रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उस पुल का उद्घाटन कर दिया है जो रूस को क्रीमिया से जोड़ता है. रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था.
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इस पुल की लंबाई 19 किलोमीटर है और यह केर्च जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है. इस पुल के उद्घाटन के बाद खुद पुतिन ट्रेन पर सवार होकर क्रीमिया से रूस के तामान प्रायद्वीप में गए. ड्राइवर के केबिन में उनकी तस्वीरें मीडिया में दिखाई जा रही हैं. पुल का निर्माण पूरा होने पर राष्ट्रपति पुतिन ने कामगारों को बधाई दी. उन्होंने कहा, "इससे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने से हमारी क्षमता साबित होती है."
साढ़े तीन अरब डॉलर से ज्यादा की लागत से पूरे हुए इस प्रोजेक्ट में दो समांतर पुल बनाए गए हैं जिनमें से एक रेल यातायात के लिए है जबकि दूसरा गाड़ियों के लिए. इस प्रोजेक्ट की योजना 2014 में उसी वक्त बनाई गई थी जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था. ऑटोमोबाइल के लिए बने पुल का उद्घाटन पुतिन मई 2018 में ही कर चुके हैं और कुछ महीनों बाद उसे ढुलाई वाले भारी वाहनों के लिए खोल दिया गया था. रेलवे पुल को माल गाड़ियों के लिए जून 2020 में खोला जाएगा.
क्रीमिया पर रूस का कब्जा होने से पहले भी दोनों देशों के बीच रेल यातायात था. क्रीमिया के शहरों सिम्फेरोपोल और सेवास्तोपोल से यूक्रेन, रूस और बेलारूस के लिए ट्रेन सेवा मौजूद थी. क्रीमिया पर कब्जे के बाद लंबी दूरी की ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं. सिर्फ क्रीमिया प्रायद्वीप में स्थानीय ट्रेनें चल रही थीं. रूस ने क्रीमिया में बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में खूब पैसा लगाया है जिससे पुल और नए बिजली घर बनाए जा रहे हैं.
रेल का सफर बेहद रूमानी और रोमांचक होता है. देखिए, दुनिया के सबसे लंबे सफर जो बिना ट्रेन बदले किए जा सकते हैं...
तस्वीर: picture-alliance/AA/M. Ozturk
1. ट्रांस साइबेरियन, रूस
मॉस्को से प्योंगयांग. यह दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा है. रूस के मॉस्को से उत्तरी कोरिया के शहर प्योंगयांग तक 10,214 किलोमीटर का ये सफर दुनिया का सबसे बड़ा रेल का सफर है. इसे पूरा करने में 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट का समय लगता है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
2. द कैनेडियन, कनाडा
टोरंटो से वैंकुवर. 4465 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में तीन दिन लगते हैं. और ट्रेन में वाई-फाई नहीं है.
तस्वीर: Reuters
3. चीन
शंघाई से ल्हासा. 4372 किलोमीटर की इस यात्रा में आप सबसे ऊंची रेल लाइन से गुजरते हैं. समय करीब 48 घंटे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
4. कैलिफॉर्निया साइफर, अमेरिका
एमेरीविले से शिकागो. 3923 किलोमीटर की यह यात्रा 51 घंटे में पूरी होती है. इसे अमेरिका की सबसे सुंदर यात्रा भी कहते हैं.
तस्वीर: Getty Images
5. इंडियन पैसिफिक, ऑस्ट्रेलिया
सिडनी से पर्थ. 4351 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में 65 घंटे ट्रेन में गुजरते हैं. यह दुनिया की सबसे लंबी सपाट पटरी भी है.
तस्वीर: Getty Images/I. Waldie
6. विवेक एक्सप्रेस, भारत
डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी. 82 घंटे की यह यात्रा 4237 किलोमीटर लंबी है और भारत के पूर्व को दक्षिण से जोड़ती है.
तस्वीर: picture-alliance/Tuul/robertharding
7. पैरिस-मॉस्को एक्सप्रेस, फ्रांस (पैरिस से मॉस्को)
यूरोप के बीचोबीच से यह ट्रेन आपको 3215 किलोमीटर की सैर कराती है, 48 घंटे में.
तस्वीर: Getty Images/D. Ramos
8. द गान, ऑस्ट्रेलिया
डारविन से ऐडेलेड. 2978 किलोमीटर की इस यात्रा में आप दो रातें यानी 47 घंटे ट्रेन में गुजारते हैं, ऑस्ट्रेलिया के बीचोबीच से.
