रूसी रॉकेट के सहारे अंतरिक्ष से लौटने वाले यात्री चिंता में
१५ मार्च २०२२अंतरिक्ष यात्री मार्क वांडे हई को एक रूसी कैप्सूल में धरती पर वापसी करनी है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इस बात पर अड़ी है कि उनकी वापसी पहले से तय समय पर हो. उनकी वापसी मार्च के आखिर में प्रस्तावित है. रूस के यूक्रेन पर हमले का एक नतीजा अंतरिक्ष अभियानों के टलने और करारों के रद्द होने के साथ ही जुबानी जंग के रूप में भी नजर आया है.
अंतरिक्ष स्टेशन के भविष्य पर सवाल
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के भविष्य को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी के प्रमुख और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबीदमित्री रोगोजिन ने हाल ही में कई कठोर बातें कही हैं. बहुत से लोग इस बात पर चिंता जता रहे हैं कि रोगोजिन कई दशकों से धरती के बाहर चल रहे साझे शांतिपूर्ण अभियानों को अपने बयानों से खतरे में डाल रहे हैं.
अंतरिक्ष यात्री वांडे हई को रूसी सोयूज कैप्सूल के सहारे धरती पर वापस आना है. ऐसे में उनकी वापसी को लेकर चिंताएं स्वाभाविक हैं. मंगलवार को वांडे हई ने एक बार में सबसे ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहने का अमेरिकी रिकॉर्ड बनाया है जो 340 दिन का है. दुनिया के लिए यह रिकॉर्ड 438 दिन का है जो अब भी रूसी अंतरिक्ष यात्री के नाम है. वापस लौटने तक हाइ इस रिकॉर्ड को 355 दिन तक पहुंचा देंगे. हालांकि फिलहाल सबकी नजर उनकी वापसी पर है.
नासा के रिटायर हो चुके अंतरिक्ष यात्री स्कॉट केली के पास अब तक सबसे ज्यादा समय अंतरिक्ष में बिताने का अमेरिकी रिकॉर्ड था. केली यूक्रेन में हो रहे युद्ध से काफी नाराज हैं. उन्होंने अंतरिक्ष में खोज के लिए मिले रूसी मेडल को भी वापस कर दिया है. हालांकि भारी तनाव के बावजूद केली का मानना है कि दोनों पक्ष अंतरिक्ष में साथ मिल कर काम कर सकते हैं. केली का कहना है, "हमें उदाहरण पेश करने की जरूर है कि दोनों देश, जो ऐतिहासिक रूप से बहुत दोस्ताना नहीं रहे हैं, फिर भी किसी जगह पर शांति से काम कर सकते हैं. और वो जगह है अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन. यही वजह है कि हमें इसको बनाए रखने के लिए संघर्ष करना होगा."
कब तक चलेगा अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन?
नासा अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को 2030 तक चालू रखना चाहती है. यूरोपीय, जापानी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसिया भी यही चाहती हैं. लेकिन रूसी एजेंसी ने 2024 के बाद इसे बनाए रखने के लिए कोई प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है.
अमेरिका और रूस इस स्टेशन के मुख्य ऑपरेटर हैं. 2020 में स्पेस एक्स ने अंतरिक्ष यात्रियों को स्टेशन पर भेजना शुरू किया. उससे पहले तक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नियमित रूप से रूसी सोयूज कैप्सूल के सहारे ही वहां जाते रहे और हर बार एक-एक सीट के लिए रूस को करोड़ों डॉलर की फीस दी जाती. रूस और अमेरिकी की अंतरिक्ष एजेंसियां अब भी लंबे समय के लिए आपसी सहयोग के तंत्र पर काम कर रही हैं. इसके तहत रूसी एजेंसी स्पेस एक्स के कैप्सूल को लॉन्च करेगी और अमेरिकी यात्री सोयूज से जाएंगे. इससे स्टेशन में अमेरिका और रूस की मौजूदगी हमेशा बनी रहेगी.
अंतरिक्ष में यूक्रेन युद्ध पर चर्चा
55 साल के वांडे हई सेना से रिटायर्ड अधिकारी हैं. पिछले साल अप्रैल में वह अंतरिक्ष स्टेशन में गए थे. उनके साथ रूस के प्योत्र दुब्रोव और दूसरे अंतरिक्ष यात्री भी थे. हई और दुब्रोव ने वहां सामान्य से दोगुना ज्यादा समय बिताया है. ताकि एक रूसी फिल्म क्रू को जगह दी जा सके. यह फिल्म क्रू अक्टूबर में वहां गया था.
अंतरिक्ष स्टेशन में तो फिलहाल सब ठीक ही चल रहा है. लेकिन वहां से करीब 420 किलोमीटर नीचे धरती पर हालात बिगड़ गए हैं. वांडे हई ने माना है कि वह यूक्रेन के बारे में दुब्रोव और रूसी कमांडर एंटन शकाप्लेरोव से बातचीत नहीं कर रहे हैं. तीन और रूसी अंतरिक्ष यात्री इस शुक्रवार कजाखस्तान से अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरने वाले हैं, जो उनकी जगह लेंगे.
वांडे हाइ ने फरवरी के मध्य में एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा था, "हमने इस बारे में बहुत ज्यादा बात नहीं की है. मुझे यकीन है कि हम सचमुच वहां नहीं जाना चाहते."
नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष स्टेशन का कामकाज अंतरिक्ष में और धरती पर पहले की तरह ही चल रहा है. नासा की ह्यूमन स्पेसफ्लाइट चीफ काथी लॉयडर्स का कहना है, "अगर हम अंतरिक्ष में अपना अभियान शांतिपूर्ण तरीके से जारी नहीं रख सके तो अंतरराष्ट्रीय अभियानों के लिए वह दुखद दिन होगा."
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हई के लिए सोयूज का विकल्प
मंगलवार को बने रिकॉर्ड की ओर ध्यान दिलाने के लिए नासा ने ट्विटर पर लोगों से वीडियो के जरिए सवाल पूछने को कहा. कुछ लोगों ने पूछा है कि क्या वांडे हाई वापसी के लिए अमेरिकी यान चुन सकते हैं? नासा के स्पेश स्टेशन प्रोग्राम मैनेजर जोएल मोंटाल्बानो ने सोमवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि रूसी स्पेस एजेंसी ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि वो वांडे हई और दो दूसरे रूसी अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाएंगे. नासा का एक जहाज और छोटी टीम कजाखस्तान से वांडे हाई को ह्यूस्टन ले जाने के लिए हमेशा की तरह वहां जाने की तैयारी में है.
सहयोग पर प्रतिबंधों का साया
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री हाइडमैरी स्टेफानिशिन पाइपर के पिता यूक्रेन में जन्मे थे. वो मानती हैं कि मौजूदा परिस्थिति कठिन है. पाइपर ने कहा, "हम रूस पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, कंपनियां रूस से कारोबार समेट रही हैं लेकिन अब भी अमेरिकी सरकार, स्पेस एजेंसी रूस के साथ कारोबार कर रहे हैं." उनका कहना है अंतरिक्ष स्टेशन के दो हिस्सों को "एकदम से अलग करने के लिए हमारे पास कोई बटन नहीं है."
अंतरिक्ष स्टेशन से बाहर निकल कर इसे अमेरिका, यूरोप या कहीं और गिराने की धमकियों के अलावा, रोगोजिन ने इस महीने इंटरनेट सेटेलाइट लेकर जाने वाले सोयूज रॉकेट पर दूसरे देशों के झंडों को ढंकवा दिया था.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी भी असमंजस में है. रूस के साथ मिल कर तैयार हुए मार्स रोवर को लॉन्च करने की समय सीमा साल 2020 तय की गई थी. इसे इस साल सितंबर में भेजने की कोशिश भी खटाई में पड़ गई है. मौजूदा हालात देखकर संभावना कम नजर आती है कि 2024 से पहले मंगल ग्रह पर इसे भेजा जा सकेगा.
वहीं रूस ने दक्षिण अमेरिका में फ्रांस की लॉन्च साइट से अपने स्टाफ वापस बुला लिया है. इसके साथ ही यूरोपीय सेटेलाइटों के लिए सोयूज की लॉन्चिंग भी निलंबित कर दी है. इसके बाद रूसी सरकार ने नवंबर में एंटीसेटेलाइट मिसाइल का भी परीक्षण किया है. इसकी वजह से पहले से ही अंतरिक्ष में मौजूद कचरे की मात्रा और ज्यादा बढ़ गई. इस वजह से कई दिनों तक स्पेश स्टेशन में मौजूद सात अंतरिक्ष यात्रियों को अलर्ट पर रहना पड़ा.
रूस, अमेरिका का अंतरिक्ष में सहयोग कब तक चलेगा?
जेफ्री मैनबर ने 1990 के दशक में अमेरिका और रूस के बीच सहयोग बढ़ाने में मदद की थी. उनके प्रयासों के चलते 1998 में दोनों देशों ने स्पेस स्टेशन का पहला हिस्सा लॉन्च किया गया. वह इसे दोनों देशों के सहयोग का ऐसा प्रारूप मानते हैं जो तमाम विरोधों के बावजूद काम करता रहा है. हालांकि उनका यह भी कहना है, "अगर समझौता टूट जाता है तो फिर वापसी का कोई रास्ता नहीं बचेगा और इसका नतीजा आईएसएस प्रोग्राम के समय से पहले खत्म होने के रूप में सामने आएगा."
कई विशेषज्ञों का मानना है कि स्पेस स्टेशन पर क्या होता है, उसकी परवाह ना करें तो भी रूस और पश्चिमी देशों के बीच लंबे समय के अंतरिक्ष सहयोग की गुंजाइश अब कम ही है. जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन लांग्सडन कहते हैं, "रूस पहले ही चीन की तरफ बढ़ रहा है, मौजूदा स्थिति उधर जाने की गति और तेज कर देगी."
वांडे हाई तो ट्विटर पर खामोश हैं लेकिन दूसरे लोग रोगजिन की धमकियों का जवाब दे रहे हैं. रोगोजिन ने कहा था कि रूस अमेरिकी कंपनियों को रॉकेट के इंजिन की सप्लाई बंद कर देगा. साथ ही कहा कि अमेरिकी कंपनियां झाड़ू की तीलियों के सहारे ऑर्बिट में जा सकती हैं. पिछले हफ्ते स्पेस एक्स ने लॉन्च के वक्त आधिकारिक रूप से कहा था, "अमेरिकी झाड़ू की तीलियों के उड़ने का वक्त आ गया है और आजादी की आवाज सुनाई दे रही है."
एनआर/आरएस (एपी)