एक रूसी युद्धक जेट गिराने के बाद से एक दूसरे से बैर पाले बैठे तुर्की और रूस के नेताओं की पहली मुलाकात. रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण देश ये दो देश आखिर कितने करीब आ सकते हैं.
विज्ञापन
रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने से पहले उनके गृहनगर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने रूसी मीडिया से बातचीत में लगातार पुतिन को अपना "मित्र" कह कर संबोधित किया और उम्मीद जताई कि दोनों देश एक "साफ स्लेट" के साथ फिर से अपने संबंधों की शुरुआत करेंगे. पुतिन ने एर्दोआन से मुलाकात में तुर्की में जल्द से जल्द कानून व्यवस्था दुबारा बहाल होने की आशा जताई. इस समय तुर्की के साथ यूरोप और अमेरिका के संबंध काफी तनावपूर्ण हो गए हैं.
तुर्की-रूस के बीच हालिया तनाव की शुरुआत 24 नवंबर 2015 को हुई. इसी दिन तुर्की की सेना ने सीरिया से लगी अपनी सीमा के ऊपर उठ रहे एक रूसी जेट को उड़ा दिया था. उसके पायलट ने जब पैराशूट से बच निकलने की कोशिश की तो कथित तौर पर उसे विद्रोही लड़ाकों ने अपनी गोली का निशाना बना डाला था. फिर जेट के दूसरे पायलट को बचाने पहुंचे एक रूसी सैनिक की भी मौत हो गई थी.
तुर्की में तख्ता पलट की यह कोई पहली कोशिश नहीं थी. इससे पहले चार बार तख्तापलट हो चुका है. लेकिन इस बार यह विफल हो गया. क्यों? जानिए...
तुर्की में तख्तापलट नाकाम क्यों हुआ था?
तुर्की में तख्ता पलट की यह कोई पहली कोशिश नहीं थी. इससे पहले चार बार तख्तापलट हो चुका है. लेकिन 2016 में यह विफल हो गया था. क्यों? जानिए...
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
हैरतअंगेज कदम
15 जुलाई को तुर्की की राजधानी अंकारा में सैनिकों की बगावत ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि तख्तापलट की इस तरह की कोशिश हो सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Bozoglu
20 साल बाद
20 साल पहले 1997 में तुर्की में पिछली बार तख्तापलट हुआ था. लेकिन 2016 में ऐसा नहीं हो पाया. क्या तैयारी नहीं थी?
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
इरादा तो बड़ा था
जानकारों का मानना है कि तैयारी पूरी थी और बागियों ने रणनीति भी ठोस बनाई थी. इस रणनीति को अंजाम भी सलीके से दिया गया था. फिर भी वे विफल हो गए. क्यों?
तस्वीर: Getty Images/G.Tan
औचक और तेज हमला
बागियों ने तेजी से कार्रवाई की. वे चौंकाने में भी कामयाब रहे. देश के तीन चार-स्टार जनरल इसके पीछे थे. तैयारी पूरी थी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Bozoglu
12 बागी टीमें
12 बागी टीमों को अलग अलग जगहों पर नियंत्रण के लिए भेजा गया था. तीनों सैन्य प्रमुखों को हिरासत में ले लिया गया था. रेडियो और टेलिविजन चैनल पर भी कब्जा कर लिया गया. लेकिन गलती कहां हुई?
तस्वीर: Reuters/Stringer
तीन बड़ी गलतियां
बागियों ने तीन बड़ी गलतियां कीं. एक तो वे राष्ट्रपति एर्दोआन को काबू करने में देर कर बैठे. एर्दोआन कुछ ही मिनट पहले निकल भागने में कामयाब रहे थे.
तस्वीर: Reuters/A.Konstantinidis
महल पर नाकामी
दूसरी सबसे बड़ी गलती थी, अंकारा में राष्ट्रपति महल पर कब्जे में ढील. ऐसा लगता है कि बागी महल के सुरक्षाकर्मियों की ताकत को पूरी तरह आंक नहीं पाए. सुरक्षाकर्मियों ने महल पर हमले का करारा जवाब दिया और उन्हें वहीं हरा दिया.
तस्वीर: picture-alliance/AA/O.Coban
पुलिस से दूरी
तीसरी गलती पुलिस के साथ निपटने में हुई. बागियों ने पुलिस को अपने साथ नहीं मिलाया था. हालांकि शुरू में पुलिस निष्पक्ष होकर सिर्फ देख रही थी. लेकिन जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि बागी हार रहे हैं, पुलिस ने पूरी ताकत से उन्हें कुचल दिया.
तस्वीर: Reuters/H. Aldemir
कट्टरपंथियों को छोड़ दिया
एक गलती धार्मिक कट्टरपंथियों के मामले में भी हुई थी. बागियों ने उन पर नियंत्रण नहीं किया. नतीजतन देशभर की मस्जिदों से उनके खिलाफ फरमान जारी हो गए और लोग उनके विरोध में निकल आए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Suna
नेताओं पर ढील
बागी तत्कालीन प्रधानमंत्री बिनाली यिल्दरिम और गृह मंत्री एफकान एला को भी गिरफ्तार नहीं कर पाए थे. वे गृह मंत्रालय पर भी कब्जा नहीं कर पाए थे.
तस्वीर: picture-alliance/AA/H. Goktepe
टीवी चैनलों पर ढील
निजी टीवी चैनलों पर कब्जा न करना भी बागियों की बड़ी गलती साबित हुई थी. इन टीवी चैनलों से उनके खिलाफ खूब प्रचार हुआ था.
