रूस को सरकारी बॉन्डों के ब्याज के भुगतान में भारी दिक्कत हो रही है. एक तरफ विदेशी मुद्रा जब्त हो गई है तो दूसरी तरफ बैंकों के कामकाज पर पाबंदी है. आशंका कि है रूस भुगतान करने में नाकाम होगा. ऐसा हुआ तो और क्या होगा?
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अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि रूस सरकारी बॉन्डों के ब्याज का भुगतान नहीं कर पाएगा. रूस पर अरबों डॉलर का विदेशी कर्ज है जिस पर उसे ब्याज देना है. इस आशंका ने 1998 की याद ताजा कर दी है जब रूस के भुगतान करने में नाकामी ने दुनिया भर में आर्थिक उथल पुथल मचा दी थी.
भुगतान में नाकाम रहने यानी डिफॉल्ट का खतरा इस बार ज्यादा बड़ा है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण अब इसे रोक पाना मुश्किल लग रहा है. कितना बड़ा है संकट और क्या होंगे इसके नतीजे.
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क्यों कहा जा रहा है कि रूस डिफॉल्ट करेगा?
दुनिया भर की सरकारें बॉन्ड जारी कर अंतरराष्ट्रीय बाजारों और निवेशकों से कर्ज लेती हैं. जिस पर उन्हें ब्याज देना होता है. समय पर ब्याज की रकम चुकता ना हो तो यह डिफॉल्ट कहा जाता है. इसके कुछ तात्कालिक तो कुछ दूरगामी असर असर होते हैं. इसका खामियाजा कर्ज लेने वाले के साथ ही देने वाले को भी भुगतना होता है.
बुधवार को रूस के सामने दो बॉन्ड के लिए 11.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर के ब्याज का भुगतान करने की तारीख है. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधो के कारण बैंकों पर रूस के साथ लेन देन पर पाबंदी है. इसके साथ ही सरकार के पास विदेशी मुद्रा का जो भंडार है उसका भी ज्यादातर हिस्सा जब्त हो चुका है.
रूसी वित्त मंत्री एंटन सिलुआनोव ने कहा है कि सरकार ने डॉलरों में कूपन जारी करने के निर्देश दिए हैं. हालांकि अगर बैंक यह नहीं कर पाए तो भुगतान रूबल में किया जाएगा. आधिकारिक रूप से डिफॉल्ट के पहले 30 दिन का अतिरिक्त समय मिलता है. तो इसका मतलब है कि रूस के पास पैसा है लेकिन वह भुगतान नहीं कर सकता क्योंकि बैंकों पर पाबंदियां हैं और विदेशी मुद्रा का भंडार जब्त है.
रेटिंग एजेंसियों ने रूस की रेटिंग नीचे गिरा दी है और अब यह निवेश ग्रेड के भी नीचे यानी "जंक" में चली गई है. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिश का कहना है कि "सी" रेटिंग का मतलब है, "डिफाल्ट या फिर डिफॉल्ट जैसी प्रक्रिया" शुरू हो चुकी है.
रूस के कुछ बॉन्ड के लिए रूबल में भुगतान हो सकता है. इसके लिए कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी गई है. हालांकि इन बॉन्ड के लिए नहीं जिनका भुगतान बुधवार को होना है. इसके साथ ही संकेत यह भी हैं कि रूबल की कीमत मौजूदा दर से तय हो होगी जो बहुत नीचे जा चुकी है. इसका मतलब है कि निवेशक को कम पैसे मिलेंगे. बुधवार को फिश ने कहा कि जिस बॉन्ड के बारे में बात हो रही है उसके लिए स्थानीय मुद्रा में भुगतान का मतलब है, "30 दिन का ग्रेस पीरियड खत्म होने के बाद सरकारी डिफॉल्ट."
जिन डॉलर बॉन्ड के लिए रूबल में भुगतान की अनुमति है वहां भी कई मुश्किलें हैं. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एसोसिएशन ऑफ फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष क्ले लॉरी का कहना है, "जाहिर है कि रूबल मूल्यहीन नहीं हैं लेकिन उनका मूल्य तेजी से नीचे जा रहा है. मेरा अनुमान है कि यह कानूनी मामला बन सकता है. क्या यह असाधारण स्थिति खुद रूसी सरकार ने पैदा की है क्योंकि रूसी सरकार ने ही यूक्रेन पर हमला किया है. यह लड़ाई अदालत में चलेगी."
