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सीरियाई सीमा पर रूस और तुर्की की गश्त शुरू

१ नवम्बर २०१९

तुर्की रूस की सेना ने उत्तर पूर्वी सीरिया में संयुक्त रूप से गश्त लगाना शुरू किया है. इस मुद्दे पर समझौता होने के बाद ही तुर्की ने इलाके में सीरियाई कुर्दों के खिलाफ अपने हमले रोके थे.कुर्द इस इलाके से अब पीछे हट गए हैं.

Syrien Darbasiyah türkische und russische Truppen patrouillieren im Norden
तस्वीर: picture-alliance/AA/Turkey‚´s Defense Ministry

तुर्की का हमला शुरू होने के बाद कुर्द इस सीमावर्ती इलाके से पीछ हट गए हैं. संयुक्त गश्त दो हिस्से में होगी. तुर्की ने सीरिया की सीमा के भीतर 10 किलोमीटर के इलाके को अपनी कार्रवाई के लिए मांगा है इसमें एक हिस्सा पश्चिम और दूसरा हिस्सा पूरब की तरफ है.

तुर्की के सैनिक और सीरिया के विपक्षी गठबंधन के लड़ाकों का अब सीमा पर मौजूद ताल अबयाद, रास अल आइन और आस पास के गांवों पर नियंत्रण है. गश्त के लिए तय हुए इलाकों में कामिशली को छोड़ दिया गया है. तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया है कि तुर्की और रूस के सैनिकों, बख्तरबंद गाड़ियों और ड्रोन के साथ अल दारबासियाह इलाके में गश्त शुरू कर दी गई है.

रूसी रक्षा मंत्रालय का कहना है कि संयुक्त गश्त में 9 सैन्य गाड़ियां शामिल हैं जिनमें एक रूसी बख्तरबंद सैनिक वाहन भी है और यह शुक्रवार को 110 किलोमीटर के रास्ते पर गश्त लगाएगा.

अल अबयाद में तुर्की समर्थिक मिलिशियातस्वीर: Getty Images/AFP/B. Alkasem

शुक्रवार को गश्त लगाने वाली सैन्य गाड़ियों पर रूस या तुर्की का झंडा नहीं लगा था. तुर्की और सीरिया की सीमा पर एसोसिएटेड प्रेस के एक पत्रकार ने सीरियाई सीमा की ओर एक मकान पर सीरिया का झंडा लहराते देखा. सीरिया की सरकारी सेना कुर्द इलाकों में पहुंच गई हैं. इसके लिए अक्टूबर में एक समझौता हुआ था.

पिछले महीने तुर्की ने उत्तर पूर्वी सीरिया में हमला कर सीरियाई कुर्दों को पीछे धकेलना शुरू कर दिया था. तुर्की इन कुर्दों को आतंकवादी मानता है और इनका संबंध तुर्की में चल रहे अलगाववादी आंदोलन से जोड़ता है. हालांकि अमेरिका ने इन कुर्दों के साथ मिल कर इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ाई लड़ी. तुर्की की कार्रवाई के बाद नाटो के सहयोगी देशों के बीच ठन गई है. इसमें अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ तुर्की भी शामिल है.

राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अचानक से अमेरिकी फौज को सीरिया से वापस बुलाने के एलान के बाद कुर्द बलों ने सीरिया और रूस की सरकार से सुरक्षा के लिए मदद मांगी. इसके फौरन बाद सीरियाई सैनिकों और रूस की सेना पुलिस की इन इलाकों में तैनाती कर दी गई.

अमेरिका और रूस के साथ हुए दो समझौतों के बाद तुर्की ने अपने हमले रोकने का एलान किया. इन समझौतों के तहत सीरियाई कुर्दों को सीमा से 30 किलोमीटर के इलाके से बाहर निकलने को कहा गया है ताकि तुर्की वहां अपना अभियान चला सके. रूस ने मंगलवार को तुर्की से कहा कि तय समय सीमा के भीतर कुर्द बल इस इलाके से बाहर चले गए हैं. कुर्द बलों ने खुद को मनबिज, ताल रिफात, और फुरात नदी के पश्चिम से हटा लिया है.

तुर्की की कार्रवाई शुरू होने के बाद राहत सामग्री लेकर आते कुर्द शरणार्थीतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Malla

गुरुवार को ही तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने एलान किया कि एक आईईडी धमाके में तुर्की के एक सैनिक की मौत हो गई. इसे मिलाकर अब तक कुल 13 सैनिकों की जान सीरिया में कार्रवाई शुरू होने के बाद गई है. इसके अलावा सीरिया से दागे गए एक मोर्टार की चपेट में आ कर 21 आम तुर्क लोगों की भी मौत हुई थी.

एर्दोवान की योजना

मोटे तौर पर यहां युद्ध थम गया है लेकिन दोनों पक्ष एक दूसरे पर बीच बीच में हमला करने के आरोप लगा रहे हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोवान ने जरूरी होने पर फिर से हमला शुरू करने की चेतावनी दी है.

एर्दोवान ने गुरुवार को कहा कि तुर्की अलल अबायाद और रास अल आइन के बीच शरणार्थियों के लिए "सुरक्षित इलाका" बनाना चाहता है. तुर्की के सरकारी मीडिया के मुताबिक इस पर करीब 26 अरब डॉलर का खर्च आएगा.

एर्दोवान ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश से मुलाकात की और कहा कि वह इस योजना के लिए दानदाताओं की बैठक बुलाने की अपील करें. एर्दोवान का कहना है कि इसके जरिए सीरिया के शरणार्थियों को फिर से बसाने की योजना है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/Turkish Presidential Press Service

एर्दोवान ने कहा, "मैं कहूंगाः आप 'अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं की बैठक के लिए अपील करें. अगर आप नहीं करेंगे तो मैं यह अपील करूंगा.'"

तुर्की का कहना है कि वह अपने देश में रह रहे सीरिया के 36 लाख युद्ध शरणार्थियों में से 20 लाख शरणार्थियों को वहां बसाना चाहता है. एर्दोवान ने इसकी योजना सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की आमसभा में पेश की थी. इसके मुताबिक तेल अबयाद और रास अल आइन के बीच करीब चार लाख लोगों को बसाया जाएगा. एर्दोवान का कहना है कि आमसभा में नेताओं ने उनकी योजना को सकारात्मक रूप से देखा लेकिन इसके लिए धन देने से इनकार कर दिया.

एर्दोवान का कहना है, "हमने अपनी जमीन पर लाखों शरणार्थियों को रखा है. दुर्भाग्य से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जो हमें सहयोग मिला है, वह केवल सलाह है."

एनआर/एके(एपी)

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