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रूसी गैस पाइपलाइन पर अमेरिकी तेवरों से चौकन्ना जर्मनी

१९ मार्च २०२१

रूस और जर्मनी के बीच बाल्टिक सागर से होते हुए लगभग तैयार गैस पाइपलाइन को लेकर अमेरिका असमंजस में है. उसे रूस के दबदबे की फिक्र है तो इधर जर्मनी कूटनीतिक समाधान खोज रहा है.

Nord Steam 2 Bauarbeiten
तस्वीर: Walter Graupner/Nord Stream 2

जर्मनी को उम्मीद है कि अमेरिका, रूसी गैस को यूरोप पहुंचाने वाली "नॉर्ड स्ट्रीम 2" परियोजना पर व्यवहारिक रुख अपनाएगा. वैसे जर्मन अधिकारियों और राजनयिकों का कहना है कि अमेरिकी विरोध पर ध्यान न देकर, जर्मनी का जोर गैस पाइपलाइन का काम जल्द से जल्द पूरा करने पर है. 

रूसी गैस एजेंसी गाजप्रोम के 11 अरब डॉलर वाले प्रोजेक्ट को रोकने के लिए एक के बाद एक अमेरिकी सरकारों ने कुछ कंपनियों पर प्रतिबंध थोप दिए हैं और प्रोजेक्ट से जुड़ी अन्य कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है. व्हाइट हाउस के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन बाल्टिक सागर से होते हुए जर्मनी जाने वाली इस पाइपलाइन को "यूरोप के लिए एक बुरा विचार" मानते हैं.

पाइपलाइन पर अमेरिकी खीझ और राजनीति

नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन पश्चिम के मित्र देश यूक्रेन को बाइपास करते हुए गुजरेगी. इस तरह यूक्रेन भारीभरकम ट्रांजिट शुल्क से वंचित रह जाएगा. इससे रूस पर यूरोप की ऊर्जा निर्भरता भी बढ़ेगी और अमेरिकी लिक्वीफाइड नेचुरल गैस से भरे जहाजों से प्रतिस्पर्धा भी होगी.

नॉर्थ स्ट्रीम 2 पर तल रहा है कामतस्वीर: Axel Schmidt/Nord Stream 2

जर्मनी के मुताबिक सबसे सही रणनीति यही होगी कि प्रोजेक्ट के पूरा होते ही अमेरिका के साथ एक पक्का समझौता कर लिया जाए. ट्रैकिंग डाटा को मॉनीटर करने वाले विश्लेषकों का कहना है कि पाइपलाइन 95 प्रतिशत तक बन चुकी है और सितबंर तक पूरी हो सकती है.

ऐसी सूरत में बाइडेन प्रशासन को प्रोजेक्ट पर अड़ंगा लगाने का टाइम ही नहीं मिलेगा. यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है, "जर्मनी थोड़ा वक्त काटते हुए सुनिश्चित करना चाहता है कि निर्माण कार्य पूरा हो जाए क्योंकि उन्हें लगता है कि एक बार पाइपलाइन चालू हो गई, तो (अमेरिका को) चीजें नए ढंग से दिखने लगेंगी."

रॉयटर्स से बात करने वाले अन्य अधिकारियों की तरह मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उक्त राजनयिक ने भी अपना नाम नहीं बताया. हालांकि अमेरिका ने कहा है कि वह इस पाइपलाइन के खिलाफ बोलता रहेगा लेकिन जर्मन अधिकारियों और यूरोपीय संघ के राजनयिकों को लगता है कि बातचीत के मौके बने हुए हैं.

यूरोपीय संघ के एक दूसरे राजनयिक ने कहा, "जर्मनी मानता है कि अमेरिका में इस बारे में बात करने और इसका हल निकालने को लेकर इच्छा नजर आती है." जर्मनी ने अमेरिका के साथ गैस पाइपलान के बारे में ठोस बातचीत शुरू नहीं की है. और वे अमेरिकी रुख के बारे में निश्चित तौर पर कुछ जानता भी नहीं है.

समस्या नहीं समाधान बनेगी पाइपलाइन

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक प्रतिबंधों से जुड़े जोखिमों के साथ अमेरिका जर्मन सरकार को बहुत सारे स्तरों पर व्यस्त भी रखना चाहता है. बाइडेन प्रोजेक्ट का विरोध करते हैं लेकिन यूरोप के साथ संबंधों को दुरुस्त करने की कोशिश भी कर रहे हैं.  उक्त अधिकारी के मुताबिक, "इस मामले में अमेरिका को बातचीत के लिए विकल्पों की आड़ लेने की जरूरत नहीं हैं. यह समस्या जर्मनी की है और उसी की बनाई हुई है."

जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मासतस्वीर: Gregor Bauernfeind/dpa/picture alliance

लेकिन जर्मनी भी अड़ा है. अपनी ओर से किसी पेशकश का उसका भी इरादा नहीं. एक वरिष्ठ जर्मन अधिकारी ने कहा, "हम कोई ऑफर नहीं दे रहे हैं, न ही अमेरिकी सरकार कुछ मांग रही है." जर्मनी के विदेश मंत्री हाइको मास, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिन्कन से अपनी सीधी मुलाकात का इंतजार कर रहे हैं. जर्मन राजनयिकों का कहना है कि अगर ब्रसेल्स में नाटो विदेश मंत्रियों की इस महीने के अंत में होने वाली बैठक में ब्लिन्कन आते हैं तो यह मुलाकात संभव है.

मास ने नई गैस पाइपलाइन को राजनीतिक नहीं बल्कि निजी उद्यम बताते हुए उसका बचाव किया है. और उससे जुड़ी कंपनियों का यही दावा है कि गैस लिंक का रास्ता विशुद्ध रूप से व्यवसायिक मामला है. जर्मनी का यह भी कहना है कि पाइपलाइन, यूरोप को गैस सप्लाई के अवरोधों से निजात दिलाएगी. इसकी बदौलत यूक्रेन की राजधानी कीव भी सुरक्षित हुई है क्योंकि रूस यूक्रेन के रास्ते अपने यहां उत्पादित गैस का कुछ हिस्सा निर्यात कर पा रहा है. लेकिन अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश कहते हैं कि ये परियोजना यूरोप के देशों को झांसा देने और यूक्रेन जैसे उन पड़ोसियों को नीचा दिखाने की रूसी योजना का हिस्सा है जो उसके दबदबे से पीछा छुड़ाना चाहते हैं.

मुश्किल विरासत और चौकन्ना जर्मनी

नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन पर अपना विरोध दोहराते हुए बाइडेन प्रशासन के कुछ अधिकारी कहते हैं कि अमेरिका को थोड़ा व्यवहारिकता का तकाजा भी रखना होगा कि हकीकत में क्या संभव है और क्या नहीं क्योंकि पिछली दो सरकारें तो पाइपलाइन परियोजना को रोक नहीं पाईं.

जर्मनी की संसद बुंडेसटागतस्वीर: Gregor Bauernfeind/dpa/picture alliance

रॉयटर्स से बातचीत में विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "संदर्भ भी महत्वपूर्ण है, मेरा मतलब, यह एक मुश्किल विरासत है." यह जानते हुए कि पाइपलाइन का काम लगभग पूरा हो चुका है, कुछ वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने बाइडेन प्रशासन से आग्रह किया है कि जर्मनी पर खामखां दबाव न डालकर इस बात पर ध्यान दें कि भविष्य में संकट के दिनों में इस गैस पाइपलाइन का ज्यादा से ज्यादा फायदा कैसे उठाना है.

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, "अगर हम पाइपलाइन को रोक नहीं सकते हैं, तो सोचना चाहिए कि एक बार चालू हो जाने के बाद हम इससे कैसे अधिक से अधिक फायदा उठाएं." पिछले महीने अमेरिका में तैनात एक पूर्व जर्मन राजदूत ने अमेरिका और जर्मनी के बीच एक समझौते का विचार दिया जिसके तहत पाइपलाइन अधिकतम राजनीतिक फायदे की चीज बन सकती है.

इस योजना में जर्मनी के ऊर्जा नियामक को यह शक्ति दी जा सकती है कि अगर रूस कोई सीमा लांघने की कोशिश करे, तो गैस का प्रवाह रोक दे. पूर्व राजदूत वोल्फगांग आइशिंगर इसे इमरजेंसी ब्रेक कहते हैं. और इसकी जरूरत ऐसी घटनाओं के दौरान पड़ सकती है जैसी तब देखने को मिली जब यूक्रेन और रूस के बीच हिंसा भड़क उठी थी. रूस ने 2014 में क्रीमिया प्रायद्वीप को हड़प लिया था या फिर ऐसा हो कि रूस यूक्रेन के मौजूदा गैस ट्रांसिट ढांचे को बिल्कुल अनदेखा कर दे.

अमेरिकी चिंताओं को कम करने के लिए तैयार इस प्रस्ताव ने वरिष्ठ यूरोपीय अधिकारियों के अलावा जर्मनी के बाहर मौजूद राजनयिकों और जर्मन सरकार के हिस्सों में दिलचस्पी जगाई है. लेकिन यह प्रस्ताव समग्र रूप से जर्मन सरकार का ध्यान नहीं खींच पाया है. क्योंकि इसे लागू करने में व्यवहारिक दिक्कते हैं और दूसरी वजह यह है कि जर्मनी अमेरिका के साथ किसी तरह का कॉम्प्राइज करने की बहुत जरूरत महसूस नहीं करता है.

एसजे/आईबी (थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन)

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