अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने रूसी एंटी डोपिंग एजेंसी की प्रमुख के हवाले से खबर दी थी कि उन्होंने एथलीटों को डोपिंग करवाने की बात स्वीकारी है. जबकि रूसी डोपिंग एजेंसी और क्रेमलिन ने इन आरोपों से साफ इंकार कर दिया है.
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रूस की एंटी डोपिंग एजेंसी रुसाडा ने बुधवार को न्यूयॉर्क टाइम्स के उस लेख को गलत बताया है जिसमें एजेंसी प्रमुख ने रूस के एथलीटों को "संस्थागत षड़यंत्र" का शिकार बनाए जाने की बात कही थी. रुसाडा ने रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास से कहा है कि हाल ही में लिए गए उनके महानिदेशक के इंटरव्यू को अमेरिकी अखबार ने "तोड़ मरोड़ कर और संदर्भ से बाहर" छापा है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी रुसाडा के निदेशक के बयान की सत्यता पर सवाल खड़े किए हैं. इसी के साथ रूस सरकार ने डोपिंग के ऐसे आरोपों को "सिरे से खारिज" कर दिया.
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार रूस की राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी की कार्यकारी महानिदेशक आना आंत्सेलियोविच ने उनसे बातचीत में बताया था कि "वह एक संस्थागत षड़यंत्र था." अखबार ने मंगलवार को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि लैब डायरेक्टर उन एथलीट्स के यूरीन सैम्पल के साथ छेड़छाड़ करता था, जिन्हें क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं दी जा रही थीं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि रूस की केन्द्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्यों ने बोतलों में रखे उन खिलाड़ियों के मूत्र के नमूनों को तोड़ दिया था और एक उप-खेल मंत्री ने भी खिलाड़ियों द्वारा प्रतिबंधित तत्वों का इस्तेमाल करने की बात छुपाने के आदेश दे रखे थे.
डोपिंग पकड़े जाने पर अजब गजब बहाने
कभी सास, कभी अजन्मा जुड़वां तो कभी टूथ पेस्ट. डोपिंग में पकड़े जाने पर खिलाड़ी दोष दूसरों पर मढ़ते हैं और ऐसी ऐसी कहानियां सुनाते हैं कि आप दंग रह जाएं. एक नजर ऐसे बहानों पर.
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थेरीजे यूहॉग: सनक्रीम
धूप से त्वचा जलने के इलाज ने नॉर्वे की स्की खिलाड़ी का करियर तबाह कर दिया. सात बार विश्व चैंपियन और ओलंपिक विजेता थेरीजे यूहॉग को स्टीरॉयड क्लोस्टेबॉल पॉजीटिव पाया गया. उन्होंने कहा कि क्लोस्टेबॉल एक सनक्रीम में था जिसे लेने की सलाह उन्हें टीम के डॉक्टर ने दी थी.
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मारिया शारापोवा: भूल
टेनिस स्टार मारिया शारापोवा ने कहा, "मैं ये दवा 2006 से ले रही हूं" लेकिन ये नहीं बताया कि स्वस्थ होने के बावजूद वे दिल के रोगियों द्वारा इस्तेमाल होने वाली दवा क्यों ले रही हैं. 2016 के शुरू से मेल्डोनियम डोपिंग लिस्ट पर है. शारापोवा की दलील है कि उन्होंने ये सूची नहीं देखी. लेकिन अनभिज्ञ होना सजा से नहीं बचाता.
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लिनफर्ड क्रिस्टी: अवोकाडो
लिनफर्ड क्रिस्टी (बाएं से दूसरे) 1999 में 39 साल की आयु के साथ अपने करियर के आखिरी चरण में थे, जब वे पकड़े गए. 1992 के ओलंपिक विजेता के खून में स्टीरॉयड नैंड्रोलोन पाया गया. उनका बयान दिलचस्प था. उन्होंने कहा कि उन्होंने डोपिंग नहीं की है, बस अवोकाडो खाया है. अवोकाडो का नैंड्रोलोन से क्या लेना देना है, सिर्फ वे ही जानते हैं.
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योहान मुइलेग: डायट
स्पेन ने ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं किया. गर्म देश के स्की खिलाड़ी ने 2002 के शीतकालीन खेलों में तीन बार सोने का पदक जीता. जर्मन खेल संगठन से झगड़ा कर स्पेन गए योहान मुइलेग इपो के साथ पकड़े गए. उनकी दलीली थी कि उन्हें इपो नहीं लिया, "मैंने अंतिम पांच दिनों में विशेष डायट प्लान बनाया, जिसमें सिर्फ प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट था."
