एक तरफ अमेरिका उत्तर कोरिया को होने वाले तेल निर्यात पर ज्यादा से ज्यादा पाबंदियां लगाने की मांग कर रहा है, वहीं रूस शायद नहीं चाहता है कि उत्तर कोरिया में व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो जाए.
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रिपोर्टों के मुताबिक उत्तर कोरिया में पिछले महीने डीजल और गैसोलीन के दामों में बड़ी कमी देखने को मिली. बताया जाता है कि उत्तर कोरिया में किम जोंग उन की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग थलग करने की कोशिशों के बावजूद रूस उसे दी जाने वाली अपनी सहायता बढ़ा रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय चाहता है कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियार और लंबी दूरी की मिसाइलें बनाने के कार्यक्रम को छोड़े.
जापान के ओसाका में स्थित एशिया प्रेस इंटरनेशनल (एपीआई) के लिए उत्तर कोरिया के भीतर होने वाली गतिविधियों पर खबरें भेजने वाले "सिटिजन जर्नलिस्ट्स" का कहना है कि महीनों के उतार चढ़ाव के बाद नवंबर में दाम गिरने शुरू हो गये. रिपोर्टों में कहा गया है कि एक किलोग्राम डीजल के दाम उत्तर कोरिया में अब 0.82 अमेरिकी डॉलर हैं जो नवंबर के शुरुआती दामों से 60 फीसदी कम हैं. वहीं गैसोलीन 2 डॉलर प्रति किलो के हिसाब से बेची जा रही है. गैसोलीन के दामों में भी 25 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी है.
इन देशों से होती है उत्तर कोरिया को कमाई
उत्तर कोरिया पर कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगे हैं. फिर भी कई ऐसे देश हैं जहां से लगातार उसे आमदनी होती रहती है. चलिए डालते हैं इन्हीं देशों पर एक नजर.
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अंगोला
उत्तर कोरिया ने इस अफ्रीकी देश के प्रेसिडेंशियल गार्ड्स को मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दी है. इसके अलावा अंगोला में उत्तर कोरिया के कामगारों ने कई स्मारक भी तैयार किये हैं.
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चीन
चीन उत्तर कोरिया का सबसे करीबी सहयोगी है. चीनी उद्योगों में हजारों उत्तर कोरियाई लोग काम कर रहे हैं. चीन में कई उत्तर कोरियाई रेस्तरां भी हैं, जिनसे होने वाले कमाई उत्तर कोरिया के विदेशी मुद्रा का अहम जरिया है.
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कांगो
कांगो की सरकार ने उत्तर कोरिया से ऑटोमेटिक पिस्तौल और अन्य दूसरे छोटे हथियार मंगाये हैं जिन्हें इस मध्य अफ्रीकी देश को प्रेसिडेंशियल गार्ड और पुलिस बल इस्तेमाल करते हैं. कांगो में भी उत्तर कोरियाई कामगारों ने कई स्मारक बनाये हैं.
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मिस्र
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि वह इन रिपोर्टों की जांच कर रहा है कि उत्तर कोरिया ने मिस्र को स्कड मिसाइलों के पुर्जे दिये हैं. यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि मिस्र अमेरिका का करीबी सहयोगी है और उत्तर कोरिया अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन समझता है.
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इरिट्रिया
इरिट्रिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाके में स्थित एक छोटा सा देश है. उसके भी उत्तर कोरिया से सैन्य संबंध रहे हैं. बताया जाता है कि उसने उत्तर कोरिया से सैन्य साजोसामान खरीदा है.
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कुवैत
उत्तर कोरिया निर्माण कार्य में काम करने के लिए अपने मजदूरों को कुवैत भेजता है. उत्तर कोरिया का कुवैत में दूतावास भी है जो खाड़ी देशों में रहने वाले उत्तर कोरियाई लोगों का ध्यान रखता है.
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मोजाम्बिक
उत्तर कोरिया मोजाम्बिक को एयर डिफेंस सिस्टम दे रहा है और जमीन से हवा में मार करने वाले उसके मिसाइल सिस्टम को भी आधुनिक बना रहा है. उत्तर कोरियाई कामगारों ने मोजाम्बिक में भी कई स्मारक और इमारतें बनायी हैं.
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नामीबिया
उत्तर कोरिया ने इस दक्षिण पश्चिमी अफ्रीकी देश को युद्धक सामग्री तैयार करने वाली एक फैक्ट्री कायम करने के लिए सामग्री और कामगार दोनों मुहैया कराये हैं. इसके अलावा यहां भी कई स्मारक उत्तर कोरिया कामगारों ने तैयार किये हैं.
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नाइजीरिया
पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया में उत्तर कोरिया के बहुत से डॉक्टर जाते हैं. 2013 में एक हमले में उत्तर कोरिया के तीन डॉक्टर भी मारे गये थे. इस हमले के पीछे उस समय आतंकवादी संगठन बोको हराम का हाथ होने का संदेह जताया गया था.
