संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने एक प्रस्ताव पास कर रूसी कब्जे वाले क्रीमिया में मानवाधिकार पर्यवेक्षकों को जाने की अनुमति देने और वहां स्थानीय लोगों के अधिकारों के हनन को रोकने की अपील की है.
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संयुक्त राष्ट्र आम सभा की मानवाधिकार समिति ने यूक्रेन के उस प्रस्ताव को पास किया है जिसमें क्रीमिया में रूस द्वारा "मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने, यातना और अन्य क्रूर, अमानवीय या अपमानजनक व्यवहार किए जाने और सभी भेदभावपूर्ण कानूनों को रद्द करने" की अपील है. इस कदम से पता चलता है कि संयुक्त राष्ट्र यूक्रेन की क्रीमिया पर संप्रभुता का समर्थन करता है. प्रस्ताव में रूस से अपील की गई है कि वो तुरंत क्रीमिया में मनवाधिकारों के हनन को रोकने की कार्रवाई करे.
रूस ने मार्च 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग कर दिया था. महीनों तक चले विरोध प्रदर्शनों के कारण यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटना पड़ा था. वे रूस के करीबी माने जाते थे. लेकिन इसके बाद भी रूस-समर्थक अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन में हिंसक आंदोलन जारी रखा.
यूक्रेन संघर्ष: जान बनाम जज्बात
फोटो जर्नलिस्ट फिलिप वारविक ने यूक्रेन में छिड़े संघर्ष की कुछ जबरदस्त तस्वीरें खींची हैं. इन तस्वीरों में यूक्रेन के संघर्ष को मानवीय नजरिए से दिखाया गया है.
तस्वीर: Filip Warwick
डेबाल्टसेव से बाहर
यूक्रेन के सैनिकों ने डेबाल्टसेव शहर को अजीब मनोस्थिति के साथ छोड़ा. यह शहर रूस समर्थक विद्रोहियों के नियंत्रण में जा चुका है. वहां से वापस लौटते हुए एक यूक्रेनी सैनिक ने कहा, "मैं कभी नहीं भूलूंगा कि हमने उसे वहां छोड़ दिया."
तस्वीर: Filip Warwick
खुशी के आंसू
डेबाल्टसेव से 50 किलोमीटर दूर आने के बाद यूक्रेन के सैनिकों ने एक दूसरे को गले लगाया. कुछ तो बारूदी सुरंगों से बचने के लिए यहां तक पैदल आए. 15-20 किलोमीटर पैदल चलने के बाद आर्तेमिव्सक पहुंचे एक सैनिक ने कहा, "उन्होंने हमें घेर लिया था. हमारा गोला बारूद भी बहुत कम बचा था. हम बड़ी मुश्किल से भागे."
तस्वीर: Filip Warwick
जिंदा हूं मैं
आर्तेमिव्सक के बाहरी इलाके में पहुंचकर एक यूक्रेनी सैनिक ने बस स्टॉप पर कुछ देर आराम किया और अपने परिवारजनों को टेलीफोन किया. संघर्ष के दौरान दोस्तों और परिवार से संपर्क करना मुश्किल था.
तस्वीर: Filip Warwick
जो बिछड़ गए
यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने बुधवार को बताया कि डेबाल्टसेव से वापसी के दौरान छह सैनिक मारे गए. आर्तेमिव्सक में एक अधिकारी ने बताया कि दोपहर बाद तक 30 शव आए. डर है कि यह सिससिला जारी रहेगा.
तस्वीर: Filip Warwick
सोच में डूबे
रास्ते में रुका यूक्रेनी सेना का काफिला. एक ट्रक का सामने वाला शीशा बदला जा रहा है. इसी दौरान एक युवा सैनिक सोच में डूबा है. यूक्रेन के सैनिक डेबाल्टसेव से वापसी के लिए सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार मान रहे हैं.