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फ्लॉयड लैंडिस: व्हिस्की
शुरू में साइकिल चैंपियन लैंस आर्मस्ट्रॉन्ग के साए में रहे, लेकिन उनके इस्तीफे के बाद अचानक 2006 में टूअर दे फ्रांस के विजेता बने, लेकिन टेस्टोस्टेरॉन डोपिंग के लिए पकड़े गए. अचानक गिरने के बाद उनकी जबरदस्त वापसी हुई थी. उस समय लैंडिस ने कहा कि बहुत ज्यादा व्हिस्की पी ली थी, लेकिन बाद में डोपिंग की बात मान ली.
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आड्रियान मूतू: पोटेंसी
चेल्सी फुटबॉल क्लब के लिए खेलने वाले आड्रियान मूतू ने 2004 में कोकीन का सेवन किया था. उनका कहना था कि उन्होंने ऐसा मैदान पर अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया था. "मैंने ऐसा सिर्फ अपनी यौन क्षमता बढ़ाने के लिए किया था." खेल अदालत ने ये कहानी नहीं मानी और 1.72 करोड़ यूरो का जुर्माना किया.
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मार्टिना हिंगिस: फ्रूट जूस
टेनिस स्टार मार्टिना हिंगिस ने 2007 में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर पीठ की दर्द और पॉजिटिव डोपिंग टेस्ट के कारण टेनिस से संन्यास लेने की घोषणा की. विंबलडन चैंपियनशिप के दौरान उनके खून में कोकीन पाया गया, लेकिन हिंगिस का कहना था उनके खिलाफ साजिश हुई है. "किसी ने मेरे फ्रूट जूस में इसे मिला दिया." लेकिन उसका स्वाद अजीब रहा होगा.
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लेनी पॉल: स्पागेटी
ब्रिटिश बॉब खिलाड़ी लेनी पॉल को 1997 में नैंड्रोनॉल की बढ़ी हुई मात्रा के साथ पकड़ा गया. उन दिनों डोपिंग करने वालों में यह लोकप्रिय तत्व था, लेकिन उनका बहाना अजीबोगरीब था, "मैंने स्पागेटी बोलोन्या खाया था, मीट हारमोन ट्रीटेड था." साइकिल चालक अलबैर्तो कोंटाडोर मे भी डोपिंग के लिए मीट को जिम्मेदार बताया था.
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इवोन क्राफ्ट: स्प्रे
माउंटेनबाइक खिलाड़ी इवोन क्राफ्ट 2007 में डोपिंग टेस्ट में पॉजीटिव पाई गई. उनके खून में प्रतिबंधित पदार्थ फेनोटेरॉल मिला. इसके बारे में क्राफ्ट का कहना था, "उनकी मां का अस्थमा स्प्रे अचानक फट गया था और वह पास में ही खड़ी थी. इसलिए उन्होंने बहुत सारी गैस सांस में ले ली." कैसी दलील? कितना अजीबोगरीब संयोग था ये.
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राइमुंडास रुमसास: सास
जैसे वे अचानक आसमान से गिरे हों, राइमुंडास रुमसास ने टूअर दे फ्रांस में पोडियम पर कब्जा कर लिया. जबकि साइकिल स्पोर्ट की दुनिया में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा था, रुमसास की पत्नी कस्टम पर क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं के साथ पकड़ी गई. रुमसास दंपत्ति का कहना था कि दवाएं उनकी बीमार सास के लिए थी.
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मारियो डे क्लैर्क: उपन्यास
क्रॉसप्रोफी मार्यो डे क्लैर्क को 2003 में अपनी विधा का सबसे अच्छा खिलाड़ी माना जाता था. फिर उनके पास से दवाओं, ट्रेनिंग प्लान और हैमोटोक्राइट चार्ट के स्केच मिले. डे क्लैर्क ने डोपिंग से इंकार किया और कहा कि उनके पास मिली सामग्री उन्होंने एक उपन्यास लिखने के लिए जुटाई थी. सारी बातें कोरी कल्पना थी.
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डीटर बाउमन : टूथपेस्ट
डोपिंग की कोई भी कहानी इतनी बार नहीं कही गई है जो जर्मनी खिलाड़ी डीटर बाउमन ने सुनाई. 1992 के ओलंपिक विजेता 1999 में पॉजीटिव पाए गए और वह टूथपेस्ट से छेड़छाड़ की बात कहकर आरोप से बचने की कोशिश करते रहे. प्रसिद्ध डोपिंग एक्सपर्ट वर्नर फ्रांके ने इस दलील को विश्वसनीय बताया लेकिन दोनों कोई सबूत नहीं दे पाए.
