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60 की हुईं मैर्केल

१७ जुलाई २०१४

चेहरे पर मुस्कराहट, हाथ में मोबाइल फोन और तेज चाल. जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की जोरदार शख्सियत सबका ध्यान खींचती है. मैर्केल आज अपना 60वां जन्मदिन मना रही हैं, पर रिटायर होने की अभी कोई तैयारी नहीं है.

बधाई मैडम चांसलर!तस्वीर: Reuters

अंगेला मैर्केल आज दुनिया की सबसे ताकतवर हस्तियों में गिनी जाती हैं. सफलता की ऊंचाइयों को मैर्केल ने धीरे धीरे छुआ है. पहले उन्होंने अपने देश में लोगों का दिल जीता, फिर यूरोप में और फिर दुनिया भर में लोकप्रिय हुईं. जर्मनी में किसी महिला के लिए चांसलर बनना आसान नहीं था और वह भी पूर्वी जर्मनी से आने वाली राजनीतिज्ञ के लिए. इसलिए कुछ साल पहले तक कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता था.

करीब नौ साल पहले जब मैर्केल को पहली बार चांसलर पद के लिए चुना गया तो लोगों ने कयास लगाए कि वे ज्यादा वक्त टिक नहीं पाएंगी. मीडिया में लगातार यह चर्चा होती रही कि क्या पूर्वी जर्मनी की एक महिला वाकई चांसलर पद संभाल पाएगी. लेकिन लगातार तीसरी बार चुने जा कर मैर्केल ने अपने सभी आलोचकों के मुंह पर ताले लगा दिए. जर्मनी को तो जैसे मैर्केल की आदत ही पड़ गयी है. लोगों का उनमें इतना अटूट भरोसा है कि वे आगे भी उन्हीं को चांसलर के रूप में देखना चाहते हैं.

सबसे ताकतवर महिला

आज मैर्केल का रुतबा कुछ ऐसा है कि अमेरिका की 'फोर्ब्स' पत्रिका ने इस साल लगातार चौथी बार उन्हें 'दुनिया की सबसे ताकतवर महिला' का दर्जा दिया है. न्यूयॉर्क की 'टाइम' मैगजीन ने भी छठी बार उन्हें दुनिया के सौ सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में रखा है. जर्मनी की बात करें तो समाचार पत्रिका 'डेय श्पीगेल' के अनुसार वे देश की सबसे लोकप्रिय राजनेता हैं. पत्रिका के अनुसार सिर्फ मैर्केल की पार्टी के लोग ही नहीं, बल्कि जनता भी उन्हें आदर्श के रूप में देखती है. बूढें हों या नौजवान, वे सबकी मनपसंद बनी हुई हैं. आखिर उनमें ऐसा क्या है जो उन्हें लोगों का चहेता बना देता है?

अधिकतर लोग मानते हैं कि मैर्केल जमीन से जुड़ीं इंसान हैं, इतना सब हासिल करने के बाद भी उनमें जरा भी अहंकार नहीं है और उनकी यही खूबी लोगों का दिल जीत लेती है. इसकी एक बड़ी मिसाल यह है कि मैर्केल आज भी बर्लिन में अपने पति के साथ अपने पुराने अपार्टमेंट में ही रहती हैं. चांसलर के तौर पर वे आलीशान सरकारी बंगले में रह सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. यहां तक कि राशन खरीदने भी वे खुद ही सुपरमार्केट जाना पसंद करती हैं.

मैर्केल जैसी हैं, वैसी ही दिखती भी हैं. किसी तरह का कोई नाटक, कोई दिखावा नहीं करतीं. थोड़ी नर्म, थोड़ी कठोर. उन्हें अपने काम से मतलब है, इसलिए ज्यादातर वे भावुक नहीं होतीं. लेकिन अगर जर्मनी का फुटबॉल का मैच चल रहा हो, तो बात अलग है. वहां वे खुल कर अपनी खुशी जाहिर करती हैं.

संयुक्त राष्ट्र से जुड़ेंगी

इसके अलावा उनकी वेशभूषा के भी लोग कायल हैं. वक्त के साथ उन्होंने अपना पहनावा और बालों का स्टाइल बदला है. अधिकतर उन्हें काली पतलून और किसी ना किसी रंग के कोट के साथ देखा जाता है, जिनमें वे एक मजबूत शख्सियत के रूप में उभरती हैं. पर सिर्फ चाल ढाल ही नहीं, उनका काम भी लोगों को पसंद आता रहा है.

आर्थिक मंदी के दौर में लोगों को मैर्केल का सहारा रहा. मैर्केल का कहना था कि मंदी के बाद जर्मनी के हालात पहले से बुरे नहीं, पहले से बेहतर होने चाहिए. और उन्होंने ऐसा कर के भी दिखाया. आर्थिक रूप से जर्मनी यूरोप का सबसे स्थिर देश है. इसके बाद जब यूरोप में उनका दबदबा बढ़ने लगा, तब उन्होंने संदेश दिया कि वे सिर्फ जर्मनी ही नहीं, पूरे यूरोप की अर्थव्यवस्था को बढ़ते हुए देखना चाहती हैं. हालांकि ग्रीस संकट के बीच वे आलोचनाओं के बीच भी घिरीं. इसके अलावा यूक्रेन का संकट और एनएसए कांड उनके सबसे बड़े सरदर्द बने हुए हैं.

इस बीच बर्लिन में ऐसी खबरें हैं कि मैर्केल नई नौकरी की तलाश में हैं. माना जा रहा है कि 2017 में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही वे संयुक्त राष्ट्र से जुड़ना चाहती हैं. संयुक्त राष्ट्र भी अपने अगले महासचिव के रूप में एक यूरोपीय ही चाहता है. ऐसे में मैर्केल एक अच्छा विकल्प हैं. लेकिन इस बारे में अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है. अपने जीवन के सातवें दशक में मैर्केल क्या क्या करना चाहती हैं, इस बारे में वे चुप्पी साधना ही बेहतर मानती हैं. पर इतना तय है कि वे आगे भी दुनिया की सबसे ताकतवर हस्तियों में शुमार रहेंगी और साथ ही फुटबॉल का मजा लेना भी नहीं छोड़ेंगी.

रिपोर्ट: काय अलेक्जांडर शॉल्त्स/आईबी

संपादन: महेश झा

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