तस्वीर: DW/D. Cupolo
11 तस्वीरें1 | 11
नाटो सदस्य तुर्की का पक्ष रहा है कि तमाम चेतावनियों के बावजूद दो रूसी विमान तुर्की के हवाई क्षेत्र में चले आए थे. वहीं रूस कहता आया है कि उनके विमान ने सीरिया की हवाई सीमा पार नहीं की थी. जेट पर हमले से नाराज पुतिन ने इसे "पीठ में छुरा भोंकने" जैसा बताया था. इसके बाद सीरिया में राष्ट्रपति असद के समर्थन में सैनिक अभियान चला रहे रूस ने तुर्की के खिलाफ बहुत से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. तुर्की से खाद्य सामग्रियों का आयात भा रोक दिया और पर्यटन पैकेज भी.
तुर्की के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन उद्योग, कृषि और निर्माण सेक्टर को इससे काफी नुकसान हुआ. दोनों देशों के बीच जारी गैस पाइपलाइन और एक परमाणु प्लांट का काम ठप्प पड़ गया. इसके अलावा दोनों शक्तिशाली नेताओं के बीच शब्दों की जंग छिडी रही.
तुर्की का बढ़ता आर्थिक महत्व
जब तुर्की में विफल हो गए सैनिक विद्रोह की पहली खबर आई तो सबसे पहले एशिया और यूरोप को जोड़ने वाले बोस्फोरस के पुल की नाकेबंदी की तस्वीरें आईं. इसने अंतरराष्ट्रीय ट्रांजिट रूट के रूप में तुर्की के बढ़ते महत्व की याद दिलाई.
तस्वीर: picture alliance / dpa / M. Tödt
बोस्फोरस
बोस्फोरस जलमार्ग तेल के परिवहन में दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चेकप्वाइंट्स में एक है. रोजाना होने वाली तेल की वैश्विक आपूर्ति का 3 प्रतिशत यानी 30 लाख बैरल काला सागर और नारमरा सागर और अंततः भूमध्य सागर को जोड़ने वाले 27 किलोमीटर लंबे पानी के रास्ते से गुजरता है.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
अहम रास्ता
एक जगह पर सिर्फ 800 मीटर चौड़ा रास्ता दुनिया के सबसे कठिन जलमार्गों में शामिल है. विश्व के सबसे व्यस्त नौवहन मार्गों में शुमार इस रास्ते से हर साल 48,000 जहाज गुजरते हैं. विश्व का एक चौथाई अनाज निर्यात इस रास्ते से होता है, यहां से रूस के सैनिक पोत भी भूमध्य सागर की ओर जाते हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Sezer
तेल निर्यात
बोस्फोरस तेल निर्यात का भी प्रमुख रास्ता है. कैस्पियन सागर पर स्थित देशों का तेल चेहान पोर्ट जैसे तुर्की के निर्यात टर्मिनलों तक बोस्फोरस से होकर जाने वाले पाइप लाइनों के जरिये ही पहुंचता है. अजरबेजान और कजाखस्तान जैसे देश यहां से 7 लाख बीपीडी तेल भेजते हैं.
तस्वीर: DLR
चेहान पोर्ट
चेहान का बंदरगाह इराक के कुर्दिस्तान से आने वाले एक तेल पाइप लाइन का भी अंतिम पड़ाव है. इसकी मदद से 5 लाख बीपीडी तेल विश्व बाजार को पहुंचता है. तुर्की के सैनिक विद्रोह का तेल की सप्लाई पर कोई असर नहीं हुआ. सेंट्रल एशिया और इराकी कुर्दिस्तान से तेल की आपूर्ति जारी रही.
खुद बड़ा खरीदार
तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के लिए ट्रांजिट का रास्ता होने के अलावा तुर्की खुद इन उत्पादों का बहुत बड़ा खरीदार भी है. तुर्की यूरोप के पांच सबसे बड़े गैस उपभोक्ताओं में शामिल है. वह करीब 10 लाख बीपीडी तेल का संशोधन करता है. इस हिसाब से वह यूरोप के सात चोटी के तेल उपभोक्ताओं में शामिल है.
तस्वीर: AP
अनाज और सोना
रूस से गेहूं का आयात करने वाला मिस्र के बाद दूसरा सबसे बडा़ देश तुर्की ही है. जुलाई 2015 से मई 2016 के बीच उसने 30 लाख टन गेहूं आयात किया है. इसके अलावा वह काला सागर के बंदरगाहों के जरिये जौ और मक्के का भी आयात करता है. 2015 में उसने 72 टन सोने का आयात किया है.
तस्वीर: picture-alliance/Pixsell/F. Brala
6 तस्वीरें1 | 6
रूस ने एर्दोआन को इस्लामिक स्टेट के जिहादियों से मिल कर तेल के अवैध कारोबार से मुनाफा कमाने का आरोप लगाया. पेरिस जलवायु सम्मेलन के दौरान मुलाकात करने के एर्दोआन के निमंत्रण को ठुकरा दिया था. करीब सात महीने के झगड़े के बाद 27 जून को एर्दोआन ने पुतिन को पत्र लिख कर रूसी जेट के गिराए जाने की घटना पर अफसोस व्यक्त किया और फिर से दोस्ताना रिश्ते बहाल करने की अपील की. इसे रूस ने तुर्की का औपचारिक माफीनाम माना. और इसके दो दिन के बाद दोनों नेताओं ने फोन पर पहली बार बात की और रूस ने तुर्की से प्रतिबंध हटा लिए.
दोनों देशों के रिश्तों में आती गर्माहट का सबूत इससे भी मिलता है कि 15 जुलाई को तुर्की में तख्तापलट की नाकाम कोशिश के बाद एर्दोआन को फोन करने वाले पहले अंतरराष्ट्रीय नेता पुतिन ही थे.