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टाइलर हैमिल्टन: अजन्मा जुड़वां
टाइलर हैमिल्टन को 2004 ओलंपिक में अपने करियर की सबसे बड़ी कामयाबी मिली. सोने का पदक. लेकिन फिर बड़ा सदमा. उन्हें ब्लड डोपिंग का दोषी पाया गया. उन्होंने कहा, "मेरे शरीर में परायी रक्त कोशिकाएं जन्म के समय मृत मेरे जुड़वां के स्टेम सेल से आई हैं." एक ऐसी कहानी जिसे बाद में खुद हैमिल्टन ने झूठ ठहराया.
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डेनिस मिचेल: सेक्स
अमेरिकी धावक डेनिस मिचेल 1992 में रिले रेस में ओलंपिक विजेता बने. छह साल बाद उनके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन मिला. उन्होंने इसकी जिम्मेदारी पांच बोतल बीयर और चार बार किए गए सेक्स पर डाली. "लड़की का जन्मदिन था. वह कुछ खास पाने की हकदार थी." शायद मिचेल की राय में इसे कहते हैं भद्रता.
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गिलबैर्तो सिमोनी: टॉफी और चाय
खिलाड़ियों को परिवार के सदस्यों से मिलने वाले टॉफी बिस्किट से सावधान रहना चाहिए. इटली के पेशेवर साइकिल चालक गिलबैर्तो सिमोनी 2004 में कोकीन के साथ पकड़े गए. लेकिन उन्होंने कहा कि इसका डोपिंग से कुछ लेना देना नहीं था. "मेरी मां ने मुझे पेरू से टॉफियां भेजी थी, जो कोक के पत्तों में लिपटी थी." और चाय के लिए उन्होंने चाची को जिम्मेदार बताया.
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हालांकि रूस की सरकार इस बात से इनकार कर रही है कि डोपिंग का यह अभियान राज्य समर्थित भी था. इससे साफ होता है कि रूसी अधिकारी इस बात पर कायम हैं कि यह सारे गलत काम राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जानकारी या अनुमति से नहीं हुए थे.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने एक हफ्ते पहले ही 28 रूसी एथलीट्स के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही शुरु की है, जिन्होंने 2014 के सोची में हुए शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लिया था. समिति को इन एथलीट्स के खिलाफ "मूत्र के एक से अधिक नमूनों के साथ छेड़छाड़ किए जाने के सबूत" मिले हैं.
दिसंबर की शुरुआत में एक स्वतंत्र जांचकर्ता रिचर्ड मैक्लैरेन ने इस बात की पुष्टि की थी कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय खेल में "अभूतपूर्व पैमाने" पर ठगी की. मैक्लैरेन ने रूस पर 1,000 से भी अधिक एथलीट्स को "राज्य-प्रायोजित" डोपिंग कार्यक्रम में शामिल करने की बात कही थी. मैकलैरेन ने कहा, "कई सालों तक, हमारे जाने बिना अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं को रूस हाईजैक करता आया है."
आईओसी ने कहा है कि लंदन 2012 और सोची 2014 में हिस्सा लेने वाले सभी रूसी एथलीट्स के यूरीन सैम्पल की फिर से जांच कराई जाएगी. इस साल ब्राजील के रियो दे जनेरो के ओलंपिक खेलों में डोपिंग के आरोपों के कारण ही रूसी टीम को हिस्सा नहीं लेने दिया गया.
आरपी/एमजे (डीपीए)
डोपिंग की ए बी सी
खिलाड़ियों के डोपिंग करने के विवाद अब आम होते जा रहे हैं. देखिए कि डोपिंग क्या होती है और खिलाड़ियों को इन प्रतिबंधित चीजों का इस्तेमाल करने से कैसे फायदे या नुकसान होते हैं.
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शुरुआत
डोपिंग कोई नई बात नहीं है. मुकाबले में दूसरों को हराने के लिए प्राचीन ग्रीक खिलाड़ियों के भी ऐसा करने की कहानियां हैं. एक खिलाड़ी का करियर आम तौर पर काफी छोटा होता है. अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में होने के समय ही वे अमीर और मशहूर हो सकते हैं. इसी जल्दबाजी में कुछ खिलाड़ी अक्सर डोपिंग के जाल में फंस जाते हैं.
