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रूसी हाइपरसोनिक मिसाइलों को आप कितना जानते हैं

कार्ला ब्लाइकर
२६ मार्च २०२२

रूस का दावा है कि उसने यूक्रेन में हाइपरसोनिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के मुकाबले अत्यधिक तीव्र रफ्तार वाली ये मिसाइलें लंबे समय तक रडार की पकड़ में नहीं आती हैं

रूसी हाइपरसोनिक मिसाइल किंजाल
रूसी हाइपरसोनिक मिसाइल किंजालतस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service/AP/picture alliance

यूक्रेन-रूस युद्ध को करीब एक महीना हो चला है, इस बीच पिछले शुक्रवार को हुआ रूसी हमला, पहले से काफी अलग था. रोमानिया से लगती यूक्रेन की सीमा से से 100 किलोमीटर दूर डेलियाटिन नाम के एक छोटे से गांव में हथियार और गोलाबारूद के भूमिगत डिपो को निशाना बनाया गया था. 

हमले में ठिकाना नेस्तनाबूद हो गया. लेकिन बात इतनी सी नहीं थी, बात ये भी थी कि रूस ने इस लड़ाई में पहली दफा हाइपरसोनिक मिसाइल छोड़ी थी.        

रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने, 2018 में हाइपरसोनिक मिसाइलों के जखीरे का उद्घाटन करते हुए इन्हें, "अपराजेय” कहा था.

प्रचार के मकसद से उन्होंने शायद तारीफ बढ़ा चढ़ा कर कर दी हो लेकिन उसमें कुछ सच्चाई भी थी. हाइपरसोनिक मिसाइले कई लिहाज से पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से अलग होती हैं क्योंकि वे मिसाइल रक्षा प्रणालियों की पकड़ में नहीं आ पाती हैं. वे बहुत तेज रफ्तार होती हैं और बहुत कम ऊंचाई से भी मार कर सकती हैं.

हाइपरसोनिक मिसाइल दागता रूसी विमान मिग- 31तस्वीर: Russian Defense Ministry Press Service/AP/picture alliance

कितनी तेज होती हैं हाइपरसोनिक मिसाइलें?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ध्वनि की रफ्तार से पांच से दस गुना ज्यादा तेज गति से उड़ान भरती हैं. उस गति को कहा जाता है माक 5 और माक 10. ध्वनि की कोई एक निर्धारित गति नहीं होती क्योंकि वो वेरिअबल्स यानी परीवर्तनीय चीजों पर निर्भर करती है, खासकर माध्यम पर और उस माध्यम के तापमान पर- जिसके जरिए कोई वस्तु या ध्वनितरंग गुजरती है.

हालांकि एक तुलना के रूप में देखें, तो कॉनकोर्ड का विमान ध्वनि की दोगुना गति से उड़ान भरता था. वो एक सुपरसोनिक विमान था जिसकी अधिकतम रफ्तार 2180 किलोमीटर प्रति घंटा थी याना माक 2.04. इस लिहाज से हाइपरसोनिक उड़ानें उसके मुकाबले कम से कम तीन गुना रफ्तार वाली होती हैं.

यूक्रेन का डेलियाटिन गांव तस्वीर: Fanny Facsar/DW

डेलियाटिन गांव के हथियार डिपो पर गिराई गई रूस की हाइपरसोनिक मिसाइल  का नाम है किन्जाल यानी खंजर. उसकी लंबाई आठ मीटर है.

कुछ जानकारों का कहना है कि इस किस्म की मिसाइल 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती है यानी उसकी गति करीब माक 5 की होगी. जबकि कुछ जानकारों के मुताबिक वो माक 9 या माक 10 की गति से भी मार कर सकती है.

हर लिहाज से उसकी गति बहुत तेज है. अमेरिकी वेबसाइट मिलेट्री डॉट कॉम के मुताबिक इस हथियार की स्पीड इतनी तेज है कि उसके सामने वायु दबाव, एक प्लाज्मा बादल निर्मित कर देता है, जो रेडियो तरंगों को सोख लेता है.  

इसी के चलते किन्जाल यानी खंजर मिसाइल और दूसरे हाइपरसोनिक हथियार रडार प्रणालियों की पकड़ में नहीं आ पाते हैं. उनकी इस खूबी को और मजबूत बना देती है उनकी नीची उड़ान.

यह भी पढ़ेंः भारत ने किया हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी का परीक्षण

कम ऊंचाई

हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक बैलेस्टिक मिसाइलों के मुकाबले कम ऊंचाई में उड़ती हैं.

वे एक निम्न वायुमंडलीय-मुक्त प्रक्षेप पथ में उड़ान भरती हैं. इसका मतलब ये है कि जब तक रडार आधारित मिसालइल रक्षा प्रणाली उन्हें चिन्हित कर पाती है तब तक वे अपने लक्ष्य के इतना करीब पहुंच चुकी होती हैं कि कई मामलों में तो उन्हें भेद पाने के लिए बहुत देर हो चुकी होती है.

रही-सही कसर, हाइपरसोनिक मिसाइलों की, बीच रास्ते में उड़ान की दिशा बदलने की खासियत से पूरी हो जाती है.

पुतिन ने दावा किया था कि उनका देश हाइपरसोनिक मिसाइल में सबसे आगे हैतस्वीर: Vadim Savitsky/Russian Defence Ministry/picture alliance

उनकी रेंज क्या है?

यूक्रेन में इस्तेमाल की गई रूसी हाइपरसोनिक मिसाइल को हवा से दागा गया था. बहुत संभव है किसी मिग-31 लड़ाकू विमान से.

हाइपरसोनिक हथियार जहाजों और पनडुब्बियों से भी छोड़े जा सकते हैं. वे अपने साथ परमाणु विस्फोटक भी ले जा सकते हैं.

किन्जाल मिसाइल 2000 किलोमीटर दूर से मार कर सकती है. दूसरी हाइपरसोनिक मिसाइलें करीब 1000 किलोमीटर दूर जा सकती हैं. 

अगर हाइपरसोनिक मिसाइलें रूसी प्रांत कालिनिनग्राद में तैनात की जातीं तो यूरोप के बहुत से शहर उनकी जद में आ जाते. कालिनिनग्राद रूसी मुख्य भूमि से दूर और पोलैंड, लिथुआनिया और बाल्टिक सागर के पास है. वहां से जर्मन राजधानी बर्लिन महज 600 किलोमीटर दूर है.

लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन के डेलियाटिन गांव में हुआ हमला एक अलग घटना थी और हाइपरसोनिक मिसाइलों के तमाम फायदों के बावजूद रूस अंधाधुंध तरीके से अपने "अपराजेय” हथियारों का इस्तेमाल करने से परहेज करेगा.

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