रुपये की ऐतिहासिक गिरावट ने बाजार को सकते में डाला हुआ है. 28 जून को रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 69.9 पर चला गया. बाजार के ´बिग डैडी´ के कब्जा बरकरार रखने की लड़ाई में, भारत समेत कई देश प्रभावित हो रहे हैं.
विज्ञापन
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत अपने निम्न स्तर पर चली गई है. इससे पहले रिकॉर्ड 68.865 का था जो नवंबर 2016 में बना था. मौजूदा समय में रुपये की कीमत में गिरावट के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था कितनी जिम्मेदार है, इस सवाल का जवाब अमेरिकी डॉलर के पास है. दरअसल रुपया कमजोर तो हुआ ही है, साथ ही डॉलर भी मजबूत हो रहा है.
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के पूर्व संपादक और अर्थशास्त्री परंजॉय गुहा ठाकुरता ने डॉयचे वेले से कहा कि चूंकि अमेरिका का दुनिया के बाजार पर कब्जा है और उसने कर्ज, ड्यूटी समेत अन्य टैरिफ के रेट बढ़ा दिए हैं, जिससे अब देशों को अधिक से अधिक डॉलर खर्च करने की जरूरत पड़ रही है. अमेरिका और चीन के बीच बाजार पर कब्जा बढ़ाने की लड़ाई जिसे ट्रेड वॉर कहा जा रहा है, यह उसी का परिणाम है.
एक से ज्यादा देशों में चलती हैं ये मुद्राएं
आम तौर पर हर देश की अपनी मुद्रा होती है. लेकिन दुनिया में कई ऐसी मुद्राएं हैं जो एक से ज्यादा देशों में चलती हैं. इन्हें साझा मुद्रा कहा जाता है. एक नजर ऐसी ही कुछ मुद्राओं पर..
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Kose
यूरो
यूरो दुनिया की सबसे जानी मानी साझा मुद्रा है. यह यूरोपीय संघ की आधारिकारिक मुद्रा है और संघ के 28 सदस्य देशों में से 19 में यही मुद्रा चलती है. यूरो वाले देशों को यूरोजोन कहते हैं. इसके अलावा कोसोवो, मोंटेनेग्रो और वेटिकन सिटी ने भी इसे अपनाया हुआ है.
तस्वीर: dapd
अमेरिकी डॉलर
अमेरिकी डॉलर को दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा माना जाता है. यह अमेरिका के अलावा इक्वाडोर, अल सल्वाडोर, पनामा, मार्शल आईलैंड, पूर्वी तिमोर, गुआम और पुएर्तो रिको समेत कई देशों और इलाकों की भी आधिकारिक मुद्रा है.
तस्वीर: picture-alliance/ Photoshot
वेस्ट अफ्रीकन सीएफए फ्रांक
पश्चिमी अफ्रीका के आठ देशों में वेस्ट अफ्रीकन सीएफए फ्रांक चलता है. इन देशों में बेनिन, बुरकीना फासो, गिनी बिसाऊ, आइवरी कोस्ट, माली, निजेर, सेनेगल और टोगो शामिल हैं. इन देशों की कुल आबादी साढ़े दस करोड़ से भी ज्यादा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Sanogo
सेंट्रल अफ्रीकन सीएफए फ्रांक
मध्य अफ्रीका के छह देशों में सेंट्रल अफ्रीकन सीएफए फ्रांक आधिकारिक मुद्रा है. इन देशों में कैमरून, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, चाड, रिपब्लिक ऑफ कांगो, इक्वाटोरियल गिनी और गैबोन शामिल हैं. दोनों ही सीएफए फ्रांक कीमत में एक दूसरे के बराबर हैं.