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कानूनी हद
बीमार आदमी के लिए दवा जरूरी हो सकती है लेकिन एथलीट जब दवा लेते हैं तो उसके असर और इस्तेमाल के कानूनी पहलू पर ध्यान देना होता है. जैसे कि दर्दनाशक दवाई इबुप्रोफेन की जगह अगर कोई खिलाड़ी मॉर्फीन का इस्तेमाल करे तो वह डोपिंग की श्रेणी में आएगा. क्योंकि वह आम दवा से कहीं भारी और नशीली है और उस पर प्रतिबंध है.
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स्टीरॉयड
डोपिंग में आने वाली दवाओं को पांच श्रेणियों में रखा गया है जिनमें स्टीरॉयड सबसे आम हैं. हमारे शरीर में स्टीरॉयड पहले से ही पाया जाता है लेकिन कुछ पुरुष एथलीट मांसपेशियां और पौरुष बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड के इंजेक्शन लेते हैं. इसके साइट इफेक्ट के तौर पर पुरुषों में स्तनों का उभरना एवं हृदय और तंत्रिका तंत्र पर बुरा असर देखा गया है.
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उत्तेजक पदार्थ
उत्तेजक पदार्थ शरीर को चुस्त और दिमाग को तेज कर देते हैं. इनका इस्तेमाल प्रतियोगिता के दौरान प्रतिबंधित हैं लेकिन कुछ खिलाड़ी इसे खेल से पहले लेते हैं जिससे शरीर में ज्यादा ऊर्जा का संचार होता है. 1994 फुटबॉल विश्व कप के दौरान अर्जेंटीनियाई खिलाड़ी मैराडोना ऐसे ही उत्तेजक पदार्थ एफेड्रीन के इस्तेमाल के दोषी पाए गए थे.
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पेप्टाइड हार्मोन
स्टीरॉयड की ही तरह पेप्टाड हार्मोन भी शरीर में मौजूद होते हैं. इसलिए इनका अलग से सेवन शरीर में असंतुलन पैदा करता है. डायबिटीज के मरीजों के लिए जीवन रक्षक हार्मोन इंसुलिन को अगर स्वस्थ व्यक्ति ले तो शरीर से वसा घटती है और मांसपेशियां बनती हैं. इसके ज्यादा इस्तेमाल से शरीर में ग्लूकोज का स्तर अचानक काफी घट सकता है. ऐसे में शरीर जल्दी थकता है और हार्मोनों का तालमेल बिगड़ता है.
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नार्कोटिक्स
नार्कोटिक या मॉर्फीन जैसी दर्दनाशक दवाइयां डोपिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं. इनके इस्तेमाल से बेचैनी, थकान और नींद जैसे लक्षण हो सकते हैं. सिर दर्द और उल्टी भी इनसे होने वाले नुकसान हैं. इनकी लत पड़ने की भी काफी संभावना होती है. कई बार इन दवाइयों के सेवन से यह भी मुमकिन है कि खिलाड़ी खुद को कम दर्द के अहसास में ज्यादा चोटिल कर लें.
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डाइयूरेटिक्स
डाइयूरेटिक्स के सेवन से शरीर पानी बाहर निकाल देता है जिससे कुश्ती जैसे खेलों में कम भार वाली श्रेणी में घुसने का मौका मिलता है. डाइयूरेटिक्स का इस्तेमाल हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में होता है. लेकिन अगर शरीर से अचानक पानी बाहर निकल जाए तो रक्तचाप भी कम हो जाता है. ब्लडप्रेशर घटने से रक्त संचार तंत्र सही ढंग से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति अचानक बेहोश भी हो सकता है.
ब्लड डोपिंग एक दशक पहले ही पकड़ में आई. आम तौर पर ब्लड कैंसर के मरीजों का खून समान ब्लड ग्रुप के खून से बदलना पड़ता है. ऐसे मरीजों के लिए किशोरों का खून सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि उसमें लाल रुधिर कणिकाओं की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे शरीर में ज्यादा ऊर्जा का संचार होता है. लेकिन कुछ खिलाड़ी प्रदर्शन बेहतर करने के लिए किशोरों का खून चढ़ाते रहे, जिसे ब्लड डोपिंग कहा जाता है.
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डोपिंग का भविष्य
वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी और जर्मनी की नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी, डोपिंग को रोकने के लिए इससे होने वाले नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने का काम कर रही हैं. वे दवाइयों की कंपनियों के साथ इसकी जांच के तरीके निकालने और काला बाजारी पर कानूनी रोकथाम की भी कोशिश कर रही हैं.