार करता है. साथ ही लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों में यह भारत का बड़ा साझेदार है. इसके अलावा कैमिकल्स, इलेक्ट्रिकल, खाद्य उत्पादों और पशुओं का चारा भी इस व्यापार में शामिल है.
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ब्रेमेन
ब्रेमेन के साथ होने वाला मेटल कारोबार हाल के वर्षों में घटा है. इस राज्य के साथ भारत मोटरव्हीकल क्षेत्र, मशीनरी, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल प्रॉडक्ट्स में कारोबार करता है. हालांकि राज्य भारत से टैक्सटाइल, मेटल उत्पादों और चमड़ा उत्पादों का आयात करता है.
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हैम्बर्ग
यहां ट्रेड वॉल्यूम घटा है. इसका बड़ा कारण व्हीकल्स निर्यात में आई कमी है जिसमें एयरबस प्लेन की विशेष बिक्री भी शामिल है. राज्य का भारत के साथ मुख्य रूप से कैमिकल्स, गारमेंट और कृषि उत्पादों (एग्रो-प्रॉडक्ट्स) का व्यापार होता है. हालांकि इन एग्रो-प्रॉडक्ट्स के कारोबार में कुछ मंदी जरूर आयी है.
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हेसे
जर्मनी का बैंकिंग हब कहे जाने वाले हेसे प्रांत के साथ भारत के कारोबारी संबंधों का विस्तार हुआ है. दोनों पक्षों के बीच सबसे अधिक कारोबार रसायनों और दवाओं से जुड़ा हुआ है. इसके साथ ही यह राज्य भारत के साथ चमड़े का कारोबार भी करता है.
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लोअर सेक्सनी
इस राज्य का कारोबार भारत के साथ घटा है. लेकिन मशीनरी कारोबार जस का तस बना हुआ है. भारत के साथ इसका मोटर व्हीकल और कैमिकल्स का कारोबार होता है लेकिन पिछले कुछ समय में गिरावट आई है. वहीं गारमेंट क्षेत्र में दोनों का कारोबार बढ़ा है.
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मैक्लेनबुर्ग वेस्ट-पोमेरेनिया
साल 2014 के आंकड़ों के मुताबिक भारत-जर्मनी की व्यापारिक साझेदारी में इसका हिस्सा 0.41 फीसदी का है. दोनों के बीच सबसे अधिक कारोबार मशीनरी क्षेत्र में होता है. इसके बाद लकड़ी व इलेक्ट्रिकल उत्पादों, ऑप्टिकल प्रॉडक्ट्स का स्थान आता है. साथ ही जर्मनी बड़े स्तर पर खाद्य पदार्थ और पशु चारा भारत से आयात करता है.
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राइनलैंड पैलेटिनेट
भारत के साथ इस राज्य का भी ट्रेड वॉल्यूम बढ़ रहा है. हालांकि साल 2010 से लेकर साल 2013 तक दोनों का ट्रेड वॉल्यूम घटा था लेकिन 2014 के बाद से माहौल सकारात्मक बना हुआ है. राज्य के साथ मुख्य कारोबार कैमिकल्स का है. इसके अलावा मशीनरी बेहद अहम है. साथ ही चमड़ा उत्पादों का भी बड़ा कारोबार दोनों में होता है.
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सारलैंड
भारत के साथ इस राज्य का भी ट्रेड वॉल्यूम घटा है. दोनों के बीच होने वाले मेटल प्रॉडक्ट्स और मशीनरी कारोबार में तेजी से गिरावट आई है. इसके इतर दोनों पक्षों के बीच मोटर व्हीक्लस और कच्चे माल का व्यापार बड़ा है.
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सेक्सनी
जर्मन के पूर्वी राज्यों पर नजर डालें तो सेक्सनी का भारत के साथ बड़ा व्यापार है. इस राज्य के साथ भारत का मशीनरी निर्यात बढ़ा है. मुख्य रूप से यह राज्य कागज, गाड़ी के पुर्जे का व्यापार करता है. इसके अलावा कैमिकल, मशीनरी, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और ऑप्टिकल उत्पाद प्रमुख हैं.
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सेक्सनी अनहाल्ट
भारत के साथ इस राज्य का व्यापार साल 2014 के बाद बढ़ा है. इस राज्य के साथ कैमिकल्स, मशीनरी उत्पादों, धातु में बड़ा कारोबार होता है. साथ ही भारत की दवा कंपनियों समेत धातु और कपड़ा क्षेत्र के लिए भी यहां बाजार सकारात्मक है.
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श्लेसविग होल्सटाइन
अन्य राज्यो की तुलना में इसका कारोबार भारत के साथ घटा है. राज्य, मुख्य रूप से भारत के साथ मशीनरी, कैमिकल्स, इलैक्ट्रिल उत्पादों और कंप्यूटर प्रोसेसिंग के क्षेत्र में व्यापार करता रहा है जिसमें कमी आई है. लेकिन टैक्सटाइल कारोबार साल 2014 के बाद बढ़ा है.
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थ्युरिंजिया
इस जर्मन राज्य के साथ भारत का ट्रेड वॉल्यूम घटा है. इस राज्य के साथ भारत, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल, ऑप्टिकल प्रॉडक्ट, मशीनरी और इलैक्ट्रोनिक उत्पादों में व्यापार करता है. वहीं भारत से यह राज्य टैक्सटाइल्स और इलेक्ट्रिकल उत्पादों का आयात करता है.