कौन खरीदता है रूस का सामान
अमेरिका ने रूस से तेल आयात बंद कर दिया है. लेकिन रूस के बड़े आयातक तो दूसरे देश हैं, जो उससे तेल ही नहीं और भी बहुत कुछ खरीदते हैं. देखिए रूस के 10 सबसे बड़े आयात साझेदार...
तस्वीर: Vasily Fedosenko/ITAR-TASS/imago images
रूसी सामान का सबसे बड़ा खरीददार
चीन रूस का सबसे बड़ा आयातक है. 2021 में रूस के कुल निर्यात का सबसे ज्यादा (13.4 प्रतिशत) चीन को था, जिसकी कुल कीमत 57.3 अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 4,442 अरब भारतीय रुपये थी.
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नंबर 2, नीदरलैंड्स
स्टैटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक 2021 में रूस ने यूरोपीय देश नीदरलैंड्स को 44.8 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो उसके कुल निर्यात का 10.5 फीसदी था.
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नंबर 3, जर्मनी
रूस की प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा खरीददार जर्मनी दरअसल उसका तीसरा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है. 2021 में जर्मनी ने रूस से 28 अरब डॉलर का सामान खरीदा, यानी कुल व्यापार का 6.6 प्रतिशत.
तस्वीर: Fabrizio Bensch/REUTERS
नंबर 4, बेलारूस
यूक्रेन युद्ध में खुलकर रूस का साथ दे रहे बेलारूस ने पिछले साल 21.7 अरब डॉलर का आयात रूस से किया था, जो रूस के कुल निर्यात का 5.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Mindaugas Kulbis/AP/picture alliance
नंबर 5, तुर्की
रूस से सामान खरीदने में तुर्की भी पीछे नहीं है. उसने पिछले साल 21.1 अरब डॉलर का सामान खरीदा जो रूस के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत था.
दक्षिण कोरिया को रूस ने 2021 में 16.4 अरब डॉलर का सामान बेचा जो उसकी कुल बिक्री का 3.8 प्रतिशत था.
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नंबर 7, इटली और कजाखस्तान
नंबर 7, इटली और कजाखस्तान रूस के कुल निर्यात का 3.4 प्रतिशत यानी लगभग 14.3 अरब डॉलर इटली को जाता है. इतना ही निर्यात कजाखस्तान को भी हुआ.
तस्वीर: Guglielmo Mangiapane/REUTERS
नंबर 8, ब्रिटेन
रूसी निर्यात में ब्रिटेन की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत की है. पिछले साल उसने रूस से 13.3 अरब डॉलर का सामान खरीदा.
तस्वीर: empics/picture alliance
नंबर 9,अमेरिका
अमेरिका ने बीते साल रूस से 13.2 अरब डॉलर का आयात किया, जो रूस के कुल निर्यात का 3.1 प्रतिशत था.
तस्वीर: Kena Betancur/AFP/Getty Images
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कैसे पता चलता है कि किसी देश ने डिफॉल्ट किया है?
डिफॉल्ट का पता तब चलता है जब या तो रेटिंग एजेंसी किसी देश की रेटिंग को डिफॉल्ट कर दे या फिर अदालत इस बारे में फैसला करे.
बॉन्डहोल्डर जिनके पास डिफॉल्ट स्वैप यानी डिफॉल्ट के खिलाफ इंश्योरेंस की तरह काम आने वाली सेवा है वे वित्तीय फर्मों के प्रतिनिधियों की डिटर्मिनेशन कमेटी से कह सकते हैं कि वो इस बारे में फैसला करे. कमेटी का फैसला यह तय करेगा कि भुगतान में नाकामी के बाद पैसा मिलेगा या नहीं क्योंकि अभी आधिकारिक तौर पर डिफॉल्ट की घोषणा नहीं हुई है. यह तय करना काफी जटिल है इसमें बहुत सारे वकील शामिल होंगे.
रूसी डिफॉल्ट का क्या असर होगा?
निवेश के विशेषज्ञ बड़ी सावधानी से कह रहे हैं कि रूसी डिफॉल्ट का वैसा असर वित्तीय बाजार पर नहीं होगा जैसा 1998 के डिफॉल्ट के बाद हुआ था. तब रूबल बॉन्ड में रूस का डिफॉल्ट एशिया के वित्तीय संकट के ऊपर था.
