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रूस के नए राष्ट्रपति मेदवेदेव ने शपथ ली

प्रिया एसेलबोर्न ७ मई २००८

रूस के नए राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने आज से अपना पद संभाला. 2000 नेताओं और बड़े हस्तियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मेदवेदेव ने क्रमलिन में शपथ ली. मेदवेदेव को 2 मार्च को हुए चुनावों में 70 प्रतिशत वोट मिले थे।

42 साल के मेदवेदेवतस्वीर: AP

ठीक बारह बजे दिमित्री मेदवेदेव के लिए क्रमलिन के भारी भरकम सोने से बने दरवाजे खुले। रूस के नए राष्ट्रपति लाल कालीन पर कदम रखते हुए जब अपने नए कार्यालय में दाखिल हो रहे थे तो खासे चिंतामग्न दिखे। शुरू में ऐसा नहीं लगा कि 42 साल के मेदवेदेव यानी देश के इतिहास के सबसे युवा राष्ट्रपति अपनी जि़दंगी के सबसे अहम पल से बहुत प्रभावित हैं. पुतिन ने मेदवेदेव को खुद विशाल समारोह में देश चलाने के सभी अधिकार सौंपे. रूस में बेहद लोकप्रिय पुतिन ने इस मौके पर कहा कि देश में लोकतंत्र और मज़बूत हुआ है।

"आठ साल पहले जब मैने पहली बार संविधान पर शपथ ली थी तो वादा किया था कि मैं ईमानदारी से काम करना चाहता हूँ। मैं देश और जनता की पूरी निष्ठा के साथ सेवा करना चाहता था। मैंने इस वादे को पूरा किया, क्योंकि यह इस देश के नागरिक का सर्वोच कर्तव्य है। मैं आगे भी अपनी आखरी सांस तक रूस के लिए काम करता रहूंगा।"

अपने संरक्षक पुतिन के भावुक भाषण के बाद दिमित्री मेदवेदेव ने संविधान पर हाथ रख कर शपथ ली। शपथ लेने के बाद राष्ट्रीय गीत के दौरान पुतिन और मेदवेदेव, दोनों नेताओं की अंखों में ऑसूं आ गए। मेदवेदेव ने अपने भाषण में वादा किया कि वे पुतिन के रास्ते पर ही चलेंगे और खासकर स्वास्थ्य और शिक्षा प्रणाली तथा कृषि क्षेत्र में और सुधार लाने की कोशिश करेंगे। मेदवेदेव ने कहा।

"हमको समाज में कानून की इज़्जत करना सीखना होगा. यही आधुनिक विकास के लिए सबसे ज़रूरी है. विकसित और वैध न्याय व्यवस्था ही आर्थिक और समाजिक विकास तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ़ संघर्ष के लिए फ़ायदेमंद होगा।"

देश की आंतरिक चुनौतियों के अलावा राजनीति के मामले में भी कम अनुभवी माने जाने वाले मेदवेदेव के सामने कई चुनौतियां हैं. पूर्व सोवियत संघ में शामिल रूस के पड़ोसी जॉर्जिया के साथ तनाव बढ़ रहे हैं. साथ ही यह भी साफ नहीं है कि मेदवेदेव पुतिन के साये से बहार निकल पाएंगे या नहीं. पद संभालने के तुरंत बाद ही मेदवेदेव ने पुतिन को प्रधानमंत्री नामांकित किया. इसकी औपचारिक पुष्टि संसद कल करेगा. पश्चिमी देशों में मेदवेदेव से कई उम्मीदें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि मेदवेदेव पुतिन जितने सख्त नहीं हैं और समझौतों के लिए तैयार होंगे।

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