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रूसी कंपनी ने ईरानी जहाजों से रिश्ता तोड़ा

६ सितम्बर २०१२

रूस की एक सोसायटी ने ईरान की सबसे बड़ी शिपिंग कंपनी के जहाजों की पर्यावरण और सुरक्षा मानकों की पुष्टि का काम बंद करने का फैसला किया है. अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चंगुल में फंसने के डर से रूसी कंपनी ने यह कदम उठाया.

तस्वीर: AP

ईरान अपने विवादित परमाणु कार्यक्रम के कारण जबरदस्त दबाव झेल रहा है और दूसरे देशों की कंपनियां ईरान की शिपिंग कंपनियों से अपना रिश्ता तोड़ रही हैं. ईरान के लिए शिपिंग कंपनियां बेहद अहम हैं क्योंकि इन्हीं के जरिए उसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ तेल की ढुलाई होती है. विदेशी कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों से रिश्ता खराब होने का डर उन्हें ईरान से दूर कर रहा है. हालांकि रूस की सरकार ईरान के साथ है. अमेरिका और साथी देशों के जरिए उस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों का भी वह विरोध कर रहा है. रूसी सरकार ने तो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को विवादित मानने से भी इनकार कर दिया है. इन सब के बीच रूसी कंपनी का यह कदम हैरान करने वाला है.

सेंट पीटर्सबर्ग में मौजूद रशियन मैरीटाइम रजिस्टर ऑफ शिपिंग(आरएस) दुनिया की उन 13 शीर्ष सोसायटियों में है जो जहाजों का वर्ग तय करती हैं. अमेरिका की तरफ से दबाव बनाने वाले गुट यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान की तरफ से अनुरोध करने पर आरएस ने ईरान में अपना कामकाज बंद करने का फैसला किया है. यूनाइटेड अगेंस्ट न्यूक्लियर ईरान अमेरिका के पूर्व राजदूतों का एक गुट है जो निजी दान पर चलता है और उसने कई और कंपनियों को ईरान से बाहर कराने में बड़ी भूमिका निभाई है. इन कंपनियों से अगर जहाजों के दस्तावेज पर मुहर न लगे हों तो उन्हें न तो इंश्योरेंस मिलेगा न ही दुनिया के ज्यादातर बंदरगाहों पर टिकने की जगह.

तस्वीर: AP

आर एस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिखाइल आयवाजोव ने यूएएनआई को लिखे पत्र में कहा है, "ईरान में आरएस का काम बंद करने का फैसला किया गया है." इस पत्र की एक कॉपी समाचार एजेंसी रॉयटर्स को मिली है. पत्र के साथ ही अलग से एक नोट भी है जिसमें लिखा गया है, "1913 में अपने गठन के बाद से ही आएस कभी भी राजनीतिक संगठन नहीं रहा और ना ही इसने कभी किसी देश या संगठन के राजनीतिक हितों के लिए काम किया है." आर एस के अधिकारी इस बारे में बयान देने के लिए सामने नहीं आए हैं.

पिछले महीने रूस ने ईरान पर अमेरिका के ताजे प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की थी और इन्हें, "खुल्लमखुल्ला ब्लैकमेल" कहा था. रूस ने यह भी कहा कि अगर रूसी कंपनियों के हितों पर असर पड़ा तो इससे अमेरिका के साथ उसके संबंध खराब होंगे. यूएएनआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क वालेस ने कहा है, "यह महत्वपूर्ण है कि रूस की प्रमुख कंपनी ने ईरान की आईआरआईएसएल के साथ काम करने से इनकार कर दिया है. ईरान के दोस्त घट रहे हैं."

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने ईरान के तेल उद्योग को निशाना बनाया है. ईरान की सरकार की आमदनी का यह सबसे बड़ा जरिया है. पश्चिमी देश चाहते हैं कि ईरान पर दबाव बना कर वहां के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद को परमाणु कार्यक्रम रोकने पर विवश किया जाए. हालांकि ईरान का लगातार कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण कामों के लिए है. ईरान के शिपिंग उद्योग से जुड़े एक सूत्र का कहना है, "ईरान अपने लिए रास्ते ढूंढ लेगा लेकिन हर गुजरते दिन के साथ यह कठिन होता जा रहा है."

प्रतिबंधों के दबाव ने ईरान के नेतृत्व वाली शिपिंग कंपनी ईरानो हिंद शिपिंग को खत्म होने के कगार पर पहुंचा दिया है. ईरान के सबसे बड़ा टैंकर ऑपरेटर एआईटीसी भी लगातार अमेरिका के निशाने पर है. पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद रूस ने ईरान और सीरिया के साथ मजबूत कारोबारी रिश्तों को बनाए रखा है, खासतौर से शिपिंग के धंधे में. रूस की कुछ कंपनियों ने ईरान से अपना रिश्ता जरूर तोड़ा है जिनमें लुकॉयल शामिल है. अनाज और खाने पीने की दूसरी चीजें जिन पर प्रतिबंध नहीं है, उनका कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है.

दुनिया में जहाजों का वर्ग तय करने वाली 50 सोसायटी हैं. इनमें से 13 सबसे बड़ी सोसायटियों में जर्मनी की जर्मेनिशर लॉयड और फ्रांस की ब्यूरो वेरिटास भी है. यह दोनों ने यूएएनआई के निशाने पर आने के बाद पहले ही ईरान को विदा कह दिया है. ब्रिटेन की लॉयड भी प्रतिबंधों का हवाला दे कर ईरान से बाहर हो चुकी है. बड़ी सोसायटियों में एक दक्षिण कोरिया की सोसायटी भी है और वह ईरान को अपनी सेवा दे रही थी. हाल ही में उसने जहाजों के वर्ग तय करने के अपने काम को बंद करने का एलान कर दिया है.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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