रूस में सरकार वर्ल्ड कप की मेजबानी करने की कीमत लोगों से वसूलेगी. टैक्स बढ़ाए जा रहे हैं और पेंशन में कटौती हो रही है. वर्ल्ड कप की मेजबानी कर रहे रूस में आजकल फुटबॉल की चकाचौंध में कुछ भी नहीं दिखाई पड़ रहा है.
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यहां तक कि बड़े पेंशन सुधारों को लेकर चिंताओं की तरफ भी किसी का ध्यान नहीं है. पूरा देश फुटबॉल के जश्न में डूबा है. रूसी लोग अपनी टीम के प्रदर्शन से भी काफी खुश हैं जो टूर्नामेंट के क्वॉर्टरफाइनल तक पहुंची. लेकिन पेनल्टी शूटआउट में क्रोएशिया से मिली हार के बावजूद रूसी फैन नाराज नहीं हैं और अपनी टीम को धन्यवाद दे रहे हैं.
15 जुलाई को वर्ल्ड कप के फाइनल के साथ यह सब खत्म हो जाएगा. दुनिया भर से आए फुटबॉल फैन अपने घर लौट जाएंगे और रूसी लोगों को भी फिर रोजमर्रा की मुश्किलों से जूझना होगा. सरकार के जिन अलोकप्रिय सुधारों से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ेंगी, फिर से उन पर चर्चा होने लगेगी.
रूस में पुरुषों के लिए रिटायरमेंट की उम्र 60 साल और महिलाओं के लिए 55 साल है. पुतिन सरकार इसे बढ़ाकर 65 और 63 करना चाहती है.
ये हैं पुतिन की चुनौतियां
इन चुनौतियों को नकार नहीं सकते पुतिन
व्लादिमीर पुतिन साल 2024 तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे. स्टालिन के बाद रूस में पुतिन सबसे ज्यादा समय तक राष्ट्रपति रहने वाले नेता बन गए हैं. लेकिन बतौर राष्ट्रपति पुतिन, आर्थिक मोर्चे पर इन चुनौतियों को नकार नहीं सकेंगे.
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कुशल कामगारों की कमी
वर्तमान में रूस की जनसंख्या तकरीबन 14.6 करोड़ है. साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद देश की जनसंख्या में 50 लाख की कमी आई. इसके बाद के सालों में जन्म दर भी कम रही. लेकिन अब साल 1991 के दौर के बाद की पहली पीढ़ी बाजार में प्रवेश कर रही है जिसे काबिल श्रमशक्ति की कमी झेलनी पड़ सकती है. विशेषज्ञों की राय मे इसका नजर देश के आर्थिक विकास पर भी दिख सकता है.
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रिटायरमेंट की उम्र
रूस में रिटायरमेंट की उम्र महिलाओं के लिए 55 वर्ष तो पुरुषों के लिए 60 वर्ष है. यह दुनिया में सबसे कम है. लेकिन देश में पेंशन भी कम है. जनसंख्या में आ रही कमी ने देश के फेडरल बजट पर बोझ बढ़ा दिया है. पुतिन कई मौकों पर सुधारों की बात कहते रहे हैं. हालांकि देश का एक उदारवादी धड़ा रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ा कर 63 साल करने की वकालत करता है. बढ़ती महंगाई के बीच कम पेंशन यहां एक बड़ा मुद्दा है.
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आकर्षक विदेशी निवेश
विशेषज्ञों की राय में रूस के सामने विदेशी निवेश का आकर्षक ठिकाना बनना एक बड़ी चुनौती है. आकर्षक निवेश पाने के लिए सरकार को देश के भीतर कारोबारी माहौल बेहतर करना होगा साथ ही नौकरशाही में भी कमी लानी होगी. कुछ लोग तो यह भी मान रहे हैं अमेरिका के प्रतिबंधों का रूस ने अब तक इसलिए कोई जवाब नहीं दिया है क्योंकि वह विदेशी निवेशकों को कोई गलत संदेश नहीं देना चाहता.
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तलाशने होंगे नए मौके
रूस के अल्फा बैंक मुताबिक, "देश की अर्थव्यवस्था बुनियादी रूप से कमोडिटी सेक्टर पर निर्भर करती है, जो विकास दृष्टिकोण के लिए स्पष्ट रूप से नकारात्मक है." लेकिन अब इस निर्भरता को कम करने के लिए छोटे और नए कारोबारों में निवेश को बढ़ाना होगा. विशेषज्ञों के मुताबिक रूस को रोबोटिक्स, स्मार्ट तकनीकों समेत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को भी प्रोत्साहित करना चाहिए.
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ठोस आर्थिक तंत्र
निवेश सलाहकार कंपनी मेक्रो एडवाजरी के संस्थापक क्रिस वेफर के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर है. जिसका एक कारण सोवियत संघ के विघटन के बाद आई कमजोरी है तो दूसरा देश को तेल क्षेत्र में होने वाली आसान कमाई. लेकिन अब देश के आर्थिक तंत्र को ठोस बनाए जाने पर जोर दिया जा रहा है. हालांकि सरकार ने बड़ी कंपनियों के आधुनिकीकरण के लिए कई योजनाओं को लॉन्च किया है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
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वैसे किसी को भी इस साल रूसी अर्थव्यवस्था में बड़ी वृद्धि की उम्मीद नहीं है. रूस के आर्थिक मंत्रालय ने इस साल जीडीपी में वृद्धि के अनुमान को 2.2 प्रतिशत से घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है. 2019 में वृद्धि की रफ्तार और सुस्त होने की उम्मीद है जो लगभग 1.4 प्रतिशत रह सकती है.
इस गिरावट की एक बड़ी वजह मूल्य संवर्धित टैक्स (वैट) को बढ़ाने का सरकार का फैसला है. एक जनवरी 2019 से रूस में वैट 18 प्रतिशत से बढ़ कर 20 प्रतिशत हो जाएगा. मंत्रालय का कहना है कि इससे आर्थिक विकास वृद्धि दर घटने और मुद्रास्फीति तेज होने का अंदेशा है.
रूस में पिछले चार साल से वेतनों में कोई इजाफा नहीं हुआ है. लेकिन सरकार उम्मीद कर ही है कि वैट बढ़ाने से अगले साल उसके खजाने में 620 अरब रूबल यानी लगबग 8.5 अरब यूरो आएंगे. यह लगभग विश्व कप की मेजबानी पर आए खर्च के बराबर है. रूसी अधिकारी कहते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन पर उन्होंने 9.21 अरब यूरो खर्च किए हैं.
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माना जा रहा है कि रूस में रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से सरकार को 2019 से 2024 के बीच हर साल 100 अरब रूबल ज्यादा की आमदनी होगी. रूस के श्रम मंत्री मैक्सिम टोपीलिन का कहना है कि इस राशि में से एक हिस्सा पेंशन लाभों को बेहतर बनाने पर खर्च किया जाएगा. अभी रूस में औसतन मासिक पेंशन 200 यूरो दी जाती है.
वैसे अगर रूस में वर्ल्ड कप ना भी होता तो भी रिटायरमेंट की उम्र में तब्दीली और वैट में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना थी. रूसी नागरिक पहले से ही जरूरी सेवाओं के लिए काफी ज्यादा फीस चुका रहे हैं. मिसाल के तौर पर पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए उन्हें 50 यूरो देने पड़ते थे जिसे बढ़ाकर अब 70 यूरो कर दिया गया है. इसके अलावा 30 यूरो में बनने वाले ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 40 यूरो देने होंगे.
रूस के विरोधियों का क्या हाल हुए, देखिए
रूस के विरोधियों का हुआ यह हश्र
रूस की सरकार पर अकसर अपने विरोधियों को साफ करने के आरोप लगते रहे हैं. इस तरह की घटनाओं में कई बार घातक जहर का इस्तेमाल किया गया है. एक नजर कुछ ऐसे ही मामलों पर.
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अज्ञात पदार्थ
सबसे ताजा मामला रूस के पूर्व जासूस सेरगेई स्क्रिपाल और उनकी बेटी का है. ब्रिटिश पुलिस का कहना है कि उन पर एक दुर्लभ पदार्थ से हमला किया गया जिसके बाद उनकी हालत काफी वक्त तक गंभीर बनी रही. ब्रिटेन में रूसी दूतावास ने स्क्रिपाल और उनकी बेटी को जहर दिए जाने के बारे में ब्रिटिश मीडिया की खबरों पर चिंता जताई है. रूस का कहना है कि वह इस मामले की जांच में हर तरह के सहयोग को तैयार है.
जहरीला छाता
शीत युद्ध के दौर में एक बुल्गारियाई विद्रोही को जहरीली नोक वाले एक छाते से मारा गया था. मारकोव एक लेखक और पत्रकार थे. उस समय के कम्युनिस्ट नेतृत्व के कटु आलोचक मारकोव ने 11 सितंबर 1978 को दम तोड़ा. विद्रोहियों का कहना है कि उनकी हत्या के पीछे सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी का हाथ था.
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पोलोनियम-210
केजीबी के पू्र्व जासूस एलेक्जेंडर लितविनेंको ने लंदन के मिलेनियम होटल में ग्रीन टी पी, जिसमें जहरीला पदार्थ पोलोनियम-210 मिला था. आरोप लगते हैं कि यह हत्या खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कहने पर हुई थी, हालांकि रूसी सरकार ने इससे हमेशा इनकार किया. पुतिन के कटु आलोचक लितविनेंको लंदन में रह रहे थे.
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अचानक मौत
नवंबर 2012 में लंदन के एक होटल के बाद अपने एक आलीशान घर में 44 वर्षीय रूसी नागरिक एलेक्जेंडर पेरेपीलिछनी मृत पाए गए. उन्होंने रूसी मनी लॉन्ड्रिंग की छानबीन करने वाली एक स्विस जांच में मदद की थी जिसके बाद उन्हें रूस से भागना पड़ा. उनकी अचानक मौत के बाद भी हत्या होने का संदेह गहराया. लेकिन रूस ने भी इसमें अपना हाथ होने से इनकार किया.
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अब तक बाकी निशान
यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर युशचेंकों के चेहरे पर 2004 में उस समय जहरीला पदार्थ फेंका गया जब वह राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक रैली में थे. पश्चिम समर्थक युशचेंको तत्कालीन प्रधानमंत्री और रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच के खिलाफ मैदान में थे. दर्जनों बार सर्जरी के बावजूद युशचेंकों के चेहरे और शरीर से अब तक निशान नहीं गए हैं. रूस ने इसमें भी अपना हाथ होने से इनकार किया.
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कई बार हमले की कोशिश
रूस के विपक्षी कार्यकर्ता व्लादिमीर कारा-मुर्जा का मानना है कि उन्हें 2015 से 2017 के बीच कई बार जहर देने की कोशिश हुई. बाद में जर्मनी प्रयोगशाला के टेस्ट में उनके शरीर में तीव्र स्तर का पारा, तांबा, मैगनीज और जिंक के अवशेष मिले. रूस ने इस मामले से भी पल्ला झाड़ लिया.