तस्वीर: AP
हांगकांग डॉलर
हांगकांग अब चीन का हिस्सा है लेकिन उसकी अपनी अलग मुद्रा है. हांगकांग के अलावा हांगकांग डॉलर से आप मकाऊ में भी खरीददारी कर सकते हैं. मकाऊ भी चीन का एक इलाका है जिसकी अपनी अलग मुद्रा का नाम मैकेनीज पाटाका है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Clarke
भारतीय रुपया
भारतीय रुपया दुनिया में दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की मुद्रा है. आप चाहें तो भारत के अलावा नेपाल और भूटान में भी रुपये में आराम से चीजें खरीद सकते हैं. इसके अलावा अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में आजकल भारतीय मुद्रा चल रही है. आर्थिक संकट झेल रहे जिम्बाब्वे में दुनिया की कई मुद्राएं भी चलन में हैं.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
रूसी रूबल
रूबल रूस की आधिकारिक मुद्रा है जो अबखाजिया और दक्षिणी ओसेतिया में भी चलती है. ये दोनों ही इलाके खुद को अलग देश मानते हैं, हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें मान्यता नहीं है. रूस इन्हें अलग देश समझता है.
तस्वीर: Alexander Nenenov/AFP/Getty Images
स्विस फ्रैंक
स्विट्जरलैंड की मुद्रा स्विस फ्रैंक यूरोपीय देश लिष्टेनश्टाइन में भी चलती है. लिष्टेनश्टाइन का नाम अकसर उन देशों में आता है जहां दुनिया भर के अमीर लोग टैक्स बचाने के लिए अपना पैसा रखते हैं. आम बोलचाल में इसे काला धन भी कहा जाता है.
तस्वीर: Reuters/K. Pempel
सिंगापुर डॉलर/ब्रूनेई डॉलर
सिंगापुर और ब्रूनेई की अपनी अलग अलग मुद्राए हैं. लेकिन सिंगापुर में ब्रूनेई डॉलर और ब्रूनेई में सिंगापुर डॉलर बड़े आराम से चलता है. आकार में ये दोनों देश बहुत ही छोटे हैं, लेकिन दुनिया के सबसे अमीर देशों में इनकी गिनती होती है.
तस्वीर: picture alliance/dpa/W. Woon
न्यूजीलैंड डॉलर
न्यूजीलैंड की यह मुद्रा अनौपचारिक तौर पर कई और छोटे छोटे देशों में भी चलती है. इनमें कुक आइलैंड, नियू और पिटकैर्न आईलैंड जैसे देश और क्षेत्र शामिल हैं. न्यूजीलैंड डॉलर उन टॉप 10 मुद्राओं में शामिल है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा कारोबार होता है.
तस्वीर: Getty Images/H. Peters
साउथ अफ्रीकन रैंड
दक्षिण अफ्रीका के अलावा साउथ अफ्रीकन रैंड मुद्रा नामीबिया, लेसोथो और स्वाजीलैंड में भी चलती है. हालांकि इन तीन देशों की अपनी अलग मुद्राएं भी हैं. रैंड को 14 फरवरी 1961 में उस वक्त के यूनियन ऑफ साउथ अफ्रीका ने शुरू किया था.
तस्वीर: picture alliance/Anka Agency International
टर्किश लीरा
तुर्की की आधिकारिक मुद्रा टर्किश लीरा उत्तरी साइप्रस की भी मुद्रा है जो खुद को टर्किश रिपब्लिक ऑफ नॉर्दन साइप्रस कहता है. तुर्की इसे एक अलग देश मानता है जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर में यह रिपब्लिक ऑफ साइप्रस का ही एक हिस्सा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Kose
12 तस्वीरें1 | 12
हाल के दिनों में चीन की मुद्रा युआन पर इसका असर पड़ा है और कीमत प्रभावित हुई है जबकि चीन का चालू खाता सरप्लस में रहता है. इंडोनेशिया के रुपियाह और दक्षिण अफ्रीका के रैंड की वैल्यू भी घट रही है. इस गिरावट के लिए ठाकुरता कई कारणों को जिम्मेदार मानते हैं जिसमें से एक कारण डॉलर का मजबूत होना है. एशियाई बाजार में भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है.
