1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रूस के रुख से म्यूनिख में बेचैनी

४ फ़रवरी २०१२

म्यूनिख में चल रही अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बैठक में सीरिया का मुद्दा छाया है. रूस का कहना है कि ऐसे मामलों की वजह से सुरक्षा सम्मेलन पर पक्षपात करने का आरोप लग सकता है. अमेरिका ने यूरोप को भरोसा भी दिया है.

लावरोव के साथ हिलेरी क्लिंटनतस्वीर: Reuters

रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव का कहना है कि सीरिया पर सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 'नाउम्मीद' नहीं है लेकिन इससे यह छवि नहीं फैलनी चाहिए कि सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देश किसी एक पक्ष को सहमति दे रहे हैं. सुरक्षा परिषद शनिवार को सीरिया पर प्रस्ताव पारित करने की कोशिश करेगा. वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि वह इस संबंध में रूस से बातचीत कर रही हैं.

रूस की जिद

रूस सीरिया पर कार्रवाई को लेकर प्रस्ताव के खिलाफ है. उसका मानना है कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ कदम उठाने चाहिए, लेकिन साथ ही उन हिंसक विद्रोहियों को समर्थन नहीं देना चाहिए जो प्रदर्शनकारियों को प्रभावित करना चाह रहे हैं. लावरोव ने कहा, "अगर आप दोनों तरफ से मामले को नहीं संभालते हैं, तो आप एक गृहयुद्ध में हिस्सा ले रहे हैं." लावरोव के मुताबिक सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव रूस को पसंद नहीं आ रहा है और अगर इस पर वोट किया जाए तो यह 'घोटाले' से कम नहीं होगा.

इस बीच शुक्रवार से लेकर शनिवार तक सीरिया में 200 लोगों के मारे जाने की खबर है. होम्स शहर में सरकारी सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की. देश में अब तक 5,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के मसौदे के मुताबिक वह अरब लीग की योजना को पारित करना चाहता है, जिससे राष्ट्रपति असद अपना पद छोड़ सकेंगे.

रूस पर दवाब बनाने की कोशिश में सारकोजीतस्वीर: Reuters

माना जाता है कि रूस सीरिया को हथियार बेचकर मध्यपूर्व में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है. रूस का कहना है कि उसका असद से कोई लेना देना नहीं है और वह सीरिया के लोगों में बदलाव की भावना का स्वागत करता है. लावरोव का कहना है कि सुरक्षा परिषद का मसौदा इस बाद को नजरंदाज करता है कि हथियारों का सहारा लेकर कुछ गुट शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वाले लोगों को प्रभावित करना चाह रहे हैं. साथ ही सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव से सीरिया में विदेशी कार्रवाई की आशंका बढ़ जाती है. मॉस्को का मानना है कि वहां के लोगों को खुद बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना चाहिए. मंगलवार को लावरोव और रूस की विदेशी खुफिया एजेंसी के प्रमुख मिखाइल फ्राडकोव सीरिया का दौरा कर रहे हैं.

ईरान, अफगानिस्तान पर बहस

म्यूनिख में हो रहे सुरक्षा सम्मेलन में सीरिया के अलावा अफगानिस्तान और ईरान भी बहस का मुद्दा बने हुए हैं. खासकर यूरोप से अमेरिका के हटने पर भी चर्चा हुई है. आर्थिक मंदी में डूबा अमेरिका अब एशिया में नए साझेदार तलाश रहा है. अमेरिकी रक्षा मंत्री पैनेटा के साथ एक बहस में हिस्सा ले रहीं विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा कि यूरोप अमेरिका का सबसे अहम साझेदार है. अमेरिका एक लोकतांत्रिक मध्यपूर्व के लिए काम कर रहा है और इस मामले में उसे यूरोप से मदद की जरूरत है. पैनेटा ने भी यूरोप को अमेरिका की सैन्य कार्रवाइयों में अहम सहयोगी कहा है.

अमेरिका यूरोप में तैनात अपने सैनिकों को वापस ले रहा है. वहीं यूरोप में मिसाइल सुरक्षा सिस्टम के लिए सारी तैयारियां खत्म हो चुकी हैं. इस मिसाइल सुरक्षा कवच का मुख्यालय जर्मन हवाई अड्डा रामश्टाइन में होगा.

पैनेटा ने अफगानिस्तान की स्थिरता में भी सकारात्मक विकास की बात कही. उन्होंने उम्मीद जताई है कि अफगान सुरक्षा बल 2013 तक देश की जिम्मेदारी संभालने में कामयाब रहेंगे. इसके बाद अमेरिकी और नाटो सैनिक सिर्फ सहयोगी के तौर पर वहां मौजूद होंगे, लेकिन जरूरत होने पर लड़ाई के मैदान में उतरने के लिए तैयार रहेंगे.

अंदर रणनीति बनाते नेताओं खिलाफ बाहर लगभग 800 लोग म्यूनिख की सड़कों पर उतरे. 100 सामाजिक संस्थाओं के संगठन ने प्रदर्शन का एलान किया है. विरोध प्रदर्शनकारियों ने सम्मेलन की आलोचना की है और इसे "लड़ाई उकसाने वालों का सम्मेलन" करार दिया है.

रिपोर्टः एपी, एएफपी, डीपीए/एमजी

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें