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रूसी मिसाइलों का निशाना बना यूक्रेन का लवीव

१८ अप्रैल २०२२

रूसी मिसाइलों ने यूक्रेन के लवीव शहर को निशाना बनाया है. यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि इन हमलों में सात लोगों की मौत हुई है. यूक्रेन के मुताबिक, पूर्वी इलाकों में बड़े हमले की रूसी सेना की तैयारी लगभग पूरी हो गई है.

लवीव से सोमवार सुबह उठता धुआं
लवीव से सोमवार सुबह उठता धुआंतस्वीर: Yuriy Dyachyshyn/AFP/Getty Images

लवीव में एक के बाद एक हुए कई धमाकों से वहां के आसमान में गहरा काला धुआं उठता दिख रहा है. इन धमाकों की वजह से कई जगहों पर आग लग गई और खिड़कियों के शीशे टूट गए हैं. शहर के मेयर का कहना है कि रात भर चले हमलों में 11 लोग घायल भी हुए हैं. मेयर के मुताबिक रूसी सेना ने तीन सैन्य ठिकानों और एक टायर की दुकान को निशाना बनाया है. घायलों में एक बच्चा भी शामिल है.

इन हमलों की चपेट में एक होटल भी आया है जिसमें पूर्वी इलाकों से भाग कर आए लोग रह रहे थे. पूर्वी शहर खारकीव से दो बच्चों के साथ भाग कर आई लुडमिला तुरसाक ने कहा, "अब यूक्रेन में कहीं कोई जगह नहीं जहां हम लोग सुरक्षित महसूस कर सकें." लवीव और बाकी के पश्चिमी यूक्रेन ने तकरीबन दो महीने से चली आ रही जंग में कम ही हमले देखे हैं और मोटे तौर पर इन्हें सुरक्षित माना जाता रहा है.

लवीव पर हमले के बाद हुआ नुकसानतस्वीर: Ozge Elif Kizil/AA/picture alliance

यह भी पढ़ेंः यूक्रेन के बाद एक और देश जुटा है रूस से बचने की तैयारी में

राजधानी कीव के दक्षिण में मौजूद वासिलकीव शहर में भी एक शक्तिशाली धमाका हुआ है. यहां सेना का एक हवाई अड्डा है. हालांकि अभी यह नहीं पता चल सका है कि किसे निशाना बनाया गया है. सैन्य विश्लेषकों के मुताबिक, रूस पूरे यूक्रेन में हथियारों की फैक्ट्रियां, रेलवे और दूसरे बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए हमले कर रहा है ताकि डोनबास में हमले के दौरान यूक्रेनी प्रतिरोध को कमजोर किया जा सके. रूसी सेना बीते कई दिनों से डोनबास पर हमले कि लिए खुद को संगठित करने में जुटी है.

रूसी सेना का कहना है कि उसने पूर्वी और मध्य यूक्रेन में 20 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है. इनमें हथियार डिपो, कमांड मुख्यालय, सैनिकों और गाड़ियों के समूह भी शामिल हैं. सेना का यह भी कहना है कि उसके तोपखाने ने 315 ठिकानों को निशाना बनाया और जंगी जहाजों ने 108 हमले यूक्रेन के सैनिकों और उपकरणों पर किए हैं. हालांकि इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है.

हमले का सायरन बजने के बाद बंकरों में छिपे लवीव के लोगतस्वीर: Gian Marco Benedetto/AA/picture alliance

डोनबास पर बड़े हमले की तैयारी

यूक्रेनी सूत्रों का कहना है कि रूसी सेना ने पूर्वी डोनबास इलाके में नए हमले के लिए अपनी तैयारी लगभग पूरी कर ली है. सोमवार को यूक्रेनी जनरल स्टाफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "पूर्वी ऑपरेशनल एरिया में रूसी फेडरेशन के सशस्त्र बल हमलावर सेना की संरचना पूरी कर रहे हैं." राजधानी कीव के उपनगरों समेत उत्तरी यूक्रेन में भारी नुकसान करने के बाद अपनी सेनाओं को हटा कर रूस ने अपना पूरा ध्यान पूर्वी यूक्रेन पर कब्जा करने में लगाया है. रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना फिलहाल छोटे-छोटे हमलों के जरिए यूक्रेनी सेना की रक्षा पंक्ति में कमजोर कड़ियों की पहचान करने में जुटी है. उदाहरण के लिए डोनबास के कई इलाकों में रात को हमले किए गए हैं.

जनरल स्टाफ की रिपोर्ट में कहा गया है, "दुश्मन सेना का ध्यान मुख्य रूप से लिमानस, क्रेमिन्ना, पोपासना और रुबिझने पर है. इसके साथ ही वो मारियोपोल पर पूर्ण नियंत्रण करना चाहते हैं." बंदरगाह वाला शहर मारियोपोल क्राइमिया और रूस समर्थित अलगावादियों के इलाके डोनबास के बीच में पड़ता है. इसलिए रूस की खास नजर मारियोपल पर है इस पर कब्जे के साथ उसका पूर्वी इलाकों से जमीनी संपर्क हो जाएगा क्योंकि क्राइमिया पर उसने 2014 से ही कब्जा कर रखा है. 