डॉलर के मजबूत होने से क्या है नुकसान?
भारत में सबसे ज्यादा आयात अमेरिका से होता है. उस आयात में कच्चे तेल की भी प्रमुख जगह है जिसका भुगतान डॉलर में होता है. हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमत बढ़ी है. ठाकुरता इसके लिए अमेरिकी कदम को जिम्मेदार मानते हैं. वे कहते हैं, "चूंकि अमेरिका ने भारत समेत कई देशों को ईरान से कच्चा तेल खरीदने से मना कर दिया है, इसलिए सभी पर इसका असर पड़ा है." भारत कच्चे तेल का बड़ा हिस्सा ईरान से आयात करता है इसलिए देश की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ा है, क्योंकि अब उतना ही तेल खरीदने के लिए भारत को ज्यादा डॉलर की जरूरत पड़ रही है. ये भी रुपये के कमजोर पड़ने का एक कारण है.
यूरोप को बांटता यूरो
01:33
अर्थशास्त्री ठाकुरता भारत के कमजोर हो रहे चालू खाते को विदेशी निवेश कम होने के लिए भी जिम्मेदार मानते हैं. अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रखा था, लेकिन अब वे हाथ पीछे खींच रहे हैं. 2018 में अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने इंडियन मार्केट्स से 46,197 करोड़ रुपये निकाले हैं. इसके लिए अमेरिका का ब्याज दर बढ़ाना भी जिम्मेदार है. निवेशकों को अब अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से भारत में निवेश करना कम आकर्षक लग रहा है.
भारत में साल दर साल कितना सीधा विदेशी निवेश
फ्रांस को पीछे छो़ड़ भारत दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. 2600 अरब डॉलर वाली भारतीय अर्थव्यवस्था को सीधे विदेशी निवेश से भी फायदा मिल रहा है. एक नजर हाल के समय में भारत में हुए सीधे विदेशी निवेश पर.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
2000-01, 2.37 अरब डॉलर
तस्वीर: AP
2001-02, 4.02 अरब डॉलर
तस्वीर: AP
2002-03, 2.70 अरब डॉलर
तस्वीर: I. Mukherjee/AFP/Getty Images
2003-04, 2.18 अरब डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/Raveendran
2004-05, 3.21 अरब डॉलर
तस्वीर: AP
2005-06, 5.55 अरब डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
2006-07, 12.49 अरब डॉलर
तस्वीर: AP
2007-08, 24.57 अरब डॉलर
तस्वीर: Volkswagen
2008-09, 31.39 अरब डॉलर
तस्वीर: picture-alliance/robertharding
2009-10, 25.83 अरब डॉलर
तस्वीर: Imago/ZumaPress
2010-11, 21.38 अरब डॉलर
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool
2011-12, 31.12 अरब डॉलर
तस्वीर: picture-alliance/robertharding
2012-13, 22.42 अरब डॉलर
तस्वीर: Prakash Singh/AFP/Getty Images
2013-14, 28 अरब डॉलर
तस्वीर: Reuters/B. Mathur
2014-15, 35 अरब डॉलर
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Kiran
2015-16, 55.6 अरब डॉलर
2016-17, 60.1 अरब डॉलर
तस्वीर: AFP/Getty Images/C. Khanna
17 तस्वीरें1 | 17
क्या रुपया फिर आईसीयू में है
रुपये के टूटने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस ट्वीट की चर्चा तेज हो गई है जिसे उन्होंने 5 सितंबर, 2013 को लिखा था और कहा था कि रुपया आईसीयू में चला गया है. इसके अलावा कई ट्वीट्स आए जिसमें आजादी के वक्त भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर की कीमत एक होने की बात कही थी. अब विपक्षी दल प्रधानमंत्री के इन्हीं ट्वीट्स को लेकर उन्हें घेरने की कोशिश कर रहे हैं और रुपये की हालिया गिरावट पर कोई टिप्पणी न आने की आलोचना कर रहे हैं.