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ओमान
खाड़ी देश ओमान में निर्माण क्षेत्र से जुड़ी परियाजनों में काम करने के लिए उत्तर कोरिया ने अपने मजदूरों को भेजा है. दक्षिण एशियाई देशों के साथ साथ कई विकासशील देशों के मजदूर ओमान में काम करते हैं.
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कतर
कतर में भी निर्माण परियोजनाओं में उत्तर कोरिया के लोग काम कर रहे हैं. यह छोटा सा खाड़ी देश 2022 में फीफा फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करेगा, इसीलिए वहां बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं.
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रूस
जिन देशों में उत्तर कोरिया के मजदूर काम करने के लिए सबसे बड़ी संख्या में जाते हैं, उनमें रूस भी शामिल है. ये लोग वहां लकड़ी और निर्माण उद्योग में काम करते हैं.
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सूडान
उत्तर कोरिया ने सूडान को भी बहुत से सैन्य साजोसामान दिये हैं, जिनमें रॉकेट कंट्रोल सेक्शन और सेटेलाइट गाइडेड मिसाइलें शामिल हैं. सूडान पर अपने पश्चिमी दारफूर इलाके में मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगता रहा है.
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सीरिया
लंबे समय से गृह युद्ध का शिकार रहा सीरिया भी उत्तर कोरिया के लिए आमदनी का जरिया रहा है. बताया जाता है कि सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार ने उत्तर कोरिया से कई सैन्य साजोसामान और हथियार खरीदे हैं.
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युगांडा
अफ्रीकी देश युगांडा का भी उत्तर कोरिया के साथ सैन्य सहयोग रहा है. उत्तर कोरिया की सेना ने युगांडा की एयरफोर्स के पायलटों और तकनीशियनों को ट्रेनिंग दी है.
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संयुक्त अरब अमीरात
यूएई में उत्तर कोरिया के रेस्तरां और निर्माण कंपनियां हैं जिनमें काम करने के लिए लगातार लोगों को वहां भेजा जाता है. इसके अलावा संयुक्त अरब अमीरात ने भी उत्तर कोरिया से स्कड मिसाइलें खरीदी हैं.
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एपीआई के एक संवाददाता का कहना है कि रूस से लगने वाले उत्तर कोरिया के यांगांग प्रांत में बड़ी मात्रा में ईंधन आ रहा है. टेंपल यूनिवर्सिटी के टोक्यो कैंपस में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के एसोसिएट प्रोफेसर और रूस-उत्तर कोरिया व्यापार के विशेषज्ञ जेम्स ब्राउन कहते हैं, "यह जान पाना बहुत मुश्किल है कि उत्तर कोरिया में कितना ईंधन आ रहा है, लेकिन यह जरूर लगता है कि रूस ने हाल में उत्तर कोरिया को ईंधन सप्लाई किया है."
उत्तर कोरिया में देशभक्ति सीखना बहुत जरूरी है
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वह कहते हैं, "ऐसा लगता है कि रूस के साथ चीन भी अमेरिका के साथ संयंम खोता जा रहा है. उन्हें लगता है कि उत्तर कोरिया पर दबाव डालने के मामले में उन्होंने अपनी तरफ से जितना हो सकता है, किया लेकिन अमेरिका को इस मामले में ज्यादा योगदान करना चाहिए."
ब्राउन कहते हैं कि रूस और चीन ने भी उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंधों का समर्थन किया था और उत्तर कोरिया ने दो महीनों तक कोई परीक्षण भी नहीं किया. इसके बावजूद अमेरिका ने ऐलान किया कि वह दक्षिण कोरिया के साथ अपना हवाई युद्ध अभ्यास तय समय पर करेगा.
अमेरिका के इस सबसे बड़े युद्धाभ्यास में 230 विमानों ने उत्तर कोरिया के परमाणु प्रतिष्ठानों और मिसाइल ठिकानों पर बमबारी का अभ्यास किया. इससे भड़के उत्तर कोरिया ने मिसाइल परीक्षण फिर शुरू कर दिये. नवंबर में उत्तर कोरिया ने 13 हजार किलोमीटर दूर तक मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण करने का दावा किया जो अमेरिका में कहीं भी मार कर सकती है.
इन देशों से हैं उत्तर कोरिया के रिश्ते
अपने परमाणु कार्यक्रम की वजह से उत्तर कोरिया दुनिया में लगातार अलग थलग पड़ता जा रहा है. लेकिन अब भी दुनिया के 47 देशों में उत्तर कोरिया के दूतावास हैं जबकि उसके यहां 24 देशों के दूतावास हैं. एक नजर इन्हीं 24 देशों पर.
