रूस ने कहा है कि यह उसका संप्रभु अधिकार है कि वह अपने क्षेत्र में कहीं भी मिसाइलें तैनात करे. खबरें है कि रूस बाल्टिक सागर में कालिनिनग्राद में परमाणु क्षमता वाली इस्कांदेर मिसाइल तैनात कर रहा है.
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कालिनिनग्राद बाल्टिक सागर के पास रूसी इलाका है जिसकी सीमाएं पोलैंड और लिथुआनिया से मिलती हैं. वहां तैनात होने वाली मिसाइल की जद में पोलैंड, लिथुआनिया, लात्विया और एस्टोनिया जैसे नाटो सदस्य होंगे. लिथुआनिया की राष्ट्रपति के साथ साथ रूस के एक सांसद ने भी कहा है कि इस्कांदेर मिसाइल को कालिनिनग्राद में तैनात कर दिया गया है. हालांकि रूस ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है.
रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमिद्री पेस्कोव से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "रूसी क्षेत्र में किसी तरह के हथियारों की तैनाती या फिर किसी सैन्य यूनिट की तैनाती पूरी तरह रूसी संघ का संप्रभु विशेषाधिकार है." उन्होंने कहा, "रूस ने कभी किसी को धमकी नहीं दी है और न ही दे रहा है. स्वाभाविक रूप से रूस के पास संप्रभु अधिकार है. इससे शायद ही किसी को चिंता करने की जरूरत होनी चाहिए."
उधर लात्विया के विदेश मंत्री एडगार्स रिंकेविच ने कहा है कि कालिनिनग्राद के ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर नाटो की क्षमताओं को बेहतर बनाने के विषय पर चर्चा करना जरूरी हो गया है, जो प्रक्रिया पहले से ही चल रही है.
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
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टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
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परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.
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रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया इलाके को अपने क्षेत्र में मिला लिया था. तभी से रूस और उसके पश्चिमी पड़ोसियों के बीच तनाव चल रहा है. ऐसे में, कालिनिनग्राद में रूसी मिसाइल की तैनाती की खबरों को कई नाटो सदस्य अपने लिए खतरा मान रहे हैं. लिथुआनिया की राष्ट्रपति डालिया ग्रीबाउस्केत ने सोमवार को कहा, "इससे परिस्थितियां और गंभीर हो जाती हैं क्योंकि कालिनिनग्राद में इस्कांदेर मिसाइलों की तैनाती का मतलब है यूरोप की आधी राजधानियों के लिए खतरा." रूस अक्सर कहता रहा है कि वह पूर्वी यूरोप में विकसित हो रहे अमेरिकी मिसाइल रक्षा तंत्र के जबाव में कालिनिनग्राद में इस्कांदेर मिसाइल को तैनात करेगा. अमेरिका का कहना है कि ईरान की तरफ से संभावित हमले को रोकने के लिए इस मिसाइल रक्षा तंत्र को तैनात किया जा रहा है, हालांकि रूस का कहना है कि इसके जरिए उसे निशाना बनाया जा रहा है.
उधर नाटो के एक अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया, "हमारी सीमाओं के पास मिसाइल से जुड़ा कोई भी ऐसा घटनाक्रम तनाव को घटाने में मदद नहीं कर सकता है जो परमाणु वॉरहेड ले जाने से जुड़ा हो. पारदर्शिता को देखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि रूस इस बारे में कुछ कहे."
एके/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी, इंटरफैक्स)
रूस ने विजय दिवस पर किया हथियारों का प्रदर्शन
द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के आत्मसमर्पण की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर रूसी सैनिकों ने मॉस्को में परंपरागत परेड की. अलग थलग पड़े राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने सेना को साहस और बहादुरी का सबूत बताया.
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क्रेमलिन पर परेड
मॉस्को के रेड स्क्वायर पर करीब 10,000 सैनिकों ने मुख्य समारोह में हिस्सा लिया और परेड की. सेंट पीटर्सबर्ग और दूसरे रूसी शहरों में छोटी परेडें निकाली गयीं. परेडों में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस्तेमाल हथियारों की नुमाइश की गयी.
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov
बुजुर्ग आर्मरी
सोवियत संघ का प्रसिद्ध टी 34 टैंक द्वितीय विश्वयुद्ध में रेड आर्मी की मिलिटरी मशीनरी का अहम हिस्सा था. हर साल विजय दिवस के परेड के मौके पर उसे अतिरिक्त सम्मान मिलता है.
रूस की नौसैनिक इंफेंट्री ने भी विजय दिवस की परेड में हिस्सा लिया. अमेरिका की यूएस मरीन जैसी ये टुकड़ी 18वीं सदी में रूस के जार पीटर द ग्रेट के शासन काल में बनायी गयी थी.
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महिला सैनिक
परेड का मुआयना कर रहे अधिकारियों और सेना के जनरलों के सामने से महिला कैडेटों और सैनिकों की टुकड़ी ने भी मार्च किया. सेना में महिलाओं की हिस्सेदारी 2020 तक 90,000 करने का इरादा.
तस्वीर: Reuters/S. Karpukhin
नये टैंक
मंगलवार की परेड में 110 युद्धक गाड़ियां प्रदर्शित की गयीं, जिसमें रूस के प्रमुख टैंक टी72 का आधुनिक संस्करण भी था. टी14 अरमाता और एस400 मिसाइलों का भी प्रदर्शन किया गया.
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov
साहेब की तारीफ
प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव के साथ परेड में पहुंचे राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अपने भाषण में सेना की तारीफ की. उन्होंने कहा, "रूसी सैनिक हमेशा की तरह साहस और बहादुरी का सबूत हैं."
तस्वीर: Reuters/Y. Kochetkov
उत्तरी ध्रुव
रूस ने विजय दिवस समारोह के मौके पर आर्कटिक युद्ध के लिए विकसित हवाई प्रतिरक्षा पद्धति की भी नुमाइश की. इससे पहले इस प्रतिरक्षा सिस्टम को किसी परेड में नहीं दिखाया गया था.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Kudryatsev
नो फ्लाई जोन
मंगलवार की परेड से पहले प्रैक्टिस करते ये मिग 29 लड़ाकू विमान परेड के दिन हैंगर में ही रहे. विजय दिवस के दिन खराब मौसम के कारण परेड के दौरान एयर शो को रद्द कर दिया गया.
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov
परमाणु युद्ध
रूस के टोपोल सिरीज के आरएस मिसाइल धरती के दूसरे छोर तक परमाणु हमला कर सकते हैं. रूस के पास इस समय अमेरिका के 6,800 के मुकाबले 7,000 परमाणु शीर्ष होने का अंदाजा है.