रूसी अंतरिक्ष यान ने सफल उड़ान भरी
१४ नवम्बर २०११अगस्त में रूस के मानवरहित अंतरिक्ष यान में हुए विस्फोट की वजह से सोयूज की उड़ान दो महीने तक टालनी पड़ी. लेकिन सोमवार को कजाकिस्तान के बैकोनुर स्टेशन से दो रूसी और एक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री को लेकर सोयुज-एफजी रॉकेट ने अंतरिक्ष की ओर सफल उड़ान भरी.
उड़ान के कुछ मिनटों बाद यान के चालक दल ने एक रेडियो संदेश देते हुए कहा, "सब कुछ सामान्य है और हम बढ़िया महसूस कर रहे हैं." मिशन की निगरानी कर रही टीम ने बताया कि सोयूज टीएमए-22 कैप्सूल सफलता से धरती की कक्षा में प्रवेश कर चुका है. बुधवार को यान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से जुड़ेगा. अमेरिका के डैन बरबैंक, रूस के एंतोन शकाप्लेरोव और एंतोली इवानिशिन यान को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से जोड़ेगे. आईएसएस पर पहले ही अमेरिका, जापान और रूस के एक एक अंतरिक्ष यात्री मौजूद है.
सफल प्रक्षेपण
सफल प्रक्षेपण से रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम को खासी राहत मिली है. अगस्त में सोयुज जैसा ही रूसी रॉकेट प्रक्षेपण के बाद साइबेरिया मे गिर गया. इसके चलते रूसी अंतरिक्ष एजेंसी की तैयारियों पर आशंकाएं जताई जाने लगी. अमेरिका के सभी अंतरिक्ष यानों के रिटायर होने के बाद अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने का एक मात्र जरिया रूसी अंतरिक्ष कार्यक्रम ही है.
1961 में पहली बार यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में भेज कर इतिहास बना देने वाला रूस बीते दशकों में इस क्षेत्र में पिछड़ा है. जून में बैकोनुर से ही रूस ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भेजा था. लेकिन अभियान में कई दिक्कतें सामने आई. अगस्त में मानवरहित यान में विस्फोट हो गया. हालांकि आशंकाओं को दरकिनार करते हुए सोयुज-एफजी के रूसी चालक दल के सदस्य शकाप्लेरोव ने कहा, "हमारे मन में कोई नकारात्मक विचार नहीं है. हमे अपनी तकनीक पर भरोसा है. गहनता से जांच की गई है. हर जगह कैमरे लगाए गए हैं. अंतरिक्ष पर जाने से पहले हर चीज की तीन बार जांच की गई है."
अंतरिक्ष अभियानों की रीढ़
सोयूज डिजायन के रॉकेट ने 1960 के दशक के अंत में पहली उड़ान भरी. तब से सोयूज ही रूस के अंतरिक्ष अभियानों की रीढ़ रहा है. निर्धारित कक्षाओं तक पहुंचने में नाकाम रहने की वजह से सोयूज की कई बार आलोचना भी हुई लेकिन इंसान को अंतरिक्ष में ले जाने के मामले में इसका सुरक्षा रिकॉर्ड काफी बेहतर है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा चैलेंजर और कोलंबिया अंतरिक्ष यानों के जानलेवा हादसे झेल चुकी है. 1986 में चैलेंजर उड़ान भरने के 73 सेकेंड बाद ही फट पड़ा, हादसे में सभी सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए. 2003 में कोलंबिया अंतरिक्ष से वापस धरती की कक्षा में लौटते समय फट पड़ा. कोलंबिया में सवार भारतीय मूल की वैज्ञानिक कल्पना चावला समेत सभी सात अंतरिक्ष यात्री मारे गए. वहीं सोयूज अब तक एक ही बार ऐसे हादसे का शिकार हुआ है, वह भी 40 साल पहले 1971 में.
रिपोर्ट: एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ईशा भाटिया