अमेरिकी सरकार को कदम उठाने पड़े और बैंकों ने लॉन्ग टर्म कैपिटल मैनेजमेंट को बेलआउट किया. यह एक बड़ा अमेरिकी हेज फंड है जिसके डूबने की आशंका थी और अगर ऐसा होता तो वित्तीय व्यवस्था और बैंकिंग सिस्टम लड़खड़ा जाता.
इस समय यह कहना मुश्किल है कि क्या होगा क्योंकि हर सरकारी डिफॉल्ट अलग है और उसका असर सिर्फ तभी पता चलेगा जब डिफॉल्ट होगा. फ्रैंकफर्ट में डॉयचे बैंक के यूरो रेट स्ट्रैटजी के प्रमुख डानियल लेंज कहते हैं, "रूसी डिफॉल्ट अगर पूरे बाजार के लिहाज से देखें तो अब कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. अगर कोई चौंकाने वाली बात होती तो वो पहले ही नजर आ जाती. हालांकि इसका यह मतलब कतई नहीं है कि छोटे सेक्टरों में समस्या नहीं होगी."
रूस के बाहर होने वाले इसके असर को कम किया जा सकता है क्योंकि विदेशी निवेशकों और कंपनियों ने 2014 के बाद रूस के साथ करार कम किए हैं या फिर छोड़ दिए हैं. 2014 में क्राइमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद अमेरिका और रूस ने पहले दौर के प्रतिबंध लगाए थे.
आईएमएफ के प्रमुख का कहना है कि लड़ाई ने इंसान की तकलीफों से लेकर ऊर्जा और भोजन की बढ़ी कीमतों तक लंबे चौड़े आर्थिक असर के रूप में पहले ही इतना ही नुकसान कर दिया है कि अब दुनिया भर के बैंकों के लिए एक तरह से देखें तो डिफॉल्ट का कोई महत्व ही नहीं रह गया है.
बॉन्ड के होल्डर यानी ऐसे फंड जो उभरते बाजारों के बॉन्ड में निवेश करते हैं वे गंभीर नुकसान उठा सकते हैं. मूडी की मौजूदा रेटिंग बताती है कि डिफॉल्ट होने पर निवेशकों को अपने निवेश पर 35 से 65 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है.
आमतौर पर निवेशक और डिफॉल्ट करने वाली सरकार आपस में समझौता करते हैं. इसमें निवेशकों को नए बॉन्ड दिए जाते हैं जिनकी कीमत कम होती है लेकिन उन्हें आंशिक रूप से मुआवजा मिलता है. हालांकि मौजूदा परिस्थिति में यह कैसे होगा यह कहना मुश्किल है क्योंकि एक तरफ जंग चल रही है तो दूसरी तरफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने रूस के साथ बहुत सी कंपनियों और बैंकों के कामकाज पर रोक लगा दी है.
कुछ मामलों में निवेशक मुकदमा कर सकते हैं. इस मामले में माना जाता है कि रूसी बॉन्ड इस शर्त के साथ आते हैं कि निवेशकों का बहुमत एक सेटलमेंट के लिए रजामंद होगा और फिर बाकी बचे निवेशक भी उसी आधार पर सेटलमेंट करने पर राजी होंगे. इसके बाद दूसरे निवेशक कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकेंगे.
किसी देश के डिफॉल्ट करने पर उसे बॉन्ड मार्केट से पैसा उठाने से रोका जा सकता है. खासतौर से तब तक के लिए जब तक कि डिफॉल्ट का समाधान नहीं हो जाता और निवेशकों को भरोसा नहीं हो जाता कि सरकार भुगतान करना चाहती है और उसके पास क्षमता भी है. रूसी सरकार अब भी घरेलू बैंकों से रूबल उधार ले सकती है. ऐसे में उसे अपने बॉन्ड के लिए रूसी बैंकों पर निर्भर होना पड़ेगा.
रूस पहले ही प्रतिबंधों का गंभीर आर्थिक असर झेल रहा है. इसकी वजह से रूबल डूब गया है और बाकी देशों के साथ आर्थिक रिश्ते और कारोबार चौपट हो रहे हैं. ऐसे में डिफॉल्ट रूस के राजनीतिक और आर्थिक अलगाव का एक और संकेत होगा जो यूक्रेन पर हमले का नतीजा है.
