जर्मनी और स्पेन के बाद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूस के दौरे पर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे हैं. राष्ट्रपति पुतिन के साथ उनकी बैठक में जोर दोतरफा रिश्तों को मजबूत करने पर है.
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भारत और रूस दशकों तक नजदीकी सहयोगी रहे हैं, लेकिन हाल के सालों में उनके बीच न सिर्फ व्यापार घटा है बल्कि दोतरफा रिश्तों की गर्मजोशी में भी कमी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के साथ रूस के बढ़ते रिश्तों को लेकर भारत असहज है.
तीन दिन तक चलने वाले सेंट पीटर्सबर्ग इकॉनोमिक फोरम में प्रधानमंत्री मोदी मुख्य अतिथि हैं. स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाली वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम के जबाव में रूस ने यह आयोजन शुरू किया है.
सेंट पीटर्सबर्ग इकॉनोमिक फोरम के उद्घाटन पर पुतिन ने उम्मीद जताई कि पश्चिम में रूस को लेकर डर का माहौल जल्दी खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा, "पश्चिमी में रूसोफोबिया ज्यादा देर नहीं चलेगा, हमेशा के लिए बिल्कुल नहीं. यह समझना होगा कि उसके उल्टे नतीजे निकल रहे हैं जिससे सबको नुकसान हो रहा है."
रूस और भारत के बीच शीत युद्ध के दौरान दशकों तक गहरा आपसी सहयोग रहा है. सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार, कूटनीतिक सहयोगी और हथियारों का आपूर्तिकर्ता रहा है. टैंक से लेकर लड़ाकू विमान तक भारत सब कुछ वहीं से खरीदता रहा है.
रूस ने विजय दिवस पर किया हथियारों का प्रदर्शन
द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के आत्मसमर्पण की 72वीं वर्षगांठ के मौके पर रूसी सैनिकों ने मॉस्को में परंपरागत परेड की. अलग थलग पड़े राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने सेना को साहस और बहादुरी का सबूत बताया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/K. Kudryatsev
क्रेमलिन पर परेड
मॉस्को के रेड स्क्वायर पर करीब 10,000 सैनिकों ने मुख्य समारोह में हिस्सा लिया और परेड की. सेंट पीटर्सबर्ग और दूसरे रूसी शहरों में छोटी परेडें निकाली गयीं. परेडों में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान इस्तेमाल हथियारों की नुमाइश की गयी.
तस्वीर: Reuters/M. Shemetov
बुजुर्ग आर्मरी
सोवियत संघ का प्रसिद्ध टी 34 टैंक द्वितीय विश्वयुद्ध में रेड आर्मी की मिलिटरी मशीनरी का अहम हिस्सा था. हर साल विजय दिवस के परेड के मौके पर उसे अतिरिक्त सम्मान मिलता है.
रूस की नौसैनिक इंफेंट्री ने भी विजय दिवस की परेड में हिस्सा लिया. अमेरिका की यूएस मरीन जैसी ये टुकड़ी 18वीं सदी में रूस के जार पीटर द ग्रेट के शासन काल में बनायी गयी थी.
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महिला सैनिक
परेड का मुआयना कर रहे अधिकारियों और सेना के जनरलों के सामने से महिला कैडेटों और सैनिकों की टुकड़ी ने भी मार्च किया. सेना में महिलाओं की हिस्सेदारी 2020 तक 90,000 करने का इरादा.
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नये टैंक
मंगलवार की परेड में 110 युद्धक गाड़ियां प्रदर्शित की गयीं, जिसमें रूस के प्रमुख टैंक टी72 का आधुनिक संस्करण भी था. टी14 अरमाता और एस400 मिसाइलों का भी प्रदर्शन किया गया.
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साहेब की तारीफ
प्रधानमंत्री दिमित्री मेद्वेदेव के साथ परेड में पहुंचे राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अपने भाषण में सेना की तारीफ की. उन्होंने कहा, "रूसी सैनिक हमेशा की तरह साहस और बहादुरी का सबूत हैं."
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उत्तरी ध्रुव
रूस ने विजय दिवस समारोह के मौके पर आर्कटिक युद्ध के लिए विकसित हवाई प्रतिरक्षा पद्धति की भी नुमाइश की. इससे पहले इस प्रतिरक्षा सिस्टम को किसी परेड में नहीं दिखाया गया था.
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नो फ्लाई जोन
मंगलवार की परेड से पहले प्रैक्टिस करते ये मिग 29 लड़ाकू विमान परेड के दिन हैंगर में ही रहे. विजय दिवस के दिन खराब मौसम के कारण परेड के दौरान एयर शो को रद्द कर दिया गया.
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परमाणु युद्ध
रूस के टोपोल सिरीज के आरएस मिसाइल धरती के दूसरे छोर तक परमाणु हमला कर सकते हैं. रूस के पास इस समय अमेरिका के 6,800 के मुकाबले 7,000 परमाणु शीर्ष होने का अंदाजा है.