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दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज के प्रोफेसर गुलशन सचदेवा कहते हैं कि वैसे तो भारत और जर्मनी के रिश्ते प्रगाढ़ हैं, लेकिन इन रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए जर्मनी को लंबे समय से भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने की उम्मीद है और इस बार भी ऐसा ना होने से जर्मन पक्ष में निराशा दिखी. उनका मानना है कि एफटीए न होने की सूरत में जर्मनी कोशिश कर रहा है कि दूसरे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाए और इसीलिए नए क्षेत्रों में समझौते हुए हैं.
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वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ संदीप दीक्षित कहते हैं कि भारत में भी इस बात को लेकर निराशा है कि 'मेक इन इंडिया' में जर्मनी की ठोस भागीदारी नहीं है. लेकिन उन्होंने ध्यान दिलाया कि जर्मनी के नेता 12 मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिर्फ कुछ ही देशों की यात्रा करते हैं और ये दिखाता है कि भारत के लिए जर्मनी की विदेश नीति में एक विशेष स्थान है. उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर मैर्केल का साझा वक्तव्य दोनों देशों के रिश्तों के भविष्य के लिए एक शानदार नींव में नजर आता है, लेकिन ध्यान देने लायक पहलू ये है कि ये सब सिर्फ इरादे हैं और ये हकीकत में तब्दील होते हैं या नहीं ये देखना होगा.
वहीं कुछ समीक्षक दोनों देशों के रिश्तों में काफी सकारात्मक गतिविधियां भी देख रहे हैं. ओपी जिंदल विश्वविद्यालय के जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स के डीन डॉ. श्रीराम चौलिया का मानना है कि भारत के जर्मनी से बहुआयामी रिश्ते हैं और इस लिहाज से और यूरोपीय देशों के मुकाबले ये ज्यादा कारगर पार्टनरशिप है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा में मैर्केल के साथ जर्मनी के लघु उद्योग के प्रतिनिधि भी आए हैं और वे भारत में उत्पादन करने के लिए काफी इच्छुक लग रहे हैं. उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली के उत्पादन में भारत ने जो तरक्की की है, चांसलर मैर्केल ने उसके लिए प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा की.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन स्थित भारतीय दूतावास में 1 सितंबर 2019 को 'इंडियन वेजिटेरियन फूड फेस्टिवल' का आयोजन किया गया था. भारतीयों के साथ अन्य देश के लोगों ने भी चाट, पकौड़े, इडली, मोमोज सहित अन्य व्यंजनों का स्वाद लिया.
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लिट्टी-चोखा
ये है लिट्टी-चोखा का स्टॉल, जिसे जर्मनी में रह रहे बिहारियों के संगठन बिहार फर्टीनिटी द्वारा लगाया गया. स्टॉल पर बिक रहे घी में डूबी लिट्टी, बैंगन का चोखा, चने की घूघनी और चूड़ा को लोगों ने काफी पसंद किया.
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समोसा और दही टिक्की
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की रहने वाली महिलाओं ने इस स्टॉल का संचालन किया. यहां समोसे, आलू बड़ा, गोलगप्पे, भेलपुरी, मटरी, सेब और बेसन के लड्डू बेचे गए. स्टॉल की संचालिका ने बताया कि लोगों ने इसे काफी पसंद किया.
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गोलगप्पे और बनारसी चाट
गोलगप्पे, बनारसी चाट, कचौड़ी चाट के साथ कई तरह के नमकीन व्यंजन. जर्मनी व अन्य गैर-भारतीयों ने भी चटखारे लेकर इसका आनंद लिया. यह स्टॉल संस्कृति और शिक्षा के लिए काम करने वाली संस्था अमिकाल के द्वारा लगाया गया था.
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घुघनी गरम और नूडल्स
'घुघनी गरम, नूडल्स, मिजो नूडल्स, मोमोज...' पूर्वोत्तर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे इस स्टॉल संचालक को बोलने के तरीके से आकर्षित होकर लोग उनके स्टॉल पर पहुंच रहे थे. काफी लोगों ने 'स्पेशल चटनी के साथ मोमोज का स्वाद' उठाया.
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सांभर और मैसूर पाक
ये कर्नाटक के लोगों द्वारा लगाया गया स्टॉल है. लोगों ने कर्नाटक का पारंपरिक खाना सांभर, चावल, सलाद, आलुगेड्डा, मैसूर पाक का स्वाद लिया.
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इडली और डोसा
यह स्टॉल जर्मनी में रह रहे तमिलनाडु के लोगों द्वारा लगाया गया था. यहां बिक रहे इडली, डोसा, सांभर, मेदु वडा को लोगों ने चटनी से साथ चाव से खाया.
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कुल्चा और बैंगन से बने स्पेशल डिश
ये तेलंगाना राज्य के लोगों द्वारा लगाया गया फूड स्टॉल है. यहां वेज करी, चावल, कुल्चा और बैंगन से बने स्पेशल डिश परोसे गए.
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वरिष्ठ पत्रकार नीलोवा रॉय चौधरी ने इस रिश्ते के मौजूदा राजनीतिक पहलू पर भी ध्यान दिलाया. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर से धारा 370 के हटा दिए जाने के बाद चांसलर मैर्केल पर लगातार ये दबाव बना हुआ है कि वो कुछ कहें क्योंकि मानवाधिकारों की जर्मन राजनीति में एक विशेष जगह है और इस यात्रा में भी हम ये देख रहे हैं कि इसकी उम्मीद की जा रही है.
इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि दोनों अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से गुजर रही हैं और इसीलिए उनके बीच सहयोग का कोई भी क्षेत्र उतना विकसित नहीं हो पा रहा है जितना उसे होना चाहिए. उन्होंने कहा कि विशेषकर जर्मन ऑटो कंपनियों को भारत में पिछले कुछ सालों में जो नुकसान पहुंचा है वो भी द्विपक्षीय रिश्तों में विकास की गति के धीमा होने का कारण है.