एनआर/एके (एपी)
रूस से बाहर निकलने की होड़ मची है कंपनियों में
रूस पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का नतीजा सबसे पहले कंपनियों पर दिखा है. दर्जनों दिग्गज कंपनियों ने रूस से कारोबार समेटना शुरू कर दिया है. इनमें कार से लेकर ऊर्जा, तकनीक, खेल, डाक और फिल्म से जुड़ी कंपनियां शामिल हैं.
तस्वीर: Sergi Reboredo/picture alliance
डायमलर ट्रक
ट्रक बनाने वाली कंपनी डायमलर ने तत्काल प्रभाव से रूस में अपना कारोबार बंद करने की घोषणा की है. इसमें रूसी ट्रक बनाने वाली कंपनी कमाज के साथ सहयोग भी शामिल है. डायमलर की पेरेंट कंपनी मर्सिडीज का कहना है कि वह कमाज में अपनी 15 फीसदी हिस्सेदारी को जितनी जल्दी हो सके बेचना चाहती है.
तस्वीर: Daimler AG
वॉल्वो कार
स्वीडन की कार कंपनी वॉल्वो का कहना है कि वह रुसी बाजार में अपनी कारें भेजना अगली सूचना जारी किए जाने तक रोक रही है. 2021 में वॉल्वो कंपनी ने रूसी बाजार में कुल 9,000 कारें बेची है.
तस्वीर: DW
जनरल मोटर्स
जनरल मोटर्स ने भी रूस को अगली सूचना तक गाड़ियों की सप्लाई रोकने का एलान किया है. अमेरिका के डेट्रॉयट की इस कंपनी का रूस में कोई प्लांट नहीं है. हर साल यह कंपनी रूस में लगभग 3,000 कारें बेचती है.
तस्वीर: Beata Zawrzel/NurPhoto/picture alliance
मित्सुबीशी
जापान की मित्सुबिशी मोटर्स भी रूस में कारों का उत्पादन और बिक्री बंद कर सकती है. कंपनी को डर है कि आर्थिक प्रतिबंधों के कारण कंपनी के सप्लाई चेन में बाधा आ सकती है.
तस्वीर: AP
रेनॉ
फ्रांस की कार कंपनी रेनॉ रूस के कार असेंबली प्लांट में कुछ गतिविधियां बंद करने जा रही है. इसके पीछे मुख्य तौर पर लॉजिस्टिक दिक्कतों को वजह बताया जा रहा है. रेनॉ पश्चिमी देशों की उन कंपनियों में है जिस पर प्रतिबंधों का बहुत ज्यादा असर होने की आशंका है. कंपनी की 8 फीसदी कमाई रूस से होती है और रूस की सबसे बड़ी कार कंपनी अवटोवाज का नियंत्रण भी रेनॉ के पास है.
तस्वीर: Anton Raharjo/AA/picture alliance
हार्ले डेविडसन
मोटरसाइकिल बनाने वाली अमेरिकी कंपनी हार्ले डेविडसन ने रूस में अपना कारोबार बंद कर दिया है. कंपनी अपनी मोटरबाइकों की अगली खेप भी रूस नहीं भेज रही है.
तस्वीर: Egon Bömsch/imageBROKER/picture alliance
फोर्ड मोटर्स
फोर्ड मोटर्स ने रूसी कंपनी के सोलर्स के साथ अपने संयुक्त उपक्रम को बंद करने का फैसला किया है. कंपनी ने रूस में अपना सारा कामकाज अगली सूचना तक बंद करने का एलान किया है. फोर्ड पहली अंतरराष्ट्रीय कार कंपनी है जिसने रूस में अपनी असेंबली लाइन शुरू की थी.
तस्वीर: picture-alliance/DPPI
जगुआर लैंड रोवर
ब्रिटेन की लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर ने रूस में कार भेजना तत्काल प्रभाव से रोक दिया है. इस कंपनी का नियंत्रण भारत की टाटा मोटर्स के पास है.
तस्वीर: Velar Grant/ZUMAPRESS/picture alliance
एस्टन मार्टिन
ब्रिटेन की एक और लग्जरी कार कंपनी एस्टन मार्टिन ने भी रूस के लिए कारों की सप्लाई बंद कर दी है. कंपनी के कुल कामकाज का महज एक फीसदी से भी कम बाजार रूस और यूक्रेन में है.