तस्वीर: Imago/Danita Delimont
9. ओरिएंटल एक्सप्रेस, थाईलैंड
बैंकॉक से सिंगापुर. 2180 किलोमीटर की यह यात्रा तीन दिन और दो रातों में पूरी होती है.
तस्वीर: picture alliance/ akg-images
10. ब्लू ट्रेन, दक्षिण अफ्रीका
प्रिटोरिया से केप टाउन. 1599 किलोमीटर लंबी इस यात्रा में आप 27 घंटे ट्रेन में गुजारते हैं. ट्रेन एक लग्जरी होटल जैसी है.
तस्वीर: Festival del film Locarno
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यात्री रेलों के लिए पुल खुल जाने के बाद अब सेंट पीटर्सबर्ग और सेवास्तोपोल के बीच यात्रा करना संभव होगा. इस सफर में 43 घंटे का समय लगता है. सेंट पीटर्सबर्ग राष्ट्रपति पुतिन का जन्म स्थान है. वहां से पहली ट्रेन पुल के उद्घाटन के कुछ समय बाद ही क्रीमिया में पहुंची. रूस का कहना है कि यह यूरोप का सबसे लंबा रेलवे पुल है.
दूसरी तरफ यूक्रेन ना तो इस पुल से खुश है और ना ही इसके उद्घाटन के लिए क्रीमिया में पुतिन की मौजूदगी से. क्रीमिया पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के प्रतिनिधि ने फेसबुक पर अपने एक बयान में कहा है कि ये रेल संपर्क और राष्ट्रपति पुतिन का क्रीमिया दौरा "रूस की तरफ से यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का घोर उल्लंघन है."
यूरोपीय संघ ने भी पुल के उद्घाटन को यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है. संघ की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि केर्च पुल का निर्माण "यूक्रेन की रजामंदी के बिना" किया गया है और यह "गैर कानूनी तरीके से हथियाए गए प्रायद्वीप को बलपूर्वक अपने क्षेत्र में मिलाने की तरफ एक और कदम" है. यूरोपीय संघ ने फिर जोर देकर कहा है कि वह क्रीमियाई प्रायद्वीप पर रूस के कब्जे को ना तो मान्यता देता है और ना ही देगा.
इसी महीने यूरोपीय संघ ने यूक्रेन संकट की वजह से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. इससे पहले, राष्ट्रपति पुतिन फ्रांस की राजधानी पेरिस में राष्ट्पति जेलेंस्की से मिले. दोनों नेताओं की चर्चा में यूक्रेन संकट से जुड़े तनाव को घटाने पर चर्चा हुई.
रेल तकनीक के मामले में भी चीन दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है. भारत से बहुत पीछे रहने के बावजूद उसने ऐसी कामयाबी पाई कि अब दुनिया में चीन के रेल नेटवर्क का बोलबाला है. एक नजर चीन के ग्लोबल रेल नेटवर्क पर.
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तंजानिया-जाम्बिया रेल नेटवर्क
ताजारा कहा जाने वाले इस प्रोजेक्ट के जरिये 1976 में चीन ने पूर्वी अफ्रीका को मध्य और दक्षिणी अफ्रीका से जोड़ा. 1,860 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को खड़ा करने के लिए चीन ने 50,000 कामगारों की मदद ली. पूरी योजना चीन की ही आर्थिक मदद से चली.
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तिब्बत तक
एक जुलाई 2006 के दिन तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक ट्रेन पहुंचाकर विश्व को हैरान कर दिया. ट्रेन में खुद तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ भी सवार थे. समुद्र से 5,027 मीटर की ऊंचाई पर बना यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे नेटवर्क है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
जर्मनी तक
अक्टूबर 2013 में चीन की मालगाड़ी, ट्रांस साइबेरियन रूट का इस्तेमाल करते हुए 9,820 किलोमीटर का सफर कर जर्मनी के पोर्ट शहर हैम्बर्ग पहुंची. उस वक्त यह रिकॉर्ड था. इस तरह चीन ने अपने हार्बिन शहर को जर्मनी के कारोबारी शहर हैम्बर्ग से जोड़ा.
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तुर्की में
जनवरी 2014 में चीन ने तुर्की में हाई स्पीड रेलवे नेटवर्क का काम पूरा कर दिया. अब इंस्ताबुल और अंकारा के बीच हाई स्पीड ट्रेनें चलती हैं.