ब्राउन कहते हैं, "रूस को शायद लगता होगा कि अमेरिका के भड़काने पर ही उत्तर कोरिया ने यह मिसाइल परीक्षण किया. यह भी साफ नहीं है कि चीन और रूस उत्तर कोरिया को ईंधन सप्लाई रोकने में मदद करेंगे या नहीं. इसका मतलब होगा कि फिर उत्तर कोरिया के पास सिर्फ परमाणु ऊर्जा का विकल्प होगा जो उसे और नुकसान पहुंचाएगा."
ब्राउन के मुताबिक, "और अमेरिका यही चाहता है लेकिन रूस उत्तर कोरियाई व्यवस्था के पूरी तरह ध्वस्त होने के दुष्परिणामों को लेकर चिंतित है." रूस को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो उसकी सुदूर पूर्व सीमा पर संकट पैदा हो सकता है, बड़ी संख्या में शरणार्थी आ सकते हैं या फिर उत्तर कोरिया में गृह युद्ध भड़क सकता है, जिसमें बहुत से सारे पक्ष देश के परमाणु हथियारों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएंगे.
डेनियल पिंकस्टोन ट्रोय यूनिवर्सिटी के सोल कैंपस में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैं. वह इस बात से सहमत है कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि रूस उत्तर कोरिया में हालात को स्थिर बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि वहां की व्यवस्था को चरमरा कर गिरने से बचाया जा सके. वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कड़ाके की सर्दी के इस मौसम में अगर उत्तर कोरिया को ईंधन की सप्लाई नहीं की गयी तो इसकी कीमत बहुत से आम लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी.
पिंकस्टोन कहते हैं, "यह भी तर्क किया जाता है कि अगर उत्तर कोरिया के नेतृत्व को महसूस हुआ कि उनके पेंच कुछ ज्यादा ही कसे जा रहे हैं और उनके यहां हालात लगातार बिगड़ रहे हैं और उनमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है, तो फिर वे ऐसा कोई गंभीर कदम उठा सकते हैं, जिसके जरिए उनकी नजर में हालात बदल सकते हैं."
किम जोंग उन की छोटी बहन की बढ़ी ताकत
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अपनी छोटी बहन किम यो जोंग को सत्ताधारी पार्टी के पोलित ब्यूरो का वैकल्पिक सदस्य बनाया है. यही पोलित ब्यूरो देश की सबसे बड़ी नीति निर्धारक संस्था है. चलिए जानते हैं किम यो जोंग कौन हैं?
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बढ़ी ताकत
उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया के अनुसार किम जोंग उन ने देश के सत्ता केंद्र में कई बदलाव किये हैं. उन्होंने अपनी बहन किम यो जोंग को सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के पोलित ब्यूरो का वैकल्पिक सदस्य बनाया है.
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सबसे छोटी
किम यो जोंग उत्तर कोरिया के पूर्व नेता किम जोंग इल के सात बच्चों में सबसे छोटी हैं और मौजूदा नेता किम जोंग उन की छोटी बहन हैं.
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कम जानकारी
किम जोंग उन के प्रशासन में किम यो जोंग की अहम भूमिका मानी जाती है, हालांकि बाहर की दुनिया को उनके बारे में बहुत ही कम जानकारी है.
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प्रतिबंध
जनवरी 2017 में अमेरिका ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों में जिन उत्तर कोरियाई अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाये थे उनमें 28 वर्षीय किम यो जोंग भी शामिल थीं.
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पहली बार कब दिखीं
किम यो जोंग को सितंबर 2010 में पहली बार वर्कर्स पार्टी के तीसरे सम्मेलन में अपने पिता की सेक्रेटरी किम ओक के साथ देखा गया. किम ओक के साथ किम जोंग इल के निजी संबंध बताये जाते थे.
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टूर मैनेजर
किम यो जोंग को राष्ट्रीय रक्षा आयोग के तहत नेता किम जोंग उन के टूअर मैनेजर के पद पर नियुक्त किया गया.
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संभाली थी जिम्मेदारी
ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि अक्टूबर 2014 में किम यो जोंग ने राष्ट्र की जिम्मेदारी संभाली क्योंकि उस वक्त उनके भाई और देश के नेता किम जोंग उन का इलाज हो रहा था.
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पढ़ाई लिखाई
और एजिटेशन विभाग का उप निदेशक बनाया गया. बताया जाता है कि उन्होंने 1990 के दशक से लेकर 2000 के दशक के शुरुआत में स्विट्जरलैंड के दो स्कूलों में पढ़ाई की.
जानकार जॉन्स मैडेन ने 2014 में डीडब्ल्यू को दिये इंटरव्यू में बताया था कि किम यो जोंग उत्तर कोरियाई तानाशाह के सबसे ज्यादा विश्वासपात्रों में हैं लेकिन महिला होने के कारण वह उत्तराधिकारी नहीं हो सकतीं.