तस्वीर: Darin Schnabel/dpa/picture alliance
बीएमडब्ल्यू
जर्मन ऑटो कंपनी बीएमडब्ल्यू ने भी रूस में अपनी कारें भेजने से इनकार कर दिया है. कंपनी रूस में मौजूद अपने प्लांट से उत्पादन भी बंद कर रही है.
तस्वीर: Joe Buglewicz/AP/dpa/picture alliance
बोइंग
विमान बनाने वाली अमेरिकी कंपनी बोइंग ने कहा है कि वह रूसी एयरलाइनों को नए विमानों की डिलीवरी, लीजिंग के साथ ही पार्ट्स, मेंटेनेंस और टेक्निकल सपोर्ट बंद कर रही है. कंपनी ने कीव में अपना दफ्तर भी फिलहाल बंद कर दिया है.
दुनिया में लीज पर विमान देने वाली सबसे बड़ी कंपनी एअरकैप होल्डिंग ने रूसी एयरलाइनों के लिए लीजिंग की सभी गतिविधियां बंद करने एलान किया है. रूस की एयरलाइनों के आधे से ज्यादा विमान लीज पर लिए गए हैं. 2021 में एयरकैप होल्डिंग के 5 फीसदी विमान रुस में लीज पर थे.
तस्वीर: Regis Duvignau/REUTERS
एचएसबीसी
अंतरराष्ट्रीय बैंक एचएसबीसी ने कहा है कि वह रूसी बैंकों के साथ अपना कारोबारी रिश्ता खत्म कर रही है. रूस के दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी समेत कई और बैंक एचएसबीसी के साथ साझेदारी में हैं. हालांकि कंपनी के महज 200 कर्मचारी ही रूस में हैं और 50 अरब डॉलर का कारोबार करने वाली कंपनी में रूस की हिस्सेदारी महज 1.5 करोड़ डॉलर है.
तस्वीर: Lang Xinchen/HPIC/dpa/picture alliance
ब्रिटिश पेट्रोलियम
ब्रिटिश पेट्रोलियम ने रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट में अपनी 19.75 फीसदी हिस्सेदारी को खत्म करने का फैसला किया है.
तस्वीर: Andre M. Chang/Zuma/picture alliance
शेल
अमेरिकी पेट्रोलियम कंपनी शेल ने रूस के कारोबार से बाहर निकलने का एलान किया है. इसमें सखालिन 2 एलएनजी प्लांट भी शामिल है. इसमें शेल की 27.5 फीसदी की हिस्सेदारी है जबकि रूसी कंपनी गाजप्रोम इसके संचालन और मालिकाना हक में 50 फीसदी की हिस्सेदार है.
तस्वीर: Ben Stansall/AFP
इक्विनॉर
नॉर्वे की ऊर्जा कंपनी इक्विनॉर भी रूस के संयुक्त उपक्रमों से बाहर निकल रही है. यह कंपनी रूस में 30 से ज्यादा सालों से मौजूद है और 2012 में इसने रोजनेफ्ट के साथ व्यापक साझीदारी की शुरूआत की थी. तस्नवीर में इक्विनॉर का फ्लोटिंग विंड फार्म दिख रहा है जो अपनी तरह का पहला विंड फार्म है.
तस्वीर: Michal Wachucik/Abermedia
ओर्सटेड
डेनमार्क की ओर्सटेड कंपनी ने रूस के बिजली घरों के लिए कोयला और बायोमास की सप्लाई बंद करने का एलान किया है. हालांकि कंपनी गाजप्रोम से हर साल दो अरब क्यूबिक मीटर प्राकृतिक गैस खरीदना जारी रखेगी. गैस की खरीदारी के लिए कंपनियों के बीच लंबे समय का करार है. तस्वीर में दिख रहे विंड फार्म का संचालन ओर्स्टेड कंपनी करती है.
तस्वीर: Phil Noble/REUTERS
एक्सॉन मोबिल
एक्सॉन मोबिल ने रूस के तेल और गैस सेक्टर में अपना कामकाज बंद करने का एलान किया है. इस समय इस कंपनी की रूसी बाजार में 4 अरब डॉलर कीमत बताई जा रही है. कंपनी रूस में अब नया निवेश नहीं करेगी.
