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रूस पर टूटे तारे की मार

१५ फ़रवरी २०१३

आंखें चुंधिया देने वाली रोशनी छोड़ते एक उल्कापिंड के गिरने से रूस में करीब एक हजार लोग घायल हो गए हैं. इमारतों की खिड़कियां टूट गई और एक बड़े हिस्से में लोग अनहोनी के डर से घरों में दुबक गए हैं.

तस्वीर: Nasa/Getty Images

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस उल्कापिंड का वजन कोई 10 टन है और यह सुपरसोनिक गति से रूस की धरती पर टकराया. यह उराल पहाड़ियों के पास धरती पर गिरा और वहां जबरदस्त विस्फोट हुआ, जिससे 950 लोग घायल हो गए और हजारों लोग बुरी तरह डर गए हैं.

रूसी विज्ञान अकादमी के विशेषज्ञों ने एक बयान जारी कर दावा किया है कि यह पिंड चिल्याबिंक्स इलाके में धरती के वायुमंडल में करीब 54,000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से घुसा और जब यह धरती से लगभग 50 किलोमीटर दूर था, तभी कई छोटे टुकड़ों में बिखर गया.

इसके टुकड़ों के गिरने से धमाका हुआ और आस पास के घरों की खिड़कियां चटक गईं. आपदा मंत्री ने बताया कि इसके बाद कई लोगों को अस्पताल ले जाना पड़ा. इलाके के एक व्यक्ति सर्गेई हामेतोव ने कहा, "लोग एकदम डर गए. उन्हें पता नहीं था कि क्या हो रहा है. हर कोई दूसरे के घर जाकर पूछ रहा था कि वे ठीक हैं या नहीं." उन्होंने बताया कि उन्हें विस्फोट की एक भयंकर आवाज सुनाई दी और इससे पहले बिजली जैसी कड़की.

कयामत का डर

चिल्याबिंक्स की ही वाल्या काजाकोव का कहना है कि उनके घर के आस पास की बुजुर्ग महिलाएं रोने लगीं और कहने लगीं कि "कयामत आ रही है". रूसी समाचार एजेंसी इतार तास ने बताया कि उल्कापिंडों के गिरने से छह मीटर चौड़ा गड्ढा बन गया है.

उल्कापिंडें जब धरती के वातावरण में प्रवेश करती हैं तो भयंकर आवाज करती हैं क्योंकि वे आवाज की गति से भी तेजी से आती हैं. हालांकि शुक्रवार को हुए इस अद्भुत खगोलीय घटना के बाद किसी का बुरी तरह घायल नहीं होना भी ताज्जुब की बात है.

तस्वीर: REUTERS/OOO Spetszakaz

गृह मंत्री के प्रवक्ता वादिम कोलेसनिकोव का कहना है कि जिंक फैक्ट्री की 600 वर्ग मीटर की छत ढह गई है. यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि क्या यह छत उल्कापिंड की वजह से गिरी या फिर उसके टकराने के बाद उठी तरंगों की वजह से.

बनी हुई है उलझन

उल्कापिंडों की संख्या को लेकर अलग अलग तरह की रिपोर्टें आ रही हैं. रूस की कोई भी संस्था दावे के साथ नहीं बता पा रही है कि आकाश में क्या हुआ. आपदा मंत्रालय की प्रवक्ता इरीना रोसियुस का दावा है कि आसमान से उल्कापिंडों की बारिश हुई है, जबकि मंत्रालय की दूसरी प्रवक्ता एलेना स्म्रिनिख का कहना है कि सिर्फ एक ही पिंड था. रूस में शौकिया लोगों की तैयार की हुई वीडियो भी दिखाई जा रही है, जिसमें एक विशालकाय तत्व आसमान से गिरता दिख रहा है और उसके पीछे सफेद रंग का धुआं उठ रहा है. वहां जबरदस्त चमक भी दिख रही है.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में नीयर अर्थ ऑब्जेक्ट के डोनाल्ड योमन समझते हैं कि यह एक आग का गोला रहा होगा, जो आकाश से गिरा है. उन्होंने कहा, "अगर धरती पर हुए नुकसान की जांच की जाए, तो पता लगेगा कि यह तत्व धरती पर टकराने से पहले कई मीटर बड़ा रहा होगा." योमन ने कहा, "अभी यह बताना जल्दबाजी होगा कि इसके टकराने से कितनी ऊर्जा पैदा हुई."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

तारे और सितारे

रूस में यह घटना ऐसे वक्त में हुई है, जब धरती के पास से एक क्षुद्रग्रह 2012 डीए14 गुजरने वाला है. यह धरती से सट कर यानी करीब 28000 किलोमीटर की दूरी से जाने वाला है. हालांकि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि इन दोनों घटनाओं का आपसी रिश्ता नहीं है.

अंतरिक्ष में मौजूद टूटे हुए तारों और क्षुद्रग्रहों के छोटे छोटे हिस्सों को उल्कापिंड कहते हैं. ये कचरे की तरह अंतरिक्ष में बिखरे रहते हैं. जब ये धरती के माहौल में प्रवेश करते हैं, तो उल्कापिंड कहलाते हैं. ज्यादातर उल्कापिंड पर्यावरण में घुसने के बाद ही बिखर जाते हैं, जबकि कुछ घर्षण को बर्दाश्त कर लेते हैं और एक ही टुकड़े में गिरते हैं. माना जाता है कि ऐसे ही एक विशाल उल्कापिंड के धरती से टकराने के बाद यहां जीवन खत्म हुआ था.

इस नाटकीय घटनाक्रम के बाद नेताओं ने इस पर थोड़ा मजाक भी किया. सर्बिया में आर्थिक सम्मेलन में हिस्सा ले रहे रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, "सिर्फ अर्थव्यवस्था ही नहीं, पूरा ग्रह मुश्किल में है."

एजेए/एमजे (एपी)

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