लवीव हमले में ध्वस्त मकानों की आग बुझाने में जुटे दमकलकर्मीतस्वीर: Joe Raedle/Getty Images

मारियोपोल पर कब्जे को इन तैयारियों के लिहाज से अहम बताया जा रहा है क्योंकि तब रूसी सैनिक नये अभियान के लिए खाली हो जाएंगे. इसके अलावा रणनीतिक रूप से भी उसे बढ़त मिल जाएगी.

पूर्वी इलाकों में बड़े हमले की तैयारी में जुटी रूसी सेना अगर सफल रहती है तो व्लादिमीर पुतिन दुनिया को दिखाने के लिए एक जीत हासिल कर लेंगे और तब शायद जंग थम जाए. क्योंकि युद्ध में बढ़ते नुकसान और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की जकड़ से रूस की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

शरणार्थी संकट

संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का कहना है कि अब तक 49 लाख से ज्यादा यूक्रेनी शरणार्थी रूसी हमले के बाद देश छोड़ कर गए हैं. रविवार को यह संख्या 65,396 बढ़ कर 4,934,415 तक चली गई. इस जानकारी के साथ ही यूएनसीएचआर ने महिलाओं और बच्चों के शोषण के खतरे की चेतावनी दी है.

डोनबास के इलाके में पिल्लों के साथ खड़ा यूक्रेनी सैनिकतस्वीर: Wolfgang Schwan/AA/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र की अंतरराष्ट्रीय प्रवास एजेंसी का कहना है कि करीब यूक्रेन में रहने वाले दूसरे देशों के 215,000 भी यूक्रेन छोड़ कर पड़ोस के या फिर अपने देश लौट गए हैं. इसका मतलब है कि युद्ध शूरू होने के बाद 50 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन से बाहर निकले हैं. यह अब तक की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी है. यूक्रेन से बाहर जाने वालों में 90 फीसदी महिलाएं और बच्चे हैं. अगर यूक्रेन के अंदर ही विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या जोड़ ली जाए तो देश की करीब एक तिहाई आबादी विस्थापित हुई है.

यह भी पढ़ेंः युद्ध में अब तक यूक्रेन के 3000 सैनिकों की मौत

यूक्रेन लौट रहे हैं यूक्रेनी

पोलैंड के बॉर्डर गार्ड ने गिनती की है कि रविवार को जितने लोग यूक्रेन से पोलैंड आए उससे ज्यादा लोग पोलैंड से वापस यूक्रेन गए. सोमवार को ट्विटर पर बॉर्डर गार्ड ने बताया है कि बीते 24 घंटे में करीब 17,300 लोग पोलैंड से यूक्रेन गए जबकि इसी अवधी में करीब 19,300 लोगों ने यूक्रेन में पोलैंड के रास्ते वापसी की. एक दिन पहले की तुलना में यह संख्या करीब 10 फीसदी कम है.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक युद्ध शुरू होने के बाद करीब 28.1 लाख लोग यूक्रेन से पोलैंड भाग कर आए हैं. यूक्रेन वापस लौटने वाले लोग ज्यादातर उन इलाकों में जा रहे हैं जिन्हें रूसी सेना के पूर्वी इलाकों की ओर बढ़ने के बाद यूक्रेन की सेना ने दोबारा अपने नियंत्रण में ले लिया है. अभी तक आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्ट जानकारी नहीं दी गई है कि कितने लोग यूक्रेन से आने के बाद पोलैंड में ही रुके हैं और कितने वहां से आगे दूसरे यूरोपीय देशों में चले गए हैं.

मारियोपोल में मारे गए आम लोगों के शवतस्वीर: Alexander Ermochenko/REUTERS

इस बीच जर्मनी ने कहा है कि वह यूक्रेनी शरणार्थियों के लिए कोई अधिकतम संख्या तय नहीं करेगा. अब तक जर्मनी में यूक्रेन से 320,000 शरणार्थी आ चुके हैं. जर्मनी के 1100 डॉक्टरों ने यूक्रेन युद्ध में घायलों के इलाज के लिए यूक्रेन और पड़ोसी देशों में तैनाती के लिए अपना नाम दर्ज कराया है.

कीव में दूतावास दोबारा खुले

सोमवार को इटली ने कीव में अपना दूतावास फिर से खोल दिया है. रूसी सैनिकों के वापस होने के बाद राजनयिकों की यूक्रेनी राजधानी में वापसी होने लगी है. इटली ने 24 फरवरी को हमला होने के बाद अपने राजनयिकों को वहां से निकाल लिया था.

स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचे ने भी सोमवार को कहा कि आने वाले दिनों में दूतावास खोला जाएगा. फिलहाल स्पेन के राजनयिक पोलैंड चले गए हैं. तुर्की भी अपना दूतावास कीव में वापस ले आया है. युद्ध शुरू होने के बाद तुर्क राजनयिक रोमानिया की सीमा पर चेर्नीव्त्सी चले गए थे. फ्रांस ने भी  पिछले हफ्ते यह घोषणा कर दी थी कि वह अपना दूतावास पश्चिमी शहर लवीव से कीव ला रहा है.

एनआर/आरएस (डीपीए, एपी, एएफपी)

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