तस्वीर: imago
स्पेन तक
दिसंबर 2014 में चीन की 82 बोगियों वाली मालगाड़ी स्पेन की राजधानी मैड्रिड पहुंची. 18 नंबवर को यिवु शहर से चली यह मालगाड़ी 13,000 किलोमीटर लंबा सफर कर 9 दिसंबर को मैड्रिड पहुंची. ट्रेन, रूस, जर्मनी और फ्रांस समेत 8 देशों को पार करते हुए गई. आज चीन और यूरोप के बीच नियमित रूप से मालगाड़ियां आती जाती हैं.
तस्वीर: Pierre-Philippe Marcou/AFP/Getty Images
म्यामांर तक
2015 में चीन ने म्यामांर की राजधानी यांगोन और कुनमिंग शहर को रेल सेवा से जोड़ने का काम शुरू किया. प्रोजेक्ट 2020 में पूरा होगा. 1,920 किलोमीटर लंबे इस रास्ते पर 140 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेनें चलेंगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
अंगोला में
2015 में चीन ने अंगोला में 1,344 किलोमीटर का रेल नेटवर्क तैयार कर चालू कर दिया. चाइना रेल कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन द्वारा बनाया गया यह रेल ढांचा देश का सबसे अहम आर्थिक गलियारा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
तेहरान तक
15 फरवरी 2016 को 32 बोगियों वाली चीनी मालगाड़ी ईरान की राजधानी तेहरान पहुंची. मालगाड़ी झेंगजियांग प्रांत से कजाखस्तान और तुर्कमेनिस्तान होते हुए ईरान पहुंची.
तस्वीर: Imago/Xinhua
फिर से सिल्क रूट का सफर
तेहरान तक ट्रेन पहुंचाकर चीन ने सैकड़ों साल पुराने सिल्क रूट के पैदल रास्ते को फिर से जीवित कर दिया.
नाइजीरिया में
जुलाई 2016 में चीन की मदद से बने रेल नेटवर्क पर नाइजीरिया में पहली ट्रेन चली. ट्रेन में खुद नाइजीरिया के राष्ट्रपति सवार थे. 186 किलोमीटर लंबा ट्रैक राजधानी अबूजा को काडुना शहर से जोड़ता है. ट्रैक की उच्चतम रफ्तार 150 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaMarthe van der Wolf
अफगानिस्तान तक
सितंबर 2016 में चीन ने अफगानिस्तान को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक का काम खत्म कर वहां भी मालगाड़ी पहुंचा दी.
तस्वीर: DW/H. Safi
अदिस अबाबा-जिबूती रेल नेटवर्क
अफ्रीका के पांच देशों में भी चीन का रेल नेटवर्क है. अक्टूबर 2016 में अदिस अबाबा-जिबूती में चीन ने 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार वाला 752.7 किलोमीटर लंबा ट्रैक बना दिया. चीन इथियोपिया की राजधानी अदिस अबाबा में मेट्रो रेल नेटवर्क शुरू भी कर चुका है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaMarthe van der Wolf
पाकिस्तान तक
दिसंबर 2016 में चीन ने पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची तक मालगाड़ी पहुंचा दी. मालगाड़ी पर 500 टन माल लदा था. ट्रेन के जरिये कुनमिंग से कराची तक परिवहन का खर्चा 50 फीसदी घट जाएगा. ट्रेन नियमित रूप से चलेगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L. Bin
मोम्बासा-नैरोबी ट्रैक
चीन ने केन्या में 480 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क बनाया है. इसका काम 2014 में शुरू हुआ था. 2,935 किलोमीटर लंबा ट्रैक राजधानी नैरोबी से मोम्बासा के बीच है. इस ट्रैक पर यात्री ट्रेनें 120 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल सकती हैं. देर सबेर इस ट्रैक के जरिये यूगांडा, रवांडा, बुरुंडी और साउथ सूडान को जोड़ा जाएगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
नेपाल तक
चीन अब नेपाल तक रेल नेटवर्क का विस्तार करना चाहता है. नेपाल और चीन के बीच इस मसले पर बातचीत भी हो रही है. चीन चाहता है कि वह काठमांडू होते हुए पोखरा और लुम्बिनी तक रेल पहुंचाये. चीन नेपाल को तिब्बत से भी जोड़ना चाहता है.
तस्वीर: China Photos/Getty Images
भारत तक
चीन चाहता था कि तिब्बत व नेपाल को जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक से भारत भी जुड़े. ऐसा हुआ तो भारत का रेल नेटवर्क भी ग्लोबल नेटवर्क से जुड़ जाएगा. बीजिंग की कोशिश है कि तिब्बत को भारत, चीन और नेपाल के बीच व्यापारिक केंद्र की तरह इस्तेमाल किया जाए. हालांकि भारत ने अभी तक इस नेटवर्क के बारे में कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है.