तस्वीर: Filip Warwick
सुरक्षा के लिए वापसी
डेबाल्टसेव छोड़ती हुई यूक्रेन की सेना. अब इलाके में नई सुरक्षा रेखा बनाई जाएगी. रक्षा तंत्र नए सिरे से खड़ा किया जाएगा. लेकिन कुछ लोगों को लगता है कि रूस समर्थक विद्रोही आर्तेमिव्सक की तरफ बढ़ते रहेंगे.
तस्वीर: Filip Warwick
अपने ही देश में शरणार्थी
अलेक्जांड्रा इवानोवना और उनका परिवार डेबाल्टसेव के यूक्रेनी चेकप्वाइंट से 35 किलोमीटर दूर है. वे दूसरे इलाके की तरफ जा रहे हैं. जान बचाने के लिए उन्होंने दो हफ्ते पहले घर छोड़ा. उनके साथ एक बच्चा और तीन हफ्ते का एक शिशु. अलेक्जांड्रा पूछती हैं, "हम कहां जाएं?"
तस्वीर: Filip Warwick
जान बनाम जज्बात
डेबाल्टसेव से 10 किलोमीटर दूर बसे लुगांस्क में हाल ही में बमबारी हुई. गेनादिय यहीं रहते हैं. उनके मुताबिक यहां कई लोग मारे गए. उनके घर वाली सड़क पर अब कोई और नहीं रहता. वो घर, बकरियां और अपनी गाय नहीं छोड़ना चाहते. थोड़ी बहुत आय दूध बेचकर होती है.
तस्वीर: Filip Warwick
खंडहर बनती इमारतें
पॉलिथीन शीट से ढंकी गई ये इमारत लुगांस्क के स्कूल की है. बच्चे अब यहां नहीं आते. एक टीचर जब यहां आईं और उन्होंने इमारत को इस हाल में देखा.
तस्वीर: Filip Warwick
मलबा ही मलबा
कुछ कक्षाओं में बच्चों की बनाई पेटिंग्स देखी जा सकती है. कभी बच्चों की चहचहाट से गूंजने वाले इस स्कूल में सन्नाटा पसरा है. मतबे के साथ साथ यूक्रेनी सेना के टिन और खाली फूड कैन बिखरे हैं.
तस्वीर: Filip Warwick
पाठशाला उजड़ी
स्कूल के स्पोर्ट्स हॉल के बीचों बीच एक पिंग पॉग टेबल. यहां खेलने वाले ज्यादातर बच्चे अब इलाका छोड़कर जा चुके हैं.
तस्वीर: Filip Warwick
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रूस ने यूक्रेन ने इस प्रस्ताव को रद्द करने की अपील की थी. रूस ने इसे "राजनीति से प्रेरित" कदम बताया. चीन, भारत, ईरान, भारत, सीरिया, दक्षिण अफ्रीका, कजाखस्तान, सर्बिया और उत्तर कोरिया ने भी इस मांग में रूस का साथ दिया. लेकिन यूएन में इस प्रस्ताव को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों के समर्थन के कारण मंजूरी मिल गई. इस प्रस्ताव को अगले महीने महासभा के कुल 193 सदस्यों के सम्मेलन में वोटिंग के बाद आधिकारिक रूप से स्वीकार किया जा सकता है.
मानवाधिकार संगठन क्रीमिया के मुस्लिम तातार समुदाय पर अत्याचार के सवाल उठाते रहे हैं. प्रस्ताव में इस तरह के जातीय समुदायों से भेदभाव बरते जाने की निंदा की है. यूक्रेन के उप विदेश मंत्री सर्गेई किस्लितिस्या ने यूएन समिति से कहा कि इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य "एक कब्जाधारी शक्ति के रूप में रूस से अपनी जिम्मेदारी निभाने" को प्रेरित करना है. 2014 में मानवाधिकार पर बनाए गए यूएन मॉनिटरिंग मिशन को अब तक क्रीमिया में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.