तस्वीर: Kathleen Flynn/REUTERS
ईएनआई
इटली की ऊर्जा कंपनी ईएनआई ने ब्लू स्ट्रीम पाइपलाइन में अपनी हिस्सेदारी बेचने जा रही है. यह पाइपलाइन रूसी गैस को तुर्की तक पहुंचाने के लिए बनाई गई है और इसमें रूसी कंपनी गाजप्रोम की भी हिस्सेदारी है. 2020 में ईएनआई ने रूस से लगभग 22.5 अरब क्यूबिक मीटर गैस खरीदा.
तस्वीर: David Niviere/abaca/picture alliance
ओएमवी
ऑस्ट्रिया की ऊर्जा कंपनियों के समूह ओएमवी ने गाजप्रोम के गैस फील्ट प्रोजेक्ट में हिस्सेदारी खरीदने की योजना रद्द कर दी है और नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन में अपनी भूमिका पर फिर से विचार कर रही है. यह पाइपलाइन बाल्टिक सागर से रूसी गैस जर्मनी तक लाने के लिए बनाई गई और इसकी सप्लाई शुरू करने से जर्मनी ने पहले ही इनकार कर दिया है.
तस्वीर: Helmut Fohringer/Apa/picture alliance
हॉलीवुड
हॉलीवुड की डिज्नी, वॉर्नर ब्रदर्स और सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट ने कहा है कि वे अपनी आने वाली फिल्मों को रूस के थिएटरों में नहीं दिखाएगे.
यूपीएस, फेडेक्स, डीएचएल
दुनिया में माल ढुलाई की दो सबसे बड़ी कंपनियां यूपीएस और फेडेक्स ने कहा है कि वे रूस और यूक्रेन में माल की डिलीवरी रोक रहे हैं. जर्मन डाक कंपनी डॉएचे पोस्ट ने कहा है कि डीएचएल रूस में डाक और पार्सल की डिलीवरी बंद कर रहा है.
तस्वीर: Jochen Tack/picture alliance
कुएह्ने उंड नागेल
स्विटजरलैंड की माल ढुलाई कंपनी कुएह्ने उंड नागेल ने तत्काल प्रभाव से रूस में माल की ढुलाई अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी है. इसमें मेडिकल, हेल्थकेयर और मानवीय सहायता की चीजों को शामिल नहीं किया गया है.
तस्वीर: Jan Woitas/dpa/picture alliance
एप्पल
टेक कंपनी एप्पल ने रूस के बाजार में अपने सारे सामानों की बिक्री रोकने का फैसला किया है. कंपनी यूक्रेन के आम लोगों की मदद के लिए अपने मैप में भी बदलाव कर रही है.
तस्वीर: Sergi Reboredo/picture alliance
गूगल
अल्फाबेट की कंपनी गूगल का कहना है कि वह रूसी ब्रॉडकास्टर आरटी और स्पुतनिक से जुड़े मोबाइल ऐप को ब्लॉक कर रही है. कंपनी ने रूस की सरकारी मीडिया कंपनियों को पहले ही समाचार से जुड़ी सेवाओं से हटा दिया है.
तस्वीर: Andre M. Chang/ZUMA Press Wire/dpa/picture alliance
माइक्रोसॉफ्ट
माइक्रोसॉफ्ट ने रूस की सरकारी मीडिया कंपनी आरटी के ऐप को विंडोज ऐप स्टोर से हटा दिया है और सरकारी मीडिया कंपनियों के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया है.
तस्वीर: Pavlo Gonchar/ZUMA Wire/imago images
नोकिया
फिनलैंड की कंपनी नोकिया ने प्रतिबंधों को लागू करते हुए रूस में सप्लाई बंद करने का एलान किया है. कंपनी रूस के एमटीएस, विंपलकॉम, मेगाफोन और टेली2 को सामान की सप्लाई करती है.
तस्वीर: Arne Dedert/dpa/picture alliance
एडीडास
खेल के कपड़े और जूते बनाने वाली प्रमुख कंपनी एडीडास ने रूस के फुटबॉल संघ के साथ अपनी साझेदारी तुरंत प्रभाव से खत्म कर दी है.
तस्वीर: Kevin Frayer/Getty Images
नाइकी
नाइकी ने वेबसाइट और ऐप के जरिए होने वाले अपने सामानों की खरीदारी रूस में बंद कर दी है क्योंकि रूस में यह डिलीवरी की जिम्मेदारी फिलहाल नहीं ले सकती है.