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लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद संबंध ढलान पर जाने लगे. भारत में भी आर्थिक सुधार हुए हैं और उसने पश्चिमी देशों से व्यापारिक संबंध कायम करने शुरू किये. भारत के संबंध जहां अमेरिका के साथ मजबूत होते चले गए, वहीं रूस के रिश्ते भारत के क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान और चीन के साथ परवान चढ़ने लगे.
मोदी और पुतिन के बीच कई समझौतों को लेकर बातचीत होगी. दोनों पक्ष दक्षिण भारत में एक परमाणु संयंत्र के लिए रूसी रिएक्टरों की आपूर्ति के बारे में भी बात करेंगे. भारत कोयले पर अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए परमाणु ऊर्जा पर ध्यान दे रहा है.
दोनों देशों के बीच घटते दोतरफा व्यापार को बढ़ाना भी उनकी प्राथमिकता है. 2015 में दोनों के बीच सालाना व्यापार आठ अरब डॉलर के आंकड़े को भी नहीं छू सका जबकि 2030 तक इसे बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
रूस के बाद मोदी अपने इस दौरे के आखिरी पड़ाव में फ्रांस जायेंगे. इससे पहले उन्होंने स्पेन और जर्मनी का दौरा किया. बर्लिन में उनके दो दिन के प्रवास के दौरान जर्मनी-भारत अंतर सरकारी परामर्शी बैठक हुई जिसमें दोनों देशों के बीच आठ अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
एके/एमजे (एएफपी)
जर्मनी में 'सोवियत रूस का भूत'
दो दशक पहले रूसी सेना ने वुन्सडोर्फ छोड़ दिया था. लेकिन तब से जर्मनी का यह सबसे बड़ा सैन्य शहर धूल फांक रहा है. देखिए, इस भुतिया शहर की तस्वीरें...
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सूखा
कभी रेड आर्मी के अफसरों से भरा रहने वाला यह स्विमिंगपूल सालों से सूखाग्रस्त है. बर्लिन से वुन्सडोर्फ सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है. शीत युद्ध के दौरान यह जगह पूर्वी जर्मनी में रूस का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा थी.
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ऑफिसर्स मेस
रूसी सेना ने 9 सितंबर 1994 को वुन्सडोर्फ खाली कर दिया था. लेकिन खाली बैरक और बाकी बिल्डिंग्स आज भी ज्यों की त्यों हैं. इन इमारतों में स्पोर्ट्स हॉल, स्विमिंग पूल, सिनेमा और बहुमंजिला फ्लैट्स भी थे.
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अभेद्य था शहर
यह था वुन्सडोर्फ का सिनेमा. वुन्सडोर्फ बाहरी दुनिया के लिए एकदम अभेद्य जगह थी. यहां के बारे में कहा जाता था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता. अंदर क्या होता था, कैसे होता था कोई नहीं जानता.
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गिर चुका पर्दा
अब वुन्सडोर्फ पर पर्दा गिरे भले ही दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन सिनेमा में पर्दे टंगे हुए हैं. वैसे रूसी सेना के आने से पहले वुन्सडोर्फ 3000 लोगों का एक छोटा सा गांव था.
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प्रचार
वुन्सडोर्फ में अफसरों के बैरकों के पास यह दीवार बताती है कि रूसी सेना किस तरह का प्रचार करती थी. दीवार पर रूसी राष्ट्रकवि एलेग्जैंडर पुश्किन की पंक्तियां लिखी हैं कि अपनी आत्मा को देश पर न्योछावर कर दो.
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लेनिन अकेला
सोवियत संघ खत्म हो चुका है और अब उसके संस्थापक नेता लेनिन की यह मूर्ति सुनसान पड़े वुन्सडोर्फ में अकेली खड़ी है.
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तेज गिरावट
वुन्सडोर्फ की दीवारों से रूसी रंग उतरने में ज्यादा समय नहीं लगा है. किसी एक जगह से सेना की यह इतिहास की सबसे बड़ी वापसी थी. यहां तीन लाख 30 हजार सैनिक, उनके दो लाख आठ हजार परिजन, 4116 टैंक और आठ हजार सैन्य वाहन थे.
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कुछ नहीं बचा
एक अफसर के दफ्तर में मेड इन यूएसएसआर की मुहर वाले ये उपकरण रखे हैं. लेकिन अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है. जो कुछ बचा था उसे निशानियां जमा करने वाले लोग ले गये या कूड़ा उठाने वाले.
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दुनिया बदल चुकी है
एक दफ्तर में शीत युद्ध के दिनों का दुनिया का नक्शा टंगा है. लेकिन तब से दुनिया बहुत बदल चुकी है. कभी दो ध्रुवीय दुनिया में अब पुतिन फिर से ताकतवर हो चले हैं और अमेरिका में ट्रंप विराजमान हैं.
रिपोर्ट: डानियाल हाइनरिष/वीके